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गांव की महिलाएं ला रहीं बदलाव, रूढ़ियों को तोड़कर पीरियड्स जैसे विषय पर कर रहीं बात

गांव की महिलाएं ला रहीं बदलाव, रूढ़ियों को तोड़कर पीरियड्स जैसे विषय पर कर रहीं बात

Monday May 13, 2019 , 5 min Read

गांव की महिलाएं

महिलाओं का सशक्तिकरण कैसे हों, सिर्फ आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी वे सशक्त हों और अपने स्वास्थ्य की उचित देखभाल करें, इसे ध्यान में रखते हुए सामाजिक संस्था सरगुजा साइंस ग्रुप द्वारा सरगुजा जिले में विशेष कार्य किया जा रहा है, इस हेतु महिलाओं को जागरूक करने “प्रोजेक्ट इज्जत” कार्यक्रम द्वारा उन्हें कई प्रकार की स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां दी जा रही हैं। इतना ही नहीं प्रत्येक ग्राम में प्रोजेक्ट इज्जत द्वारा महिला समूहों का चयन कर ग्रामीण अंचलों तक सेनेटरी पैड के पहुंच को कारगार बनाने का माध्यम भी तैयार किया जा रहा है। जिससे की जिले में इस पर बेहतर ढंग से कार्य किया जा सके।


अब तक 150 से भी अधिक पंचायतों के लगभग 500 ग्रामों एवं टोलों में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर महिलाओं तथा किशोरी बालिकाओं को जागरूक करने के साथ-साथ सेनेटरी पैड का निःशुल्क वितरण भी किया जा रहा है, जिससे की उसे उपयोग करने की दिशा में सार्थक पहल हो सके। खासकर छत्तीसगढ़ में इस तरह का प्रयास किसी संस्था के द्वारा पहली बार किया जा रहा है। इस जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं एवं लड़कियों को पीरियड्स के प्रति जागरूक किया जा रहा है, जैसे पीरियड्स के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखना, साफ पैड एवं कपड़े इस्तेमाल करना तथा पीरियड्स को लेकर समाज में बैठी हुई रूढ़िगत विचारधाराओं को समाप्त करने को लेकर भी पहल हो रही है।


महिलाओं गावों में साथ में बैठकर पीरियड्स जैसे मुद्दे पर खुल कर चर्चा कर रही हैं। इस जागरूकता कार्यक्रम में बैनर एवं पोस्टर के जरिये पीरियड्स के दौरान संक्रमण से होने वाली बिमारियों की जानकारी सहित पोषण युक्त भोजन के लिये क्या आहार लें पुरी जानकारी सरगुजा साइंस ग्रुप के कार्यकर्ता महिलाओं को उपलब्ध करा रहे हैं, साथ ही दुबारा इन गावों में संपर्क कर फीडबैक भी लिया जा रहा है कि इन कार्यक्रमों के जरिये महिलाएं एवं लड़कियां कितनी जागरूक हुई।


सरगुजा साइंस ग्रुप द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में चलाये जा रहे इस जागरूकता कार्यक्रम में पीरियड्स अथवा पीरियड्स के दौरान आप क्या उपयोग करती हैं, कपड़ा या फिर पैड? पिरियड्स अथवा पीरियड्स के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में आपकी क्या राय है? किस तरह की स्वच्छता महिलाओं को रखनी चाहिए, कपड़े अथवा पैड उपयोग के बाद फेक देते हैं, जला देते हैं अथवा गड्ढे में डाल देते हैं अथवा इसकी सफाई कैसे करते है? क्या आपको पीरियड्स के दौरान होने वाली मनोवैज्ञानिक अथवा शारिरिक समस्याओं की जानकारी है? पीरियड्स अथवा पिरियड्स को लेकर आपके घरों में सामाजिक मान्यता क्याा है? जैसे कई ऐसे सवाल जिसे करने से हम शर्म महसूस करते हैं अथवा इन सब पर कोई चर्चा ही नहीं करना चाहते। खासकर ग्रामीण अंचलों में एकदम ही नहीं, किन्तु ऐसे ही सवालों का जहां महिलाएं जवाब दे रही हैं।


