ननद और भाभी द्वारा शुरू किया गया स्टार्टअप, अब घर बैठे तैयार कराएं अपना मन पसंद केक
घर से अपने बिजनेस पर काम करने वाली एक महिला को अक्सर गंभीरता से नहीं लिया जाता है। चाहें यह कॉस्च्यूम ज्वैलरी, साड़ी, या केक और कुकीज, अचार और पापड़ जैसे घर के बने सामानों की सोर्सिंग और बिक्री करना ही क्यों न हो। हाालंकि एक चीज जिसे नजरअंदाज किया जाता है वह है इससे होने वाली कमाई। इससे कई लोग अच्छी खासी आय कमा लेते हैं। कभी-कभी उससे भी अधिक जो उन्होंने नियमित नौकरी में कमाई थी। सबसे अच्छी बात ये होती है कि यह काम वे अपने घर की सुख-सुविधाओं से करती हैं, जहाँ जीवन, काम, और जिम्मेदारियाँ सभी सामंजस्यपूर्वक एक साथ आते हैं।
फिलहाल अब ऐसी ही कुछ महिलाएं बेहद ही अनोखा तरीका लेकर आई हैं। दरअसल अब आप अपना खुद का केक बना सकते हैं। दरअसल अब भारत भर के सैकड़ों होम बेकर्स आपको इसका खास तरीका बताएंगे। इसमें भी सबसे अच्छी बात ये है कि ये महिला होम बेकर्स अपने घरों से बाहर कदम रखे बगैर टेक्नॉलोजी की मदद से ये अनोखा काम करेंगी।
HerStory ने ऐसी ही दो महिलाओं के साथ बात की जो इस असंगठित होम बेकिंग इंडस्ट्री में न केवल उस अंतर को भरना चाहती थीं, बल्कि अपने साथी बेकर्स को ग्राहकों के साथ आसानी से जुड़ने का अवसर भी देती हैं। अनुराधा कांबी और उनकी भाभी अंजना लाठ, ने 2018 में होमबकर्स की शुरुआत की जब अनुराधा अपने भतीजे को उसके जन्मदिन के लिए एक थीम्ड केक भेजकर सरप्राइज्ड करना चाहती थीं।
उद्योग को आकार में बदलते हुए
दरअसल लंदन में रह रहीं अनुराधा भारत में अपने भतीजे को उसके जन्मदिन पर एक केक भेजना चाहती थी, लेकिन उनके पास केक कॉस्टमाइज्ड करने के लिए सीमित विकल्प थे। वह कहती हैं, “या तो मुझे एक बेकरी से ऑर्डर करना था, जो कि कोई कॉस्टमाइजेशन ऑफर नहीं करता है, या मौजूदा वेबसाइटों के माध्यम से ऑर्डर करना था, जहां भी कस्टमाइजेशन एक मुद्दा था। एक और तरीका था, मैं फेसबुक ग्रुप्स के माध्यम से बेंगलुरु में होम बेकर्स तक पहुंच सकती थी, लेकिन फिर पेमेंट और ट्रस्ट इश्यू एक अलग मामला था। जहां अच्छे बेकर्स होते हैं जो कॉस्टमाइजेशन और स्वाद के लिए बहुत बेहतर काम करते हैं, वहां दुनिया के किसी भी हिस्से के उपभोक्ताओं को उनसे जुड़ने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता।”
टैलेंटेड बेकर्स के लिए एक मंच प्रदान करने की आवश्यकता को देखते हुए, अनुराधा और अंजना ने केक खरीदारों को दुनिया के किसी भी हिस्से से भारत में होम बेकर्स से जोड़ने के लिए एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस के रूप में HomeBakers.co.in शुरू किया। भारत में बड़े पैमाने पर होम बेकिंग बंद हो गई है: ई-कॉमर्स ने उन चीजों को खरीदना संभव कर दिया है जो कभी अत्यधिक प्रतिष्ठित बेकिंग टूल थे, YouTube और स्किलशेयर जैसी साइटों ने महिलाओं को महत्वपूर्ण तकनीकों को सीखने में सक्षम बनाया है और इंस्टाग्राम, फेसबुक और WhatsApp जैसे सोशल मीडिया चैनलों ने मार्केटिंग को आसान बना दिया है। लेकिन इससे भी बड़ी बात ये है कि डिजिटल भुगतान ने इसे और आसान बना दिया है।
