नीलम की पहल से मदुरै की महिलाओं को मिला रोजगार, साथ ही आइकिया की सस्टेनबल रेंज को मिल रहा है दक्षिण भारतीय टच
स्वीडिश फर्नीचर ब्रांड आइकिया के साथ काम करते हुए इंडस्ट्री की संस्थापक नीलम छिबर मदुरै के कारीगरों को रोजगार उपलब्ध कराने का काम कर रही हैं। नीलम की पहल के जरिये महिलाएं न सिर्फ सशक्त बन रही हैं, बल्कि उन्हे आजीविका के लिए विकल्प भी मिल रहा है।
श्रीदेवी एम अपने दिन की शुरुआत सुबह सात बजे से करती हैं। वह मदुरै के बाहरी इलाके तिरुपुरकुंडम में स्थित इंडुस्ट्री (Industree) के सेंट्रल प्रोडक्शन हब में काम के लिए कुछ किलोमीटर ट्रैवल करती हैं। 8,000 रुपये की उनकी मासिक आय से उन्हें अपना घर चलाने के साथ-साथ अपने सात साल के बेटे को स्कूल भेजने में मदद मिलती है।
हाथ में धागे से बुने एक पीस को पकड़े जिसे उन्होंने खुद से बुना है, श्रीदेवी कहती हैं कि वह आज जो कुछ भी कर पा रही हैं उसके लिए अपनी नौकरी की आभारी है। वे कहती हैं,
"यहां काम करना न केवल मेरे लिए आजीविका सुनिश्चित करता है, बल्कि इससे मुझे पांच लोगों के परिवार को चलाने में भी मदद मिलती है।"
श्रीदेवी की ही तरह, इस 10,000 वर्गफुट के प्रोडक्शन हब पर काम करने वाली कुछ सौ महिलाएं हैं, जो बुनाई, कटोरे, टोकरी, और फूलदान बनाने सहित विभिन्न गतिविधियों में लगी हुई हैं। ये सभी प्राकृतिक और टिकाऊ सामग्री का उपयोग करके बनाए जाते हैं।
वे सभी हंटवेर्क (Hantverk) जोकि स्वीडिश फर्नीचर ब्रांड आइकिया (Ikea) का लिमिटेड एडिशन प्रोडक्ट्स रेंज है, का निर्माण करने के लिए काम कर रहे हैं, जिसमें कुशन कवर, थ्रोज, बास्केट, कटोरे, फीलदान आदि शामिल हैं। इन्हें केले के फाइबर, हस्तनिर्मित कागज, सिरेमिक और कपास का उपयोग करके बनाया जाता है।
वे सभी हंटवेर्क, स्वीडिश फर्नीचर ब्रांड आइकिया के सीमित संस्करण के उत्पाद रेंज का निर्माण करने के लिए काम कर रहे हैं, जिसमें कुशन कवर, थ्रो, बास्केट, कटोरे, फूलदान आदि शामिल हैं। इन्हें केले के फाइबर, हस्तनिर्मित कागज, सिरेमिक और कपास का उपयोग करके बनाया गया है।
मदुरै से काम करना
तमिलनाडु का एक जिला मदुरै ऐतिहासिक रूप से अपने प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। लेकिन यह कपड़ा और कपास का भी केंद्र रहा है। यह अब आइकिया के मुख्य केंद्रों में से एक है, जहां यह स्थानीय कारीगरों के साथ कोलैबोरेशन करता है। हालांकि इंडुस्ट्री का मुख्यालय बेंगलुरु में है, लेकिन 2018 में, फर्म ने अपना प्रोडक्ट हब मदुरै में स्थानांतरित कर दिया।