सरगुजा साइंस ग्रुप के कार्यकर्ता हर विषयों पर खुलकर चर्चा कर रहे हैं। सरगुजा साइंस ग्रुप के सदस्य सरगुजा जिले के गांव की गलियों में टोलों और मोहल्लों में इन सभी विषयों पर जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है। वर्तमान में लुण्ड्रा एवं बतौली ब्लॉक में सरगुजा साइंस ग्रुप द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, जिसे अलग-अलग ब्लॉकों में चलाये जाने की योजना है। सरगुजा साइंस गु्रप के अध्यक्ष अंचल ओझा के मार्गदर्शन में दिशा-निर्देशों में इज्जत कार्यक्रम की संयोजक सुश्री पवित्रा प्रधान के नेतृत्व में मुनिता सिंह, सैदुकुन निशा, राशि सिंह, नुकसार बेगम, अमित दुबे, लक्ष्मी सहित ग्रुप के अन्य सदस्य कार्य कर रहे हैं।

सरगुजा साइंस ग्रुप सरगुजा, बलरामपुर एवं सूरजपुर जिले के स्कूलों में लगभग 8000 छात्राओं को प्रत्येक महिने निःशुल्क सैनेटरी पैड उपलब्ध कराती हैं, वहीं दूसरी ओर संस्था के द्वारा कॉलेजों में सैनेटरी पैड वेंडिंग एवं डिस्पोजल मशीन भी लगाये जा रहे हैं, जिसमें सर्वप्रथम राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में इसे लगाया जा चुका है और मेडिकल कॉलेज में हॉस्टल में सप्ताह भर में इसे लगा दिया जायेगा। वर्तमान में ग्राम करेसर, कुदर, लुण्ड्रा, नावाडिह, सिलमा, सुआरपारा, जामडिह, कुनकुरी, छेरमुण्डा, तेलईधार, डहोली, करौली, जरहाडीह, दुंदु, बिशुनपुर, ससौली, बुलगा, चीरगा, उदारी, बटवाही, महेशपुर, पड़ौली, बीजापारा, खाराकोना, खरकोना, मंगारी, सेदम, बरगीडीह, डांड़गांव, नागम, खालपोड़ी सहित विभिन्न ग्रामों में सरगुजा साइंस ग्रुप की टीम पहुंच कर जागरूकता कार्यक्रम चला रही है।


सरगुजा साइंस ग्रुप के अध्यक्ष अंचल ओझा बताते हैं कि 2014 में जागृति यात्रा के दौरान वे दिल्ली में स्थित गूंज संस्था गये, जहां पर उनके द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रम को देख कर काफी प्रभावित हुए। उन्हें ऐसा लगा कि छत्तीसगढ़ में भी ऐसा कार्यक्रम होना चाहिए, वहां के ग्रामीण अंचलों में भी जागरूकता की कमी है। तभी से जनवरी 2014 में उन्होंने पीरियड्स पर कार्य करना शुरू किया, सर्वप्रथम कपड़े से निर्मित पैड से शुरू यह अभियान अब 2019 पहुंचते-पहुंचते सैनिटरी पैड तक पहुंच चुका है।

स्कूल की बच्चियां सैनिटरी पैड्स के साथ

अंचल ओझा बताते हैं कि लगातार स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाएं इस अभियान से जुड़ रही हैं, हर कोई इसे अपने विद्यालय में शुरू करने के पक्ष में है। किन्तु हमारे पास फण्ड कम है, हम उतना ही सहयोग कर पाते हैं, जितना फण्ड इकट्ठा हो पाता है। वर्तमान में 8000 से अधिक स्कूली छात्राओं को प्रत्येक महीने निःशुल्क सैनिटरी पैड उपलब्ध करा रहे हैं और जागरूकता का कार्यक्रम भी लगातार जारी है। अब तो सैनिटरी पैड की वेंडिंग मशीन और डिस्पोजल भी स्थापित करने का प्रयाास किया जा रहा है, ताकि शहरी क्षेत्रों के स्कूल और कॉलेजों में आसानी से पैड उपलब्ध कराया जा सके। सरगुजा साइंस ग्रुप द्वारा वर्तमान में प्रोजेक्ट इज्जत के तहत् महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में कई कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं।


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