मुश्क़िल प्रोजेक्ट्स पूरे करने में इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की मदद के लिए इन दो दोस्तों ने शुरू किया स्टार्टअप
पराश पी बोरठाकुर और नीलपाल राभा ने गुवाहाटी के रॉयल स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नॉलजी से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। ग्रैजुएशन के अंतिम वर्ष के दौरान दोनों ने अपने प्रोजेक्ट को पूरा करने में कई चुनौतियों का सामना किया। उन्हें एक प्रोजेक्ट पर काम करना था और उन्हें अपने प्रोजेक्ट के लिए इलेक्ट्रिकल कॉम्पोनेन्ट्स की ज़रूरत थी, लेकिन उन्हें ये सामान जुटाने में बहुत मुश्क़िल पेश आ रही थी।
पराश कहते हैं,
"विद्यार्थियों के लिए इलेक्ट्रिकल और रोबोटिक कॉन्पोनेन्ट्स जुटाना टेढ़ी खीर होती है क्योंकि बाज़ार में ये सामान आसानी से उपलब्ध नहीं होते या फिर बहुत ही महंगे होते हैं।"
इस समस्या को सुलझाने के उद्देश्य के साथ, पराश और नीलपाल ने सितंबर, 2014 में एक इलेक्ट्रिकल ईकॉमर्स प्लैटफ़ॉर्म- ओलाटस (OLatus) की शुरुआत की। आज की तारीख़ में, ओलाटस न सिर्फ़ उत्तर-पूर्व भारत में रजिस्टर होने वाली शुरुआती इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों में से एक है, बल्कि इसकी अपनी एक रिसर्च टीम है, जो किफ़ायती दामों में नई तकनीकें और उत्पाद विकसित कर रही है। कंपनी ने अपनी एक टीम स्कूलों और कॉलेजों में वर्कशॉप्स आयोजित करने के लिए तैयार की है और साथ ही, कंपनी अरुणाचल प्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी निदेशालय को डीआईवाय (डू इट योरसेल्फ़) किट भी सप्लाई करती है।
स्टार्टअप, इंडस्ट्रियल कस्टम डिवाइसेज़ और स्मार्ट होम ऑटोमेशन डिवाइसेज़ विकसित करता है। कंपनी कुछ गैर-सरकारी संगठनों के लिए जानवरों हेतु व्हील कार्ट्स भी तैयार कर चुकी है।
पराश कहते हैं,
"हम एक रोबोटिक व्हीलचेयर भी तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं, जो बच्चों और दिव्यांगों के लिए मददगार हो।"
कंपनी के को-फ़ाउंडर्स ने 2 लाख रुपए की निजी बचत के साथ कंपनी की शुरुआत की थी। वित्त वर्ष 2017-18 में कंपनी ने 1.2 करोड़ रुपए का रेवेन्यू हासिल किया। पराश का कहना है कि उत्तर-पूर्व भारत को तकनीक की मदद से दुनिया के सिलिकल ट्रेड रूट की मुख्यधारा में लाना उनका उद्देश्य है।
शुरुआती दौर में पराश और नीलपाल, दिल्ली या मुंबई के डिस्ट्रिब्यूटर्स और थोक विक्रताओं से इलेक्ट्रिकल कॉम्पोनेन्ट्स लेते थे। इस वजह से वे गुवाहाटी में तो ये कॉम्पोनेन्ट्स बाक़ी लोगों से अपेक्षाकृत कम दामों में बेच पा रहे थे, लेकिन ईकॉमर्स प्लैटफ़ॉर्म पर उन्हें कुछ ख़ास प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी। इसके बाद कंपनी के फ़ाउंडर्स ने एजुकेशन सिस्टम में प्रवेश किया और गुवाहाटी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए हैंडबुक्स की एक सीरीज़ का प्रकाशन शुरू किया।
पराश ने जानकारी दी कि उन्होंने पिछले वर्षों के प्रश्न-पत्रों के हल निकालकर प्रकाशित किए और करीब 25,000 प्रतियां बेचीं। कुछ समय बाद बाज़ार में उनके सॉल्यूशन्स के फोटोकॉपी और प्रतियां इत्यादि आ गईं और उनकी हैंडबुक्स की मांग में गिरावट आने लगी। इसी समय दोनों ने प्रोजेक्ट में मदद करने के लिए इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के लिए कार्यशालाएं (वर्कशॉप्स) शुरू कीं।
एजुकेशन इंडस्ट्री में उतरने के बाद भी उन्होंने अपने ईकॉमर्स प्लैटफ़ॉर्म का काम जारी रखा। जून 2017 में एम. टेक. पूरा होने के बाद दोनों ने अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की। पराश कहते हैं इस दौरान उन्होंने अपना पूरा ध्यान अपने बिज़नेस की ओर किया। इलेक्ट्रिकल कॉम्पोनेन्ट्स के लिए उन्होंने मुंबई या दिल्ली से सामान मंगवाने के बजाय सीधे चीन से सामान मंगवाना शुरू किया।
ओलाटस ने कोलकाता में एडी इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ सर्किट्स और सेंसर बोर्ड्स की मैनुफ़ैक्चरिंग के लिए करार किया, जबकि डिज़ाइनिंग की जिम्मेदारी स्टार्टअप ने अपनी टीम के पास ही सुरक्षित रखी। पराश बताते हैं कि उनकी कंपनी कक्षा 6 के बाद से लेकर इंजीनियरिंग तक विद्यार्थियों के लिए डीआईवाय किट्स भी तैयार करती है।
ओलाटस, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग के अंतर्गत पंजीकृत भी है। इस विभाग को अब उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के नाम जाना जाता है। अभी तक ओलाटस 500 से ज़्यादा प्रोजेक्ट्स पूरे कर चुका है और 1,000 से ज़्यादा विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दे चुका है। पराश ने जानकारी दी कि कंपनी अभी तक अपने उत्पादों की 1 लाख यूनिट्स बेच चुकी है। कंपनी के फ़ाउंडर्स ने बताया कि उन्हें ज़्यादातर ऑर्डर्स गुवाहाटी, बिहार और शिलॉन्ग से मिलते हैं।
भविष्य की योजनाओं के बारे में चर्चा करते हुए पराश ने बताया कि पीसीबी (प्रिंटेड सर्किट बोर्ड) इंडस्ट्री, लीथियम इंडस्ट्री में और अधिक आगे बढ़ने के साथ-साथ वैश्विक बाज़ारों में अपने उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य के साथ कंपनी अगले एक साल में फ़ंडिंग हासिल करने की जुगत में लगी हुई है। साथ ही, पराश ने बताया कि कंपनी ख़ुद से मैनुफ़ैक्चरिंग शुरू करने के लिए मशीनें ख़रीदने की भी योजना तैयार कर रही है।