जल्द आपके फोन में काम करेगा देश का अपना जीपीएस, फोन की चिपसेट हुई तैयार
स्वदेशी उपग्रह नाविक अब देश के भीतर नेविगेशन उपलब्ध कराने का काम करेगा। मोबाइल कंपनी श्याओमी जल्द ही नाविक का समर्थन करने वाले फोन बाज़ार में उतारने वाली है।
मोबाइल के चिपसेट का निर्माण करने वाली कंपनी क्वालकॉम ने इसरो को नाविक (NavIC) जीपीएस का समर्थन करने वाले चिपसेट की जल्द ही बाज़ार में उतारने का निर्णय लिया है। इसरो का नाविक सेटेलाइट देश और सीमा से 15 सौ किलोमीटर की दूरी तक काम करेगा। श्याओमी अपने स्मार्टफोन में इसे इस्तेमाल करने वाला पहला मोबाइल ब्रांड होगा। नाविक को जीपीएस का स्वदेशी वर्जन भी कहा जा सकता है।
क्वालकॉम के ये चिपसेट GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम) का भी उपयोग करेगी। फिलहाल जीपीएस के लिए वैश्विक स्तर पर GNSS का ही उपयोग होता है। इसमें यूएसए का जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम), यूरोपियन यूनियन का गैलीलियो, रूस का ग्लोनास और ग्लोबल कवरेज के लिए चीन का बेईडू नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम शामिल हैं।
व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले GPS के विपरीत नाविक में सात उपग्रह हैं और उनकी सीमा भारत और इसके आसपास के क्षेत्रों में विस्तारित सीमा में 1,500 किमी तक फैली हुई है, जबकि जीपीएस में 24 उपग्रह शामिल हैं।
तकनीकी रूप से अधिक उपग्रहों के साथ यह प्रणाली अधिक सटीक स्थिति की जानकारी प्रदान करती है। हालाँकि, GPS के 24 उपग्रह पूरी पृथ्वी को कवरेज प्रदान करते हैं, जबकि नाविक के सात उपग्रह केवल भारत और इसके आस-पास के देशों को कवर करेंगे।
इसरो के चेयरमैन डॉ. के सिवान ने प्रेस स्टेटमेंट में कहा है कि,
"ISRO नाविक को लेकर किए गए क्वालकॉम के प्रयासों से प्रसन्न है और हम भारत में लॉन्च होने वाले हैंडसेट के लिए इसका लाभ उठाने के लिए ओईएम से आग्रह करते हैं। नाविक देश भर में स्मार्टफोन की जियोलोकेशन क्षमताओं को बढ़ाने मदद करेगा। यह भारतीय उपभोक्ताओं के दैनिक उपयोग के लिए स्वदेशी समाधान है।”
जीपीएस 20 से 30 मीटर की दूरी तक स्पष्ट जानकारी देता है, जबकि नाविक 20 मीटर तक की सटीकता के साथ रिजल्ट देगा। नाविक सेटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट्स में स्थापित किया गया है, जिसके चलते यह रिसीवर के लिए हमेशा उपलब्ध है।