हालांकि कुछ समस्याएं बनी रहती हैं। अनुराधा कहती हैं, "एक उपभोक्ता के रूप में, मैंने भारतीय होम बेकर्स से जुड़ने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की कमी देखी जो मेरे किसी खास को एक ताजा बेक्ड केक सप्लाई कर सके।" हैदराबाद में रहने वाली होम बेकर अंजना ने अपने जुनून को पूरा करने व साथ ही साथ अपनी बेटी के साथ अधिक क्वालिटी समय बिताने के लिए होम बेकरी शुरू की। वह अपने व्यवसाय को स्केल करना चाहती थीं, लेकिन ऑर्डर बुकिंग को मैनेज करने के लिए एक मंच की कमी के कारण ऐसा करने में असमर्थ थीं।
अनुराधा कहती हैं, "हमारे सरप्राइज के लिए, अंजना ने जो समस्या का सामना किया, वह एक आम बात थी, और कोई मौजूदा समाधान नहीं था, इसलिए हमने एक समाधान खोजा और उस पर अमल किया।" HomeBakers.co में, अनुराधा बिजनेस डायरेक्टर और अंजना संचालन डायरेक्टर हैं। टीम में एक अन्य सदस्य सोनाली भी हैं। इन तीनों माताओं ने खुद को व्यवसाय के लिए पूरी तरह समय समर्पित किया है। अंजना कहती हैं, “यह महिलाओं द्वारा महिलाओं के लिए एक पहल है। यह होममेकर्स को एक मंच प्रदान करके इस असंगठित होम-बेस्ड बेकरी सेक्टर को एक संगठित में परिवर्तित करने का हमारा छोटा कदम है।”
चीनी, मसाला, और बहुत सारे शोध
स्टार्टअप उनके लिए कोई केकवॉक नहीं था, और दोनों ने अपने आइडिया को परखने के लिए लगभग तीन महीने बिताए। उन्होंने 100 से अधिक होम बेकर्स और उपभोक्ताओं से बात की जिन्हें वे समझने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने वेबसाइट पर ध्यान केंद्रित किया और इसके उपयोग को आसान बनाने के प्रयासों को दोगुना कर दिया। वे कहती हैं, "हमें यह सुनिश्चित करना था कि जब हम भले ही नए हों लेकिन ग्राहकों और घरेलू बेकर्स के लिए इसका उपयोग करना आसान है। हमने अगस्त 2018 में वेबसाइट बनाने का काम शुरू किया और पिछले साल नवंबर में इसे लॉन्च किया।'
टीम के अधिकतर लोग हैदराबाद से हैं इसीलिए उन्होंने इसे वहीं से शुरू करने का फैसला किया। काफी रिसर्च के आधार पर वे जरूरत के मुताबिक चीजों को मोड़ने में कामयाब रहे। वे हैदराबाद में पूरी तरह से काम कर रहे हैं, और पुणे व बेंगलुरु में भी लॉन्च किया जा चुका है। जहां वे वर्तमान में बेकर्स को अपने साथ जोड़ रहे हैं। इसे वे आगे कोच्चि और चेन्नई ले जाना चाहते हैं। क्वालिटी बेकर्स को अपने साथ जोड़ना एक बड़ी चुनौती है। ये सेक्टर काफी असंगठित है, और इसलिए इसका कोई मानकीकरण नहीं है। सिटीवाइड बेक शो उन्हें स्थानीय होम बेकर्स से जुड़ने में मदद कर रहे हैं।
