ब्लड टेस्ट के दौरान सूई से डर लगता है? भुवनेश्वर के स्टार्टअप EzeRx ने बनाई बिना शरीर में प्रवेश के खून जांचने वाली पहली मशीन
2018 में पार्थ प्रतीम दाम ने चैताली रॉय और सुदीप रॉय चौधरी के साथ मिलकर ईजीआरएक्स (EzeRx) नाम से एक स्टार्टअप शुरु किया। कंपनी ने 'ईजीचेक' नाम की एक पोर्टेबल डिवाइस विकसित की है, जो बिना आपके शरीर में घुसे ही और बिना आपके शरीर से एक भी बूंद खून निकाले आपके ब्लड पैरामीटर की जांच कर सकती हैं।
हममें से अधिकतर लोग हॉस्पिटलों में जाने से इसलिए डरते हैं क्योंकि वहां ब्लड टेस्ट के लिए शरीर में सूई लगाकर खून निकाला जाता है। खैर अब इससे और डरने की बात नहीं है क्योंकि इसका एक विकल्प आ चुका है। इस विकल्प का श्रेय जाता है भुवनेश्वर मुख्यालय वाली स्टार्टअप EzeRx को। इस कंपनी ने एक अनोखी मेड इन इंडिया डिवाइस विकसित की है, जो शरीर में घुसे बिना और बिना आपके शरीर से एक भी बूंद खून निकाले आपका ब्लड टेस्ट कर सकती है। वो भी किफायती दाम में और रिकॉर्ड में।
YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ एक बातचीत में, EzeRx के को-फाउंडर पार्थ प्रतिम दास ने दिखाया कि कैसे EzeCheck नाम की यह पोर्टेबल डिवाइस पांच अलग-अलग ब्लड पैरामीटर की जांच करता है। इसमें हीमोग्लोबिन, ऑक्सीजन सैचुरेशन, बिलीरुबिन, क्रिएटिनिन और ब्लड में ग्लूकोज का स्तर नापने जैसे पैरामीटर शामिल हैं। जांच के लिए मरीज को बस अपनी अनामिक ऊंगली को डिवाइस पर रखना होगा। महज 10 से 20 सेकंड में मरीज को टेस्ट के आंकड़े मिल जाते हैं और प्रत्येक ब्लड टेस्ट की लागत करीब 35 रुपये आती है।
YourStory की श्रद्धा शर्मा के साथ पार्थ के बातचीत का पूरा वीडियो आप यहां देख सकते हैं, जिसमें श्रद्धा शर्मा ने इस इंडस्ट्री से जुड़े स्टेकहोल्डर्स और इनेबलर्स को निवेश और दूसरे माध्यमों से EzeRx को सपोर्ट करने को कहा है। आप भी [email protected] के जरिए जुड़कर ऐसा कर सकते हैं।
पार्थ प्रतिम दास ने चैताली रॉय और सुदीप रॉय चौधरी के साथ मिलकर 2018 में EzeRx की शुरूआत की। EzeRx का मतलब है ‘Easy for prescription’ यह शुरुआती चरण में प्राथमिक स्वास्थ्य मापदंडों की पहचान करने के लिए आसान और दर्दरहित डायग्नोस्टिक समाधान प्रदान करता है। पहले यह स्टार्टअप कोलकाता में शुरु किया गया था। यह आसान और सस्ती डायग्नोस्टिक समाधानों को मुहैया कर स्वास्थ्य निवारक को भारतीयों के लिए अधिक आकर्षक और सुलभ बनाने के लिए काम कर रही है।
पार्थ ने YourStory को बताया, "45 से अधिक उम्र वाले हर 11 में से एक वयस्क को किडनी से जुड़ी पुरानी बीमारी। 45 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 80 प्रतिशत लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और हर 3 में से 2 महिलाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम है। इसके अलावा, लगभग 10 लाख लोगों को हर साल लीवर की समस्याओं का पता चलता है। ये सभी देश की बहुत बड़ी समस्याएं हैं। हालांकि अगर इन बीमारियों का अनुमान एकदम शुरुआती स्तर पर ही लगाया जा सकता है, तो यह स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक बड़ा गेम-चेंजर होगा।"
