वर्ल्ड नो टोबैको डे पर विशेष: हर क्लास में एक छात्र बनेगा टोबैको मॉनीटर
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हर साल पूरी दुनिया में 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) मनाया जाता है। 07 अप्रैल 1988 को पहली बार डब्ल्यूएचओ की वर्षगांठ पर विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया गया था। बाद में यह 31 मई को मनाया जाने लगा। इस वर्ष इसकी थीम 'तंबाकू और लंग कैंसर' है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर के कुल धूम्रपाइयों में से 12 प्रतिशत भारत में हैं। तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों की चपेट में आकर हमारे देश में हर वर्ष एक करोड़ लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। तंबाकू के सेवन के विषय में अक्सर दो तरह के उपभोक्ता चर्चा में रहते हैं। एक तो वह लोग जो सीधे धूम्रपान करते हैं और दूसरे धुएं के संपर्क में आने वाले, जिन्हें पैसिव स्मोकर कहते हैं। तीसरी श्रेणी थर्ड हैंड स्मोकर्स की है, जो सिगरेट के अवषेशों जैसे बची राख, सिगरेट बट, और जिस जगह तंबाकू सेवन किया गया है, वहां के वातावरण में उपस्थित धुएं के रसायन के संपर्क में आकर इसके शिकार बनते हैं।
एक सर्वे रिपोर्ट का निष्कर्ष रहा है कि हर धूम्रपायी के शरीर में एक साथ सात हजार से ज्यादा हानिकारक केमिकल्स का असर पड़ता है। इसमें ढाई सौ से ज्यादा केमिकल बेहद खतरनाक और 69 केमिकल कैंसर का कारण बनते हैं। धूम्रपान और तंबाकू से क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डीजीज (सीओपीडी), हृदयधमनी रोग (सीवीडी) और फेफड़े के कैंसर हो जाता है।
तम्बाकू के धुएं में 40 से अधिक रसायनों को कैंसरकारी पाया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और राज्यों से राय लेने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी ताज़ा गाइडलाइंस में निर्देश दिया गया है कि देश के सभी शिक्षण संस्थानों की हर क्लास में एक स्टूडेंट को 'टोबैको मॉनीटर' बनाया जाएगा। साल में दो बार शिक्षण संस्थान को अपना सेल्फ ऐसेसमेंट करना होगा। इसमें वे 100 मार्क्स में अपने को आंकेंगे। यह मार्क्स इस आधार पर तय होगा कि नो टोबैको के लिए क्या-क्या कार्यक्रम किए गए। जो संस्थान सौ में नब्बे नंबर लाएगा, उसको सरकार की ओर से टोबैको फ्री एजुकेशन इंस्टीट्यूट 'टॉफी' का तमगा मिलेगा। उसके बाद वह इंस्टीट्यूट अपने संस्थान के आगे टॉफी संस्थान लिख सकेगा।
मार्केट रिसर्च फर्म, इप्सोस द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया है कि लगभग 40 प्रतिशत भारतीय सिगरेट, गांजा, ई-सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध चाहते हैं। मात्र 36 प्रतिशत भारतीय महसूस करते हैं कि गांजा का चिकित्सा महत्व है और मात्र लगभग 39 प्रतिशत भारतीय इस बात से सहमत हैं कि गांजा चिकित्सा उपयोग के लिए वैध होना चाहिए। लगभग 45 प्रतिशत भारतीय महसूस करते हैं कि ई-सिगरेट का इस्तेमाल अगले 10 वर्षों में और बढ़ सकता है। तंबाकू नियंत्रण के लिए काम करने वाली संस्था 'सलाम बॉम्बे फाउंडेशन' के तीन सौ युवाओं पर किए गए एक सर्वे से पता चला है कि हमारे देश में ई-सिगरेट धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों के सेवन के लिए इंट्री पॉइंट बन रही है।
ज्यादातर युवा केवल दिखावे के लिए ई-सिगरेट का सेवन कर रहे हैं। पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा देश के सभी राज्यों को ऐडवाइजरी जारी कर इसे बैन करने के निर्देश के बावजूद ई-सिगरेट लॉबी से गुमराह लगभग 56 प्रतिशत युवाओं को लगता है कि ई-सिगरेट दूसरे किसी तंबाकू उत्पादों की तुलना में कम हानिकारक है, जबकि चिकित्सकों के मुताबिक, दूसरी सिगरेटों की तरह ही ई-सिगरेट भी स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। इससे कैंसर होने के साक्ष्य मिल चुके हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में पहली बार 'तारी' और एसोचैम की तंबाकू उद्योग पर फोकस रिपोर्ट में बताया गया है कि हमारे देश में लगभग 60 लाख किसान तंबाकू की खेती करते हैं। इसके साथ ही तंबाकू उद्योग और इससे संबंधित कार्यक्षेत्रों से जुड़े करीब 4.57 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी चल रही है।
तंबाकू की खेती में करीब दो करोड़ खेतिहर मजदूर लगे हुए हैं, जिनमें से 40 लाख लोग तंबाकू की पत्तियां तोड़ने वाले और 85 लाख कर्मचारी इसके प्रसंस्करण-उत्पादन-निर्यात कारोबार में काम कर रहे हैं।
लगभग 72 लाख लोग तंबाकू के खुदरा कारोबार में लगे हुए हैं। भारत दुनिया 100 से ज्यादा देशों का अग्रणी तंबाकू निर्यातक है, जिसे इस कारोबार से सालाना छह हजार करोड़ रुपये की विदेशी कमाई हो रही है। तंबाकू पत्तियों का कुल वैश्विक निर्यात कारोबार 12 अरब डॉलर का है, जिसमें भारत की पांच प्रतिशत हिस्सेदारी है। दशकों से पूरे विश्व में तमाम मानव संगठन तंबाकू का कारोबार पूरी तरह प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं।