छोटे शहर की सुमन ने अपने सपनों को ऐसे दिए पंख, घर बैठे कर रहीं अच्छी कमाई; रोजगार भी दे रहीं
35 वर्षीय सुमन, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Meesho पर एक रिसेलर हैं. उनकी कंपनी मीशो पर केशव फैशन पॉइंट के नाम से लिस्टेड है.
सपने देखना आसान है लेकिन उन्हें पूरा करना आसान नहीं होता. हसरतों को पूरा करने के लिए धैर्य और कड़ी मेहनत लगती है. और अगर यह सपना एक छोटे शहर की, मिडिल क्लास परिवार की एक औरत ने देखा हो तो उसे पूरा करने की राह और भी मुश्किल हो जाती है. एक ऐसी औरत, जो एक गृहिणी भी है, एक पत्नी भी है और एक छोटे बच्चे की मां भी... लेकिन कहते हैं न कि हौसला बुलंद हो तो मंजिल मिल ही जाती है. ऐसी ही कुछ कहानी है हरियाणा के हिसार की सुमन की...
35 वर्षीय सुमन, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म
पर एक रिसेलर हैं. उनकी कंपनी मीशो पर केशव फैशन पॉइंट (Keshav Fashion Point) के नाम से लिस्टेड है. उन्होंने अपना बिजनेस जून 2019 में शुरू किया था. वह मार्केट से प्रॉडक्ट को बल्क में डिस्ट्रीब्यूटर से खरीदते हैं और फिर उसे ई-कॉमर्स वेबसाइट पर बेचते हैं. इस बिजनेस को कारोबार की भाषा में रीसेलिंग कहा जाता है. सुमन ने बिजनेस की शुरुआत एक प्रॉडक्ट की बिक्री से की थी. जैसे-जैसे उनका कारोबार चला, प्रॉडक्ट की संख्या बढ़ती गई. आज वह हर महीने अच्छा खासा प्रॉफिट कमा रही हैं.कैसे और क्यों आया आइडिया
सुमन शादी से पहले और शादी के 6 साल बाद तक नौकरी करती थीं. फिर उनका बेटा केशव हुआ. बेटे के होने के बाद जब सुमन ने अपना कुछ शुरू करने की इच्छा जताई तो उनके पति दीपक ने सलाह दी कि उन्हें ऑनलाइन बिजनेस में हाथ आजमाना चाहिए. सुमन भी कुछ ऐसा करना चाहती थीं, जिसमें वह अपने बेटे को भी वक्त दे सकें. ऐसे में उन्हें ऑनलाइन रीसेलिंग का बिजनेस जंच गया.
सुमन ने बिजनेस की शुरुआत एक प्रॉडक्ट की बिक्री से की थी. जैसे-जैसे उनका कारोबार चला, प्रॉडक्ट की संख्या बढ़ती गई. इस वक्त उनकी 8-10 लोगों की टीम है. इसमें अधिकांश लड़कियां हैं, जो सुमन के घर के आसपास के एरिया से ही हैं. कुछ लड़कियां ऐसी भी हैं जो स्टूडेंट हैं और सुमन के यहां पार्ट टाइम काम करती हैं.
अच्छे से समझती हैं पढ़ाई की वैल्यू
सुमन इस बात का भी ध्यान रखती हैं कि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो. सुमन का कहना है कि वह पढ़ाई की वैल्यू अच्छे से समझती हैं. उनकी सारी पढ़ाई उन्होंने जॉब करते हुए पूरी की है. इसलिए वह नहीं चाहतीं कि अपने जीवन में जिन संघर्षाें का सामना उन्हें करना पड़ा, वैसा किसी और को न करना पड़े.
हिसार की बेटी और हिसार में ही बहू
सुमन का मायका और ससुराल दोनों हिसार में ही है. सुमन एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता बीमार रहते थे और सुमन चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं. जैसे-तैसे करके उन्होंने अपनी 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी कर ली. लेकिन उसके बाद पढ़ाई जारी रखने और परिवार का हाथ बंटाने के लिए नौकरी करना जरूरी हो गया. फिर उन्होंने ग्रेजुएशन की पहली साल में ही हिसार में एक निजी अस्पताल में रिशेप्सनिस्ट की नौकरी करना शुरू किया. ढ़ाई-तीन साल तक वह इस नौकरी में रहीं, साथ ही पढ़ाई भी चलती रही. फिर जब उन्होंने MBA में दाखिला लिया तो हॉस्पिटल की लंबी शिफ्ट पढ़ाई में आड़े आने लगी. लिहाजा उन्होंने एक लोकल न्यूजपेपर में जॉब करना शुरू कर दिया. वहां उन्होंने डेस्क इंचार्ज के तौर पर 8-10 साल गुजारे. इसी बीच उनकी शादी हुई और शादी के बाद भी वह नौकरी करती रहीं.
