राज्यसभा के नए नियम: संसदीय प्रश्नों के उत्तर में अब gender-neutral शब्दों का होगा प्रयोग
संसद में भाषा के प्रयोग या संसद में बहस आदि के दौरान सदस्यों द्वारा बोले जाने वाले शब्दों के मामले को लेकर इस साल दो बार बहसें हुईं. एक बार साल के मध्य में जब लोकसभा सचिवालय ने ‘असंसदीय शब्द 2021’ शीर्षक के तहत शब्दों और वाक्यों का नया संकलन तैयार कर प्रस्तुत कर जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप जैसे शब्दों को ‘असंसदीय’ करार दे दिया. इस पर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए कहा था कि सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द को ‘असंसदीय’ करार दे दिया गया है.
दूसरी बहस द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्राध्यक्ष चुने जाने पर उनके लिए लिंग-तटस्थ शब्द के इस्तेमाल करने को लेकर हुई. हालांकि इस पर बात आगे नहीं बढ़ी.
महिलाओं की संसदीय प्रक्रिया में उचित प्रतिनिधित्व देने की प्रक्रिया में उनके लिए यूज की जाने वाली भाषा का एक अहम् रोल होता है. शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने किसी लिंग विशेष को लेकर इस्तेमाल होने वाले शब्दों ('सर') के इस्तेमाल को लेकर आपत्ति जताई थी जिसपर राज्यसभा की ओर से एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें कहा गया कि संसद में 'सर' शब्द का उपयोग नहीं किया जाए.
‘नो सर’ का इस्तेमाल सदन की कार्यवाही में अक्सर की जाती है. संसद में उठाए गए सवालों के जवाब, 'नहीं, सर' अक्सर उन मामलों में प्रयोग किया जाता है, जहां उत्तर नकारात्मक होता है. प्रियंका चतुर्वेदी ने मंत्रियों से संबंधित सांसदों को उनके जेंडर के अनुसार संबोधित करने के लिए उचित निर्देश जारी करने का आग्रह किया था.
8 सितंबर को लिखे अपने पत्र में प्रियंका चतुर्वेदी ने पुरुष प्रधान भाषा में बदलाव के लिए मांग रखी थी. 'नो सर' जैसे वाक्यांशों के इस्तेमाल को बदलने की मांग की थी, जो अक्सर सदन में जवाब देने के समय बोला जाता है. चतुर्वेदी ने अपने पत्र में तर्क दिया था, ‘हमारा संविधान समानता के सिद्धांत पर आधारित है. हालांकि यह एक छोटे से बदलाव की तरह लग सकता है, लेकिन यह महिलाओं को संसदीय प्रक्रिया में उनका उचित प्रतिनिधित्व देने में एक लंबा रास्ता तय करेगा.’ उन्होंने यह भी कहा, एक महिला सांसद के रूप में, यह संबंधित है लोकतंत्र के मंदिर - संसद द्वारा ही संस्थागत लिंग को मुख्यधारा में लाने पर विचार किया जाना चाहिए.
अब यह शब्द राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान नहीं सुनाई देगा. राज्यसभा की ओर से एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें कहा गया कि संसद में 'सर' शब्द का उपयोग नहीं किया जाए. प्रियंका चतुर्वेदी ने 20 सितंबर को अपने ट्विट्टर अकाउंट से राज्यसभा सचिवालय से प्राप्त उत्तर साझा किया. जिसमें लिखा है, ‘राज्य सभा में परंपरा और प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के अनुसार, सदन की सभी कार्यवाही सभापति को संबोधित की जाती है और संसदीय प्रश्नों के उत्तर भी कार्यवाही का एक हिस्सा होते हैं. हालांकि, मंत्रालयों को राज्यसभा के अगले सेशन से संसदीय प्रश्नों के जेंडर न्यूट्रल उत्तर देने करने के लिए सूचित किया जाएगा.’
प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर खुशी जाहिर करते हुए लिखा - 'छोटा कदम, बड़ा अंतर. मंत्रालयों से लेकर महिला सांसदों तक के सवालों के जवाब में संसद में पुरुष प्रधान भाषा को दूर करने के लिए राज्यसभा सचिवालय को धन्यवाद. अब से जवाब मंत्रालयों की ओर से जेंडर न्यूट्रल होंगे'.
(फीचर इमेज क्रेडिट: @priyankac19)