छात्रों के पास नहीं थी रहने की जगह तो केरल की इन दो शिक्षिकाओं ने बनवा दिये 150 घर
कहते हैं कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता और केरल की दो शिक्षिकाओं ने इस कथन को सच साबित कर दिखाया है। केरल के कोच्चि में स्थित थोप्पुमद्य की ये दो महिला शिक्षक अब तक बेघरों के लिए 150 घरों का निर्माण करवा चुकी हैं।
एक स्थानीय स्कूल की प्रधानाचार्य सिस्टर लिली चक्कलकल और उनकी साथी शिक्षिका ने स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के परिजनों, स्कूल के अन्य शिक्षकों और अन्य लोगों से मदद लेते हुए अपने इस नेक काम को अंजाम तक पहुंचाया है।
एक छात्र से शुरू हुआ सफर
करीब 6 साल पहले जब एक दिन सिस्टर लिली चक्कलकल को यह पता चला कि उनके स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा ऐसी भी है जिसके पास रहने का घर नहीं है। तब आठवीं में पढ़ने वाली उस छात्रा के पिता का देहांत हो चुका था जो एक राजमिस्त्री थे और अब उस लड़की के परिवार के पास रहने के लिए कोई आश्रय नहीं था। इस बात ने लिली को काफी विचलित कर दिया। उन्होने फौरन ही उस छात्रा की मदद करने का संकल्प लिया और आगे बढ़ गईं।
छात्रा की मदद के लिए सिस्टर लिली चक्कलकल ने चंदा इकट्ठा किया और उसी चंदे की मदद से उसके लुए एक घर का निर्माण करवाया गया, जो करीब 6 सौ वर्गफीट में बना हुआ था। आज उस घर में वह छात्रा अपने परिजनों के साथ रहती है। यहीं से शुरू हुआ यह नेक सिलसिला ऐसा बढ़ा कि सिस्टर लिली अपनी साथी शिक्षक के साथ जरूरतमंदों के लिए अब तक 150 घरों का निर्माण करवा चुकी हैं।
मदद के लिए लोग आए आगे
सिस्टर लिली को मालूम था कि अभी भी स्कूल के कई छात्र ऐसे हैं जो उसी दयनीय स्थिति में हैं और उनके पास भी रहने के लिए कोई आश्रय नहीं है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए इस महिला शिक्षक ने बताया है कि उन्होने लोगों से मदद करने की अपील की थी और इसके बाद लगातार लोग मदद को आगे आते रहे और उन सभी ने हर संभव मदद की।
इन लोगों में तमाम लोग ऐसे भी थे जिन्होने इस नेक काम के लिए अपनी ज़मीन दान में दी, जिस पर बाद में भवन निर्माण का काम करवाया गया। जरूरतमंदों के लिए तैयार होने वाले इन घरों में बड़ी संख्या में मजदूरों ने भी बिना कोई मेहनताना लिए हुए काम किया है।
लाखों में है इन घरों की कीमत
साल 2014 में स्कूल में हुए प्लेटिनम जुबली कार्यक्रम में ही दोनों शिक्षिकाओं ने हाउस चैलेंजिंग प्रोग्राम शुरू करने का फैसला किया था। तब यह संकल्प लिया गया था कि इसके तहत 150 जरूरतमंद छात्रों के लिए घरों का निर्माण कराया जाएगा। मालूम हो कि इसके तहत बने एक घर की लागत 6 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये के बीच है।
शुरुआत में दोनों शिक्षक से करीब 80 गरीब छात्रों ने मदद मांगी थी जबकि इस दौरान दोनों ने विधवाओं, महिलाओं, बीमार और बच्चों वाले बेघर परिवारों को प्राथमिकता देने का फैसला किया। इन शिक्षकों का मानना है कि इस तरह से अगर बड़ी संख्या में लोग साझा करने की संस्कृति अपनाएं और आगे आयें तो देश में हर एक नागरिक के लिए घर होने के सपने को आसानी से पूरा किया जा सकता है।
Edited by Ranjana Tripathi