नीलम छिबर द्वारा स्थापित, Industree Foundation के प्रसिद्ध ब्रांडों में से एक मदर अर्थ है। और कंपनी 2008 से आइकिया के साथ जुड़ी हुई है। इंडुस्ट्री द्वारा अपने प्रोडक्शन हब को मदुरै में स्थानांतरित करने के पीछे एक कारण ये भी है कि केले के फाइबर को बेंगलुरु जैसी नम जगह में संभालना मुश्किल है। फाइबर बेकार हो जाएगा जब तक कि इसे अपसायकल न किया जाए। मदुरै केले के खेतों के बेहद करीब है, इस प्रकार फर्म के लिए लॉजिस्टिक में भी आसानी होती है।
भारत के साथ आइकिया का प्रयास
आइकिया ने 2017 में हैदराबाद में अपने इंडिया रिटेल ऑपरेशन को शुरू किया था, तब से ये फर्नीचर ब्रांड लिमिटेड एडिशन प्रोडक्ट रेंड बनाने के लिए स्थानीय कारीगरों के साथ कुछ समय के लिए काम कर रहा है। इस बारे में बात करते हुए, आइकिया इंडिया की कम्युनिकेशन और इंटीरियर मैनेजर मिया ओलसन ने YourStory को बताया,
“आइकिया दुनिया भर में अपने स्टोर के लिए 39 से अधिक वर्षों से भारत से सोर्सिंग कर रहा है। इन वर्षों में, आइकिया ने कई कलेक्शन के निर्माण के लिए कई असंख्य भारतीय कारीगरों के साथ काम किया है, जिन्हें भारतीय डिजाइन संवेदनाओं के बारे में पता है जो नॉर्डिक डिजाइनों के साथ पूरी तरह से मेल खाती हैं। कच्चे माल की सोर्सिंग के अलावा, भारत उन तैयार उत्पादों में भी योगदान देता है, जो सभी वैश्विक स्टोर पर बेचे जाते हैं। इनमें रग्स, कारपेट, वस्त्र, फर्नीचर और अन्य घरेलू सामान शामिल हैं। हाल के दिनों में, ऐसे कई कलेक्शन तैयार किए गए हैं जिनमें आइकिया ने भारतीय कारीगरों के साथ काम किया है जैसे कि उर्सप्रुन्ग्लिग और इननेहेल्स्रिक और एंगलटारा, जिनमें अलग-अलग भारतीय डिजाइन को दर्शाया गया हैं।"
हंटवेर्क के लिए, इंडुस्ट्री के साथ टाईअप ने डिजाइनों को अंतिम रूप देने की 18 महीने की प्रक्रिया को पूरा किया, जिसमें प्रोटोटाइप और अंतिम उत्पादन शामिल थे। मिया ने बताया,
''इंडस्ट्री ने पहले हमें प्रोटोटाइप भेजे और प्रोटोटाइप फाइनल होने के बाद, उन्होंने प्रोडक्ट्स बनाना शुरू कर दिया, जो अब दुकानों पर उपलब्ध है।''
कंपनी इस रेंज के लिए थाईलैंड, जॉर्डन और रोमानिया के कारीगरों के साथ भी काम कर रही है।
इंडुस्ट्री के लिए, आइकिया जैसे ब्रांड के साथ काम करने से यह सुनिश्चित हुआ कि यह अधिक महिलाओं को सशक्त बना सके और उन्हें अच्छी आजीविका के विकल्प प्रदान कर सके। नीलम कहती हैं,
“नब्बे के दशक में, जब मैंने इंडस्ट्रियल डिजाइन में अपना कोर्स पूरा किया, तो मैं भारतीय डिजाइनों के बारे में अधिक समझना चाहती थी। इसलिए, मैं पारंपरिक शिल्प के बारे में जानने के लिए देश के सबसे दूर दराज के गांवों में गई, और मैंने इसे एक ऐसे उद्योग के तौर पर पाया जो दम तोड़ रहा था। प्राथमिक कारण यह था कि इन कारीगरों के पास जो ग्राहक थे वे केवल उनके समुदाय के ही लोग थे, जो अब मौजूद नहीं थे, और उनकी किसी बिक्री चैनल से शायद ही कोई कनेक्टिविटी थी। इसने मुझे इंडस्ट्री शुरू करने के लिए प्रेरित किया।"
