कौन हैं बिहार की पूर्णिया की बुनकर 'दीदी' जिनका जिक्र पीएम मोदी ने मन की बात में किया ?
बाढ़ प्रभावित रहने वाले बिहार के पूर्णिया में महिलाएँ को-ऑपरेटिव समूह के तहत रेशम की खेती कर नया मुकाम छू रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 फरवरी को अपने मासिक रेडियो शो ‘मन की बात’ में पूर्णिया, बिहार में एक महिला स्व-सहायता समूह के प्रयासों की प्रशंसा की। आदर्श जीविका महिला शहतूत उत्पादन समूह महिलाओं का शहतूत उत्पादन को-ऑपरेटिव है, जो राज्य सरकार की सहायता से स्थापित किया गया है।
पीएम मोदी ने कहा,
“नए भारत की माताएँ विशेष रूप से हमारी बहनें चुनौतियों का सामना कर रही हैं, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव की गति बढ़ रही है। बिहार का पूर्णिया क्षेत्र देश भर के लोगों के लिए एक प्रेरणा है।”
जिले की महिलाएं शहतूत की खेती करती हैं, उन पर रेशम के कीड़े उगाती हैं, कोकून से रेशम की यार्न तैयार करती हैं और फिर बाजार के लिए रेशम की साड़ियों की बुनाई करती हैं। इससे पहले, वे सिर्फ रेशम कोकून को उन खरीदारों को बेचने में शामिल थीं, जो रेशम की खेती करते थे और उससे लाभ कमाते थे।
अब ये महिलाएं न केवल रेशम की यार्न तैयार कर रही हैं, बल्कि उनकी साड़ी हजारों रुपये में बेची जाती है। समूह की महिलाओं को दीदी कहा जाता है।
पीएम मोदी ने कहा,
“आदर्श जीविका महिला शहतूत उत्पादन समूह की "दीदी" ने कुछ ऐसा हासिल किया है जिसे ‘कमाल’ कहा जा सकता है। इसका असर अन्य गांवों में भी महसूस किया जा रहा है। कई किसान और 'दीदी' अब न केवल सिल्क की साड़ियां बुन रहे हैं, बल्कि बड़े मेलों में उन्हें स्टॉल से बेच भी रहे हैं।"
देश भर के विभिन्न राज्यों में बड़े मेलों में महिलाएं अपने कपड़े बेचती हैं। प्रधानमंत्री ने पिछले हफ्ते दिल्ली के हुनर हाट में 10 दिवसीय मेले में इन महिलाओं से मुलाकात की, जिन्हें केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा पारंपरिक कला और शिल्प को मान्यता प्रदान करने के लिए आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि महिलाओं की असाधारण कहानी उन्हें स्टॉल पर खींच लाई।
उन्होंने उन क्षेत्रों में खेती करने के लिए महिलाओं की सराहना की, जो साल 2016 के बाद कई बार बाढ़ से प्रभावित रहा है। यह वही क्षेत्र है जिसने सदियों से बाढ़ की आपदा का सामना किया है। ऐसी स्थिति में खेती और अन्य रास्ते से आय के लिए संसाधनों को जुटाना एक बहुत ही कठिन प्रस्ताव है। लेकिन, पूर्णिया की कुछ महिलाओं ने अपनी मेहनत से एक अलग रास्ता दिखाया है।
पीएम मोदी ने 12 वर्षीय काम्या कार्तिकेयन की उपलब्धि का भी जिक्र किया, जिन्होने इस महीने की शुरुआत में दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट एकॉनकागुआ को शिखर पर पहुंचाने वाली सबसे कम उम्र की लड़की बन कीर्तिमान स्थापित किया है।