ऑफ़िस के टी ब्रेक को और भी मज़ेदार बनाने के लिए शुरू की कंपनी, टर्नओवर 1 करोड़ के पार
पूरे भारत में चाहे वह स्टार्टअप्स हों, बड़े कॉर्पोरेट ऑफ़िस हों या फिर अन्य छोटी कंपनियों के दफ़्तर, सभी में एक चीज़ ऐसी है, जो कॉमन है और वह है वहां होने वाले टी ब्रेक्स। शाम होते ही, ऑफ़िस के बाहर वाले टी स्टॉल्स पर या फिर ऑफ़िस में लगी वेंडिंग मशीन पर लंबी कतारें देखने को मिलती हैं। कुछ दफ़्तरों में बाहर से चाय की सप्लाई होती है और चाय वाला लोगों की डेस्ट या क्यूबिकल में आकर चाय देकर जाता है।
भारत के लगभग हर दफ़्तर में प्रचलित इस ट्रेंड में आईआईएम-लखनऊ से पढ़े दो दोस्तों राघव अरोड़ा और ललित अग्रवाल को एक शानदार बिज़नेस आइडिया नज़र आया। उन्होंने पिछले साल ही दिल्ली से कैवल्य फ़ूड्स ऐंड बेवरेजेज़ नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर कराई और एफ़ 5 नाम से अपना वेंचर लॉन्च किया। इसके माध्यम से कंपनी के फ़ाउंडर्स हर दिन दफ़्तरों में फ़्रेश बेवरेजेज़ और रिफ़्रेशमेंट्स के विकल्प पहुंचाना चाहते हैं।
कंपनी के को-फ़ाउंडर राघव का कहना है कि भारत की लगभग 90 प्रतिशत कामगार आबादी, अनऑर्गनाइज़्ड सेक्टर में काम करती है और अभी भी उनके सामने आफ़िस में काम से ब्रेक मिलने पर रिफ़्रेशमेंट्स के लिए ऐसे विकल्प मौजूद होते हैं, जिन्हें स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं माना जा सकता।
राघव का कहना है, "ज़्यादातर लोगों की यही कहानी है और उन्हें ऑफ़िस में ब्रेक के समय आस-पास के दुकानदारों से खाने का सामान लेना पड़ता है, जहां पर वैराएटी और प्रोफ़ेशनलिज़म की कमी होती है। सेमी-ऑर्गनाइज़्ड और ऑर्गनाइज़्ड सेक्टर में आमतौर पर वेंडिंग मशीनें होती हैं या उनकी ख़ुद की पैंट्री होती है। वेंडिंग मशीन्स से निकलने वाले प्रोडक्ट्स का टेस्ट आमतौर पर लोगों को पसंद नहीं आता।"
टी टाइम में चाय पॉइंट और चायोज़ जैसे स्टार्टअप्स ने सेंध लगा दी है और उन्होंने वेंडिंग मशीनें बनाने वाली कंपनियों के साथ समझौता करते हुए ऑफ़िसों में अपनी अच्छी पहुंच बना ली है। राघव का मानना है कि ये प्रोडक्ट्स रोज़मर्रा के रिफ़्रेशमेंट्स के हिसाब से काफ़ी महंगे साबित होते हैं। उन्होंने आगे बताया कि एफ़ 5 का लक्ष्य है कि इस स्थिति को बदला जाय और लोगों तक ऐसे बेवरेजेज़ और स्नैक्स पहुंचाए जाएं, जिनका टेस्ट लोगों की पसंद के मुताबिक़ हो और साथ ही, ये प्रोडक्ट्स उनके जेब पर भी किसी तरह का दबाव न डालें।
राघन का कहना है, "हमने रिफ़्रेशमेंट्स को एक धागे के रूप में विकसित किया, जो हमारे ग्राहकों के एक प्लेटफ़ॉर्म पर ला सके और एक ऐसी सप्लाई चेन तैयार कर सके, जो अक्सर हमारे ग्राहकों से संपर्क बना सके। हमारा मानना था कि इस तरह से हम एक बड़ा कन्ज़्यूमर बेस तैयार कर पाएंगे।" उन्होंने अपने इस आइडिया के संदर्भ में डेली निन्जा, दूधवाला और मिल्कबास्केट स्टार्टअप्स का उदाहरण दिया।
