सुषमा स्वराज के जाने से शोकाकुल पीएम नरेंद्र मोदी की आंखें भर आईं
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार की रात दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली। आज सुबह उनके आवास पर पति स्वराज कौशल को सांत्वना देते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंखें भर आईं। इससे पूर्व देहावसान की सूचना पर पीएम ने ट्वीट किया - 'असाधारण नेता के निधन से भारत शोकाकुल है।'
कुछ ही सप्ताह के फासले पर देश ने एक और शीर्ष महिला नेत्री को हमेशा के लिए खो दिया है। दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित के बाद अब गत मंगलवार रात पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (67) भी अचानक दुनिया छोड़ गईं। आज सुबह उनके आवास पर पति स्वराज कौशल को सांत्वना देते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंखें भर आईं। इससे पहले निधन की सूचना मिलते ही गहरा दुख व्यक्त करते हुए पीएम ने ट्वीट किया-
'असाधारण नेता के निधन से भारत शोकाकुल है। भारतीय राजनीति के एक गौरवशाली अध्याय का अंत हो गया। वह भूल नहीं सकते कि कैसे पूर्व विदेश मंत्री बिना थके काम करती थीं। यहां तक कि, जब उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था तब भी वह अपने काम के साथ न्याय करने के लिए जो कर सकती थीं करती थीं और अपने मंत्रालय के मसलों से वाकिफ रहती थीं।'
सुषमा स्वराज को कल रात 10 बज कर 15 मिनट पर एम्स दिल्ली के आपातकालीन वार्ड में दाखिल कराया गया लेकिन हार्ट अटैक से उन्हे बचाया नहीं जा सका। दो साल पहले उनका गुर्दा प्रतिरोपित किया गया था। सुषमा स्वराज भाजपा की एक ऐसी हस्ती रहीं, जो न सिर्फ प्रखर वक्ता थीं, बल्कि उन्होंने अपनी छवि को एक 'जन मंत्री' के रूप में अपने मंत्रालय तक आम आदमियों की भी आमदरफ्त बढ़ाई। वह सिर्फ एक ट्वीट पर विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं। कोई भी व्यक्ति उनके ऑफिस तक आसानी से पहुंचा जाता था। निधन से कुछ घंटे पहले भी पार्टी और इसकी विचारधारा के प्रति स्वराज का लगाव दिखा और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर उन्होंने पीएम मोदी को ट्वीट कर बधाई दी।
इस आकस्मिक देहावसान पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया-
‘सुषमा स्वराज के निधन के बारे में जानकर बेहद स्तब्ध हूं। देश ने एक प्यारा नेता खो दिया है, जो सार्वजनिक जीवन में गरिमा, साहस और निष्ठा का प्रतीक था। दूसरों की मदद के लिए वह हमेशा तैयार रहती थीं। भारत की जनता की सेवा के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।'
वह इंदिरा गांधी के बाद देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री रहीं। उनका विवाह उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल से हुआ था, जो 1990 से 1993 तक मिजोरम के राज्यपाल और 1998 से 2004 तक संसद सदस्य भी रहे। स्वराज को हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री होने का श्रेय भी मिला।
विधि स्नातक स्वराज के राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई थी। तीन बार विधानसभा सदस्य और सात बार संसद सदस्य रहीं स्वराज ने कुछ समय तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत भी की। वह वर्ष 1996 में तेरह दिन की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री और 1998 में वाजपेयी के दोबारा सत्तासीन होने पर पुनः कैबिनेट मंत्री बनीं। भाजपा की चुनौतियों से हमेशा जूझती हुई सुषमा स्वराज ने 1999 के लोकसभा चुनाव में बेल्लारी सीट से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। वह 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता विपक्ष रहीं।