अनुराधा कहती हैं, “हम अभी भी सही फिल्टरिंग प्रक्रिया के निर्माण पर काम कर रहे हैं। और हमें बढ़ावा देने में मदद करने के लिए सही लोगों यानी प्रमुख केक आर्टिस्ट और सप्लायर के साथ काम करना है। हम हर ईवेंट और ऑर्डर के साथ खुद को डेवलप व सीख रहे हैं।" टीम फिलहाल अपने ऑफरिंग में एफएसएसएआई प्रमाणीकरण (FSSAI certification) जोड़ने पर भी काम कर रही है। सोशल मीडिया मार्केटिंग पर बहुत अधिक निर्भर रहते हुए, उनका ध्यान फेसबुक और इंस्टाग्राम पर है। वीडियो के डेमो से लेकर ग्राहक की सफलता की कहानियां, मीटिंग्स, ईवेंट्स और पैनल चर्चा तक - उन्होंने इंगेजमेंट के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों रास्ते तैयार किए हैं।
बढ़ती मांग
HomeBakers.co.in पर, बेकर्स को अपने सामान की कीमत तय करने का अधिकार है। कीमतें आम तौर पर 12 कप केक के लिए 360 रुपये से शुरू होती हैं। इसके अलावा केक की कीमत 12 हजार रुपए तक हो सकती है। हालांकि ये केक के कॉस्टमाइजेशन व उस पर हुए काम पर निर्भर करता है। साइट पर वर्तमान औसत ऑर्डर मूल्य 3,000 रुपये है। ग्राहक अपनी संतुष्टि के स्तर के अनुसार बेकर्स को रेट कर सकते हैं। 200 से अधिक बेकर्स पर HomeBakers.co.in द्वारा किए गए सर्वे से पता चला है कि बेकर्स हर महीने औसतन 14,000 रुपये कमाते हैं। अनुराधा आगे कहती हैं, “बेकरी की तुलना में, जहां केक की कीमत आमतौर पर 500 रुपये के आसपास होती है, हमारे बेकर विशेष अवसरों के लिए बेक किए गए केक के लिए 1,200 रुपये भी प्राप्त करने में सक्षम हैं। कभी-कभी, हमारे पास 10,000 रुपये तक के ऑर्डर भी होते हैं।
जब अंजना ने फुल-टाइम मॉम बनने के लिए अपना कैरियर छोड़ दिया, तो लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। लेकिन जब उन्होंने घर से बेकिंग शुरू की, तब बातें और ज्यादा होने लगीं। अनुराधा बताती हैं कि इस तरह की आलोचना का सामना आमतौर पर उन महिलाओं को करना पड़ता है जो घर से बाहर काम करती हैं। वह कहती हैं, "यह भी स्टीरियोटाइप है कि अगर आप एक इंजीनियर या डॉक्टर नहीं हैं तो आप सफल नहीं हो सकते हैं।"
हालांकि उनका ये भी मानना है कि चीजें धीरे-धीरे बदल रही हैं। वह कहती हैं, “मैंने व्यक्तिगत रूप से समी जे रामचंद्रन, सुभाषिनी रामसिंह और अश्विनी साराभाई जैसे शीर्ष पेशेवर बेकर्स से मुलाकात की है, जो सभी योग्य इंजीनियर हैं लेकिन उन्होंने बेकिंग इंडस्ट्री में अपना करियर बनाया है। मेरी साथी अंजना को इस बात का कोई पछतावा नहीं है क्योंकि वह अपने काम में संतुलन बनाने में सक्षम है और एक फुल टाइम मां है।” लेकिन होम बेकिंग कोई आसान काम नहीं है। यह बहुत कड़ी मेहनत की मांग करता है। वह कहती हैं, “जब आप कुछ करते हैं और उसे बिजनेस में तब्दील कर देते हैं तो समझ लो कि आपने आधा खेल जीत लिया है। इसके बाद होम बेकर होने के नाते कड़ी मेहनत तो करनी ही है लेकिन इसमें नेटवर्किंग से लेकर सही मूल्य निर्धारण करना, सही सामग्री चुनना भी शामिल होता है।"
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