फटे ग्लव्स, चटके बैट के बूते विश्व कप तक पहुंच गईं हरियाणा की शेफाली वर्मा
अगले महीने टी-20 विश्व कप में आस्ट्रेलिया खेलने जा रहीं रोहतक (हरियाणा) की 15 वर्षीय शेफाली के पिता संजीव वर्मा तो इस समय बस एक ही सपना देख रहे हैं कि विदेश रवाना होने से पहले सचिन तेंदुलकर उनकी बेटी के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दे दें, क्योंकि उन्हे ही खेलते देख उसने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखे।
अगले महीने 21 फरवरी से आईसीसी महिला टी-20 विश्व कप शुरू हो जाएगा। हाल ही में इस त्रिकोणीय सीरीज के लिए टीम इंडिया का ऐलान भी हो चुका है। इस टीम में कप्तान समेत कई महिला खिलाड़ियों के हरियाणा की होना एक अलग मायने रख रहा है। इसमें मोगा (हरियाणा) की हरमनप्रीत कौर के अलावा 15 साल की शेफाली वर्मा भी रोहतक (हरियाणा) से ही हैं, जो अपने पहले सत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ अच्छे प्रदर्शन के बाद पहली विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने जा रही हैं।
इनके अलावा जेमिमा रोड्रिग्ज, हरलीन देओल, दीप्ति शर्मा, वेदा कृष्णमूर्ति, रिचा घोष, तानिया भाटिया, पूनम यादव, राधा यादव, राजेश्वरी गायकवाड़, शिखा पांडे, पूजा वस्त्राकर और अरुंधति रेड्डी आदि भी टीम का हिस्सा हैं। फिलहाल बात, शेफाली की, जो मात्र 15 वर्ष, 285 दिन की उम्र में अर्द्धशतक लगाकर महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ चुकी हैं। अब उनका लक्ष्य है, टी-20 विश्व कप में बीसीसीआई का अवॉर्ड हासिल करना।
शेफाली के क्रिकेट जीवन की दास्तान भी अन्य जुझारू, साहसी और जुनूनी लड़कियों जैसी है। मात्र दो महीने में उनकी इतनी ऊंची उड़ान किसी परीकथा से कम नहीं है और इसके पीछे छिपी है उनके अटूट संघर्ष की जद्दोजहद भरी एक छोटी सी पटकथा।
शेफाली की यह संघर्ष गाथा ही उन्हे अन्य सामान्य लड़कियों से अलग और प्रेरक बनाती है। तीन साल पहले की ही बात है, शेफाली के पिता संजीव वर्मा की जेब में उस दिन मात्र 280 रुपये थे, जब ग्लव्स फट जाने, बैट कई जगह से चटक जाने से पूरे परिवार को झटका लगा कि अब क्या किया जाए। किससे पैसे मांग कर पिता बेटी की यह जरूरी जरूरत तुरंत पूरी करें। ऐसे में जुनून और जुझारूपन राह निकाल ही लेता है।
शेफाली के पास बैट पर तार चढ़वाकर और ग्लव्स को छिपाकर खेलने के अलावा कोई चारा नहीं था। शेफाली ने तो पिता से अपनी जरूरत छिपा ली लेकिन वह भला कैसे नहीं जान पाते। पता चलते ही उन्होंने कर्ज लेकर बेटी को नए ग्लव्स और बैट दिला दिए। अब पिता संजीव वर्मा को विश्वस्तरीय टीम में सेलेक्ट हो जाने पर अपनी बेटी पर गर्व का अहसास होता है।
पेशे से सर्राफा कारोबारी, साथ ही खुद भी क्रिकेटर रहे संजीव वर्मा बताते हैं कि वर्ष 2016 में उनका धंधा चौपट हो गया था। उन्हें एक व्यक्ति ने दिल्ली एयरपोर्ट पर नौकरी लगाने का झांसा दिया। उन्होंने अपनी पत्नी के गहने तक बेच दिए। यह वही समय था, जब शेफाली लड़कों के साथ खेलकर इलाके में नाम कमा रही थी। नौकरी नहीं मिली और सब कुछ चला गया। वर्मा अवसाद में चले गए। शेफाली उन दिनो खुली आंखों घर के साथ अपने भी सपने ढहते देखे लेकिन होंठ बंद रखा। कुछ नहीं बोली। वह फटे ग्लव्स और टूटे बैट से खेलती रही। पिता जब कुछ संभले, तब उन्होंने शेफाली का बैट और ग्लव्स देखा। इसके बाद उन्होंने उधार पैसा लेकर उसे दोनों चीजें दिलाईं।
संजीव वर्मा वह बताते हैं कि शेफाली जब साढ़े दस साल की थी, उनके बेटे साहिल को पानीपत में अंडर-12 का टूर्नामेंट खेलने जाना था, लेकिन वह बीमार पड़ गया। वह शेफाली को पानीपत ले गए और उसे टूर्नामेंट में उतार दिया। वहां उसने लड़कों के मैच में प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड हासिल कर लिया। उसने पूर्व रणजी क्रिकेटर अश्वनी कुमार की अकादमी में शानदार प्रदर्शन किया।
वह आज भी लड़कों के साथ ही प्रैक्टिस करती है। वह खुद रोजाना सवेरे उसे प्रैक्टिस कराते हैं। वह कहते हैं कि रोहतक में सचिन तेंदुलकर को खेलते देख शेफाली क्रिकेटर बनीं। सचिन का वह अंतिम रणजी ट्रॉफी मैच था। शेफाली सचिन को अपना रोल मॉडल मानती है। अब तो वह एक ही सपना देखते हैं कि बेटी के ऑस्ट्रेलिया में विश्व कप खेलने जाने से पहले सचिन तेंदुलकर एक बार उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दे दें।