पार्थ ने बताया कि EzeCheck डिवाइस को सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) से सर्टिफिकेट मिल चुका है और इसकी सटीकता दर 95 प्रतिशत से अधिक है। EzeRx अब अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पैर पसारने करने के लिए सर्टिफिकेट हासिल करना चाहती है।
ब्लड टेस्ट को दर्दरहित बनाना
पार्थ ने बताया कि ब्लड टेस्ट के परिणामों को EzeRx की डिवाइस पर भी उत्पन्न किया जा सकता है, जो स्पेक्ट्रोस्कोपी पर करती है। साथ ही इन परिणाणों को मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर भी हासिल किया जा सकता है। रिपोर्ट को व्हाट्सएप के जरिए सेकंडों में शेयर भी किया जा सकता है।
इससे पहले, स्टार्टअप ने एनीमिया, लीवर और फेफड़ों से से जुड़े स्वास्थ्य मुद्दों की जांच के लिए AJO (एनीमिया, पीलिया, और ऑक्सीजन सैचुरेशन के लिए संक्षिप्त नाम) नाम से एक पोर्टेबल डायग्नोस्टिक डिवाइस विकसित किया था। यह डिवाइस भी आपके शरीर को छुए या प्रवेश किए बिना काम करती है। साथ ही इसमें इंटरेनट ऑफ थिंग्स (IoT) की तकनीक भी है।
AJO को भी जांच प्रक्रिया को रक्तहीन और दर्दरहित बनाने के लिए डिजाइन किया गया था, जो कंजनक्तिवा से निकलने वाली स्पेक्ट्रोस्कोपिक सिग्नल, पलकों के अंदर की रेखा को दर्शाने वाली स्पष्ट झिल्ली को मापता है और आंख के सफेद हिस्से कवर करता है, ताकि मरीज के हीमोग्लोबिन, बिलीरुबिन और ऑक्सीजन सैचुरेशन से जुड़े डेटा मुहैया कराए जा सके।
AJO जहां यूजर्स की आंखों को स्कैन करके डेटा एकत्र करता है, वहीं EzeCheck ब्लज पैरामीटर के जांच उपकरण का एक और संस्करण है जो केवल उंगली को छूकर डेटा एकत्र करता है।
EzeCheck 2500 mAh की क्षमता वाला बैटरी संचालित उपकरण है और यह 10 से 12 घंटे तक चल सकता है। यह डिवाइस भारत में निर्मित है, और एक को छोड़कर इसके सभी कंपोनेंट्स भी भारत में ही बनते हैं। एक कंपोनेंट्स जापान से आयात होता है।
इससे पहले पार्थ ने कहा था, “हमारी लगभग 75 प्रतिशत आबादी ग्रामीण भारत से है और वे रोकथाम के बजाय उपचार के जरिए स्वास्थ्य देखभाल के दृष्टिकोण में विश्वास करते हैं। यह एक बड़ी समस्या है।
शुरुआती चरण में ही प्राथमिक स्वास्थ्य मापदंडों की पहचान करना है, ताकि हम आसानी से लीवर, फेफड़े और गुर्दे की समस्या और यहां तक कि एनीमिया जैसी पोषण से जुड़ी बीमारियों का अनुमान लगा सकें। साथ ही हम उनके ब्लड में ग्लूकोज लेवल का भी पता पता लगा सकते हैं, ताकि मरीज का पूरी तरह से इलाज हो सके। इलाज। हमारी यही सोच है।"
