सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, OTT के लिए कैसे बन सकती है प्री-स्क्रिनिंग कमिटी?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मिर्जापुर के रहने वाले सुजीत कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही. इस याचिका में ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर आने वाले कंटेंट की प्री-स्क्रिनिंग कमिटी बनाने की मांग की गई थी. कोर्ट ने मिर्जापुर के तीसरे सीजन पर रोक लगाने की मांग से भी इनकर कर दिया.
फिल्मों की तरह ही ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स पर आने वाली वेब सीरीज, फिल्म या अन्य प्रोग्राम्सी की प्री स्क्रिनिंग कमिटी बनने की संभावना है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने इस बारे में मिर्जापुर के रहने वाले सुजीत कुमारी सिंह की याचिका की सुनवाई करते हुए यह बात कही.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक बेंच ने गुरुवार को याचिका पर सुनावाई के दौरान कहा कि क्या वेब सीरीज के लिए प्री स्क्रिनिंग कमिटी कैसे बनाई जा सकती है? अभी तक प्री स्क्रिनिंग के लिए अलग तरह के नियम कानून हैं. मगर जैसे ही आप कहते हैं कि ये फिल्म ओटीटी का हिस्सा होगी उसकी कैटेगरी बदल जाती है क्योंकि इनका ट्रांसमिशन दूसरे देशों से होता है.
आप कह सकते हैं कि मौजूदा नियम इन पर भी लागू होने चाहिए. मगर ऐसा करने पर कई सवाल खड़े हो सकते हैं क्योंकि अंततः इन विडियोज का ट्रांसमिशन दूसरे देशों से होता है जो हमारे नियम के दायरे में नहीं आते.
बेंच ने याचिकाकर्ता से आगे कहा, भले ही ओटीटी सैटेलाइट ट्रांसमिशन दूसरे देश से हो रहा हो मगर इसके दर्शक तो यहां इंडिया में ही हैं. एक बार रिलीज हो जाने के बाद उसकी स्क्रिनिंग की अलग ही प्रक्रिया होती है. इसलिए आपकी याचिका में थोड़ी और जानकारी के साथ एक अन्य याचिका दायर करनी चाहिए. ये कहते हुए बेंच ने याचिकाकर्ता से मौजूदा याचिका को वापस लेने को कहा.
आपको मालूम हो कि ओवर दी टॉप (OTT) प्लैटफॉर्म एक ऐसी सर्विस है जो किसी भी इंटरनेट से चलने वाले डिवाइस पर वीडियो या लाइव स्ट्रीमिंग की सुविधा देती है. इसके जरिए कोई भी अपना विडियो कंटेंट बनाकर बिना किसी तीसरी पार्टी के शामिल हुए सीधे दर्शकों तक अपना कंटेंट पहुंचा सकता है.
इसके अलावा याचिकाकर्ता ने मिर्जापुर वेब सीरीज के तीसरी सीजन, जिसके प्रॉडक्शन का काम चालू है उस पर रोक लगाने की भी मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया.
इससे पहले भी कोर्ट के पास एक अन्य याचिका में मिर्जापुर सीरीज पर उस जगह की ऐतिहासिका और सांस्कृतिक छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया गया था, जिस पर कोर्ट ने केंद्र, ऐमजॉन प्राइम विडियो और एक्सेल एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड से जवाब मांगा था.
याचिका में कहा गया था कि मिनिस्ट्री ऑफ इंफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग को ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर वेब सीरीज, फिल्म या किसी अन्य तरह के प्रोग्राम की लॉन्चिंग से पहले सरकारी अथॉरिटी से सर्टिफिकेशन को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए.
इसके साथ ही सरकार से इस तरह के कंटेंट के लिए नियम और कानून बनाने की और उनके लिए भी सेंसरशिप जैसी प्रक्रिया लाने की मांग की गई थी.
Edited by Upasana