एक बड़े बाजार तक पहुंच
समय के साथ, इंडुस्ट्री फाउंडर ने यह भी महसूस किया कि B2C मार्केट ने मौजूद रोजगार विकल्पों को उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक मात्रा और पैमाना नहीं दिया या उन अर्थशास्त्रियों पर खर्च नहीं किया जो सुनिश्चित करें कि कारीगरों की कुछ कमाई हो सके।
वे कहती हैं,
“आइकिया के साथ काम करने से काम और आय का एक स्थिर प्रवाह सुनिश्चित हुआ। इसके अलावा, साझेदारी एक निश्चित प्रक्रिया के तहत होती जो सबसे छोटे उद्यमों को जवाबदेह बनाती है। हम सभी महिला कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 6,000 से 8,000 रुपये, सामाजिक कल्याण, साप्ताहिक अवकाश, ग्रेच्युटी और अन्य लाभ प्रदान करते हैं।"
आइकिया की एक टीम महिलाओं के साथ मिलकर उन्हें उत्पादों के उत्पादन और परीक्षण पर प्रशिक्षित करने का काम करती है। नीलम इंडुस्ट्री के प्रमुख एडवांटेज में से एक के बारे में बताती हैं कि महिलाओं को यहां सिर्फ उत्पादों को बनाने पर ध्यान केंद्रित करना है, बाकी का मैनेजमेंट और शिपिंग कंपनी देखती है।
उत्पाद दुनिया भर के सभी आइकिया स्टोरों और ब्रांड की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं। आइकिया अपनी हंटवेर्क रेंज के लिए को-डिजाइन मॉडल को फॉलो करती है।
मिया बताती हैं कि हंटवेर्क के लिए प्राइमरी डिजाइन आइकिया डिजाइनर आईना वुओरिविर्ता द्वारा बनाए गए हैं। यह आइडिया आधुनिक स्कैंडिनेवियाई डिजाइन सौंदर्यशास्त्र के साथ स्थानीय भारतीय विनिर्माण संवेदनशीलता के साथ मिलाने का है।
डिजाइनर ने इन अद्वितीय उत्पादों के साथ आने के लिए सामाजिक उद्यमियों के साथ मिलकर काम किया है, जिन्हें "सह-निर्मित उत्पाद" कहा जाता है।
मिया कहती हैं,
“सामाजिक उद्यमियों ने डिजाइनर को अंतिम रूप देने के लिए प्रोटोटाइप साझा किए हैं। वे क्वालिटी जांच से गुजरते हैं और फिर उत्पादों को बनाया जाता है और फिर उन्हें स्टोर में भेज दिया जाता है। इंडुस्ट्री की बात करें तो उसने बनाना फाइबर बास्केट की पहचान की है, और हर स्टेप पैटर्न का निर्धारण करने से लेकर मटेरियल के चयन और बुनाई तक का काम दक्षिणी भारत में महिला कारीगरों द्वारा किया जाता है। हम वास्तव में कुछ सुंदर बनाने के लिए कारीगरों और उनके कौशल की सराहना करना चाहते हैं और इसे पूरी तरह से नया मूल्य देते हैं।”
वर्तमान में, इंडुस्ट्री लगभग 1,050 सहकर्मियों के लिए नौकरियों का सृजन करती है, 620 महिला टोकरी बुनकर हैं। नीलम कहती हैं कि वे महिलाओं की इस संख्या को बढ़ाना चाहती हैं। इसका मतलब स्थानीय कारीगरों, खासकर थिरुपरनकुंडराम, मदुरै में काम करने वाली महिलाओं के लिए अधिक अवसर हैं।