YourStory के साथ पिछली बातचीत में, पार्थ ने बताया था कि EzeRx में मुख्य रूप से दो बिजनेस वर्टिकल हैं - पहला, जिसमें यह शरीर में बिना प्रवेश वाले प्रीस्क्रीनिंग डायग्नोस्टिक्स डिवाइस मुहैया कराती है, और दूसरा, जहां यह ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में टेलीडेंटिस्ट्री नेटवर्क खड़ा कर रही है।
इसके अलावा, EzeRx ओरल कैंसर और पूर्व कैंसर वाले घावों का पता लगाने के लिए ओरलओस्कोप (OralOScope) समाधान भी मुहैया कराती है। ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में दांतों से जुड़ी गुणवत्तापूर्ण उपचार मुहैया कराने में मदद करने के लिए इससे पास 'अरोग्य' नाम से एक टेलीडेंटिस्ट्री प्लेटफॉर्म भी है।
पार्थ कहते हैं कि EzeCheck डिवाइस B2B ग्राहकों के लिए उपलब्ध होगी जिसमें अस्पताल, नर्सिंग होम, एनजीओ, सीएसआर संगठनों शामिल हैं। इसे इन्होंने डिवाइस-एज-ए-सर्विस (DaaS) मॉडल नाम दिया है।
उन्होंने बताया “हम उपकरणों की बिक्री नहीं कर रहे हैं, बल्कि DaaS मॉडल पर काम कर रहे हैं। शुरुआत में, हम 1500 टेस्ट के लिए लगभग 35,000 रुपये चार्ज कर रहे हैं। इसमें क्रिएटिन और ब्लड ग्लूकोज जैसे टेस्ट शामिल है।"
EzeCheck बनाम AJO
AJO उपकरण की कीमत जहां लगभग 3 लाख रुपये है। वहीं EzeCheck डिवाइस की कीमत काफी कम है। इसी से टीयर 2 और 3 शहरों में स्थित अस्पताल, राज्य सरकार के निकाय, फार्मा कंपनियां और स्वास्थ्य बीमा कंपनियां आदि इसकी तरफ आकर्षित हो रही हैं। इसके अलावा EzeCheck का वजन भी काफी कम है, जिससे उसे कहीं ले जाना आसान है।
पार्था ने बताया, “हम एक वर्ष में 10,000 डिवाइस प्रदान कर सकते हैं। इसका मतलब है कि प्रति दिन दो लाख से अधिक टेस्ट किए जा सकते हैं और रोजाना 50 लाख रुपये की आमदनी हासिल की जा सकती है। अब हमें सही रणनीतियों पर विचार करने की आवश्यकता है कि हम कैसे राज्य सरकारों के साथ जुड़ सकते हैं और धन जुटा सकते हैं। ये भविष्य की तकनीकें हैं और इसलिए हमें अनुसंधान एवं विकास, उत्पादों के निर्माण और बिक्री के लिए अधिक वर्किंग कैपिटल की जरूरत है।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के निवेश वाली स्टार्टअप ने अक्टूबर 2020 में सीडी राउंट में ओडिशा स्थित इनक्यूबेटर KIIT-TBI की अगुआई में 1.75 करोड़ रुपये का फंड जुटाया था। अमेरिका और भारत के अन्य एंजल निवेशकों ने भी इस फंडिंग राउंड में भाग लिया था। इससे पहले इसने 'इन्वेंट' नाम के एक प्रोग्राम से 25 लाख रुपये का फंड जुटाया था।
फाउंडर ने खुलासा किया कि आने वाले समय में EzeRx अपने उत्पाद का विस्तार भी करेगी, ताकि अधिक स्वास्थ्य मुद्दों पर डायग्नोस्टिक समाधान मुहैया कराया जा सके।
पार्थ कहते हैं कि EzeRx वर्तमान में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में डिवाइस को तैनात करने के लिए स्टेकहोल्डर्स के साथ फंड और नेटवर्क जुटाने की तैयारी में है। यह अस्पतालों, नर्सिंग होम, केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं, गैर सरकारी संगठनों के साथ काम करने के मौके भी तलाश रही है।