राघव बताते हैं कि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी, लोगों के स्थानीय दुकानदारों के पास से सामान ख़रीदने के ट्रेंड को ख़त्म करना क्योंकि लोग इन दुकानदारों से एक अलग क़िस्म का व्यवहार बना लेते हैं। इस चुनौती को पार करने के लिए राघव की कंपनी ने अपने प्रोडक्ट्स की रेंज और उनकी वाजिब क़ीमत और सुविधाओं के स्तर पर काफ़ी रिसर्च की और फिर एक प्रभावी मार्केटिंग कैंपेन के ज़रिए अपनी सर्विसेज़ के बारे में लोगों को जानकारी दी।
राघव ने जानकारी दी, "हमारे पास अपनी ख़ुद की मार्केटिंग/सेल्स टीम है, जो सीधे हमारे ग्राहकों तक पहुंचती है और नए क्लाइंट्स लाने की कोशिश करती है। आमतौर पर हम पुश मार्केटिंग स्ट्रैटजी की मदद लेते हैं, जिसके अंतर्गत हमारे मार्केटिंग एग्ज़िक्यूटिव्स हमारे संभावित ग्राहकों तक जाते हैं और उन्हें हमारे स्टार्टअप से जोड़ने की कोशिश करते हैं। इन संभावित ग्राहकों तक हम अपने पुराने ग्राहकों की मदद से पहुंचते हैं।" साथ ही, राघव बताते हैं कि उनकी टीम अभी एक प्रभावी ऐप और वेबसाइट विकसित करने की दिशा में काम कर रही है।
वर्किंग मॉडल
सब्सक्रिप्शन आधारित मॉडल के तहत एफ़ 5 के डिलिवरी पार्टनर्स एक निर्धारित समय पर ग्राहकों तक रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाले रिफ़्रेशमेंट्स पहुंचाते हैं। हाल में, स्टार्टअप बेवरेजेज़ के लिए प्रति लीटर के आधार पर चार्ज करता है। इसके अतिरिक्त सब्सक्रिप्शन के लिए और कोई क़ीमत नहीं ली जाती।
वर्तमान में एफ़ 5 ने ऑनलाइन फ़ूड डिलिवरी प्लेटफ़ॉर्म्स के साथ पार्टनरशिप कर रखी है। राघव ने बताया कि उनके स्टार्टअप के पास हाल में 14 डिलिवरी पार्टनर्स हैं, जो लखनऊ और दिल्ली में प्रोडक्ट्स की डिलिवरी की देखभाल कर रहे हैं।
स्टार्टअप की टीम हब ऐंड स्पोक मॉडल के तहत भी काम करती है, जिसके अंतर्गत उन्होंने क्लाउड किचन्स तैयार किए हैं, जो 7-8 किमी.के दायरे में अपनी सर्विसेज़ देते हैं। एक किचन रोज़ाना 500 लीटर तक बेवरेजेज़ तक सर्व कर सकता है और रोज़ाना 800-1000 दुकानों तक माल पहुंचा सकता है। राघव बताते हैं कि उनके स्टार्टअप का हाल में ग्रॉस मार्जिन 62 प्रतिशत तक है और नेट प्रॉफ़िट मार्जिन 40 प्रतिशत तक है।
मार्केट के अंदाज़े के मुताबिक़, रेडीमेट टी का मार्केट 33 हज़ार करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है और यह मार्केट 15 प्रतिशत की सालाना विकास दर के साथ बढ़ रहा है। राघव बताते हैं कि एफ़ 5 के माध्यम से अभी तक रिफ़्रेशमेंट्स के 1 मिलियन से भी ज़्यादा कप्स बेचे जा चुके हैं, जिनमें से 5 लाख कप्स पिछली तिमाही में ही बिके। उनका दावा है कि कंपनी ने 1 करोड़ रुपए के सालाना रेवेन्यू का आंकड़ा पार कर लिया है और 5000 से भी ज़्यादा कप्स कंपनी द्वारा रोज़ाना बेचे जा रहे हैं।
एफ़ 5 की टीम फ़िलहाल निवेश जुटाने की कोशिश में लगी हुई है। राघव बताते हैं कि टीम कंपनी जल्द से जल्द अपना ऐप लॉन्च करने की भी योजना बना रही है और साथ ही, उनकी कोशिश है कि अगले एक साल के भीतर दिल्ली में 15 और किचन्स तैयार किए जाएं।
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