HR मैनेजमेंट में MBA
सुमन के पति दीपक एक कंपनी में अकाउंटेंट हैं. सुमन ने HR मैनेजमेंट में MBA किया हुआ है. सुमन की कैश मैनेजमेंट में पकड़ अच्छी है और इसके लिए वह अपनी शुरुआती नौकरियों को मददगार मानती हैं. पति दीपक, सुमन के लिए सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम हैं लेकिन अपना कारोबार वह खुद संभालती हैं. हालांकि कहीं कोई टेक्निकल दिक्कत होने पर दीपक उन्हें मदद करते हैं. सुमन का कहना है कि उनके पति ने उन्हें आगे बढ़ने में पूरा सपोर्ट दिया है और वह जीवनसाथी के मामले में खुद को बेहद भाग्यशाली मानती हैं. सुमन आज अपनी जिंदगी और बिजनेस में जिस मुकाम पर हैं, उसके लिए वह भगवान की शुक्रगुजार हैं.
हर रोज 1000 ऑर्डर तक
अपने बिजनेस को मीशो पर लिस्ट कराना, सुमन को सबसे आसान लगा. जैसे-जैसे ऑर्डर बढ़े, सुमन के लिए अकेले सब कुछ मैनेज करना मुश्किल होने लगा. तो उन्होंने अपनी टीम बनाने की सोची. सुमन को काम करता देखकर आसपास के कुछ युवाओं ने उनके साथ जुड़ने की इच्छा जताई और अब उनकी करीब 10 लोगों की टीम है. जब सुमन ने कारोबार शुरू किया था तो उनके पास दिन के 4-5 ऑर्डर आते थे. आज यह संख्या 1000 ऑर्डर प्रतिदिन तक पहुंच चुकी है.
बेटे की मौत और मिस्कैरिज का दर्द भी झेला
सुमन की जिंदगी उतार-चढ़ाव के साथ-साथ थोड़े दर्द से भी भरी है. वह वह केशव से पहले दो बच्चे खो चुकी थीं. पहला बेटा पैदा होने के बाद केवल 6 माह ही जीवित रहा. उसके डेढ़ साल बाद जब सुमन दोबारा मां बनने वाली थीं तो उनका मिस्कैरिज हो गया. दो बच्चों को खोने का दुख किसी को भी तोड़ सकता है. दुख बड़ा था लेकिन 3 साल बाद जब उन्हें एक और बेटा केशव हुआ तो उनका यह गम काफी हद तक कम हो गया. दो बच्चों को खो चुकीं सुमन को केशव के होने के बाद उसे छोड़कर जॉब करने का दिल नहीं किया. इसलिए फिर उन्होंने घर से ही कुछ काम करने का मन बनाया और आखिरकार बेटे के नाम पर बिजनेस शुरू किया. जब सुमन ने अपना काम शुरू किया तो केशव 3 माह का था.
दूसरों के लिए प्रेरणा भी...
सुमन का कहना है कि जब उनकी शादी नहीं हुई थी और वह नौकरी के लिए जाती थीं तो लोग कहते थे कि यह अपने पिता को अमीर बनाकर छोड़ेगी. उनकी बातें सकारात्मक, हौसला अफजाई वाली कम और ताने के तौर पर ज्यादा होती थीं. उसके बाद वह शादी करके ससुराल आईं और शादी के बाद भी लगातार 6 साल नौकरी की. फिर उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू किया. सुमन बताती हैं कि इस पूरी कहानी में उनके पति हमेशा उनके साथ खड़े रहे और यही वजह है कि वह खुद के पैरों पर खड़ी हैं. आज उन्हें देखकर हिसार के दूसरे लोग भी प्रेरित हो रहे हैं और खुद का काम शुरू कर रहे हैं. इतना ही नहीं हिसार के बाहर से भी लोग उन्हें फोन करते हैं.
काम की बदौलत अच्छे स्कूल में करा सकीं बच्चे का एडमिशन
सुमन का बेटा केशव इस वक्त साढ़े तीन साल का है और स्कूल जाने लगा है. सुमन का कहना है कि वह अपने काम की बदौलत अपने बच्चे का एडमिशन एक अच्छे स्कूल में करा सकी हैं. सुमन कहती हैं कि आज वह अपने बिजनेस से बहुत खुश हैं और यह खुशी तब और बढ़ जाती है, जब वह दूसरे लोगों को प्रेरित होता देखती हैं. सुमन अपना बिजनेस अभी घर से ही कर रही हैं. उनका घर छोटा है और एक कमरे में ही गुजर कर रहे हैं. लेकिन बहुत जल्द वह बड़ा घर लेने वाले हैं, जहां वह आराम से रह भी सकें और बिजनेस भी चला सकें.