आर्थिक अभावों के चलते जब परिवार के 3 पुरूषों ने कर ली आत्महत्या, तब ज्योती देशमुख ने किसान बन उठाई घर की ज़िम्मेदारी
महाराष्ट्र की ज्योति देशमुख की कहानी उन लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जिन्हें समाज अपने हिसाब से नियंत्रित करने की कोशिश करता है, लेकिन वो अपना जीवन अपने हिसाब से चलाने की कूवत रखती हैं।
महाराष्ट्र की ज्योति देशमुख (अकोला जिले के एक दूरदराज गाँव कट्यार में रहती हैं) के पति, ससुर और देवर ने आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या कर ली। तीनों किसान थे और परिवार का भरण-पोषण करने के लिए 29 एकड़ जमीन में खेती करते थे।
महाराष्ट्र की ज्योति देशमुख, जो अकोला के एक दूरदराज के गाँव कट्यार में रहती हैं, साहस, दृढ़ संकल्प और उम्मीद का जीवंत उदाहरण है। ज्योती के पति, ससुर और देवर ने आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या कर ली थी। ये तीनों पुरुष किसान थे, जो अपने परिवार के सदस्यों का भरण-पोषण करने के लिए 29 एकड़ जमीन पर खेती करते थे। लेकिन, इनकी आर्थिक स्थित बेहद खस्ता हो गई, जिससे परिवार का पेट पालना बेहद मुश्किल हो गया। तब इसके वित्तीय तनाव के कारण परिवार के तीनों पुरुषों ने हार मान ली और मौत को गले लगा लिया।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, परिवार के तीन पुरुषों की मृत्यु के बाद, परिवार के बाकी सदस्यों और विशेष रूप से समाज के कई लोगों ने ज्योति को जमीन बेचने के लिए मनाने की कोशिश की। लेकिन ज्योति ने नकारात्मक आवाज सुनने से इनकार कर दिया। बल्कि, उन्होंने अपने परिवार का समर्थन करने के लिए अपनी सारी हिम्मत और ताकत इकट्ठा की। आगे उन्होंने जो किया उसने उन्हें न केवल उनके परिवार का बल्कि समाज की नजर में भी एक असली हीरो बना दिया।
उन्होंने खुद अपनी जमीन पर खेती करने का फैसला किया।
लेकिन, अपने परिवार का समर्थन करने की उनकी लड़ाई इतनी आसान नहीं थी। शुरूआती दिनों के दौरान, जब ज्योति ने गांव के दूसरे किसानों और ग्रामीणों से पूछा, जिनके पास खेती करने के लिए ट्रैक्टर थे। लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की। तब भी उन्होंने उम्मीद नहीं खोई। बल्कि, उन्होंने खुद ट्रैक्टर खरीदने का मन बनाया और खरीद भी लिया!
बीबीसी के साथ अपनी प्रेरक कहानी साझा करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया कि एक महिला खेती नहीं कर सकती है और मुझे भी खेती नहीं करनी चाहिए। लोगों ने मुझसे ज़मीन बेचने और घर पर रहने का आग्रह किया। मुझे बताया गया कि देशमुख घर की महिलाएँ खेती नहीं करती हैं। मुझे मजाक बनाया गया और कई अन्य बातें सुननी पड़ीं। लेकिन मैंने कभी उनके शब्दों पर ध्यान नहीं दिया।”
ज्योति ने बिना किसी की मदद के खुद ही खेती के बारे में सब कुछ जान लिया और साबित कर दिया कि अगर चाहे तो कोई भी महिला खेती को आगे बढ़ा सकती है। अब अपनी प्रेरक कहानी के माध्यम से, वह अपने गाँव की महिलाओं से उन चीजों को करने का आग्रह कर रही हैं, जो उन्हें पसंद हैं और समाज को क्या कहना है, इस पर ध्यान नहीं देती।
वह आगे कहती है, “हम चाहे कुछ भी कर लें, हम कैसे जीते हैं, समाज के लोग हमेशा कुछ न कुछ कहते ही रहेंगे। इसके बजाय उन पर ध्यान न देना और हमारे काम, हमारे सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करना सबसे अच्छा है।”
अपने इंटरव्यू में, उन्होंने उल्लेख किया कि किस तरह खेती ने उन्हें निडर होना सिखाया। हालाँकि पहले वह इससे डरती थी, फिर भी उन्होंने बताया कि किस तरह से काम करने के बाद वह अब नहीं डरती हैं।
ज्योति देशमुख की कहानी उन लाखों महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है, जिन्हें समाज नियंत्रित करने की कोशिश करता है।