Income Tax: इन 11 सोर्स से आय है टैक्स फ्री, लेकिन याद रखें कुछ शर्तें
इनकम टैक्स, कुल मिलाकर करदाता की पूरी आय पर लगता है. लेकिन कुछ स्त्रोत ऐसे भी हैं, जिनसे होने वाली आय आयकर के दायरे में नहीं आती.
भारत में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना आय आयकर (Income Tax) के दायरे में आती है. अगर करदाता (Taxpayer) नौकरीपेशा है तो उसे वेतन से होने वाली आय के साथ-साथ कुछ अन्य स्त्रोतों से हुई आय जैसे- बचत से आने वाला ब्याज, घर से हो रही कमाई, साइड बिजनेस, कैपिटल गेन्स आदि भी इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं. इसका अर्थ यह है कि टैक्स, कुल मिलाकर करदाता की पूरी आय पर लगता है. लेकिन कुछ स्त्रोत ऐसे भी हैं, जिनसे होने वाली आय आयकर के दायरे में नहीं आती. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ टैक्स फ्री इनकम सोर्स के बारे में-
खेती से आय: अगर आप किसान हैं तो खेती से होने वाली आय पूरी तरह टैक्स फ्री है, फिर चाहे यह कितने ही बड़े अमाउंट में क्यों न हो.
ग्रैच्युटी अमाउंट: अगर कोई कर्मचारी किसी ऑर्गेनाइजेशन में लगातार 5 साल काम करने के बाद वहां से नौकरी छोड़ता है तो उसे ग्रैच्युटी मिलती है. यह टैक्स छूट के दायरे में आती है. लेकिन इसमें एक शर्त है और वह यह कि सरकारी कर्मचारी के मामले में 20 लाख रुपये तक की ग्रैच्युटी ही टैक्स फ्री है. वहीं प्राइवेट इंप्लॉई के मामले में केवल 10 लाख रुपये तक का ग्रैच्युटी अमाउंट ही टैक्स फ्री है.
PPF अमाउंंट: पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) एक ऐसा निवेश विकल्प है, जो पूरी तरह टैक्स फ्री है. इसमें निवेश किया जाने वाला पैसा, मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने पर मिलने वाली रकम तीनों टैक्स फ्री हैं. इसे EEE कैटेगरी कहा जाता है.
EPF की रकम: अगर कोई इंप्लॉई लगातार 5 साल नौकरी करने के बाद अपना इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) निकालता है तो यह टैक्स फ्री होगा. लेकिन अगर 5 साल की नौकरी पूरी होने से पहले ही EPF अमाउंट निकाला जाता है तो इस पर टैक्स देना होगा.
VRS की रकम: अगर कोई सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी VRS लेता है तो उसे मिलने वाली राशि में 5 लाख रुपये तक का अमाउंट टैक्स फ्री होगा. लेकिन यह सुविधा केवल सरकारी कर्मचारियों तक ही सीमित है. 5 लाख से ज्यादा के VRS अमाउंट पर टैक्स देय होगा.
NRE सेविंग/FD अकाउंट का ब्याज: NRI को NRE (नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल) खाते पर मिलने वाला ब्याज भारत में पूरी तरह टैक्स फ्री है. इसमें NRE सेविंग अकाउंट और NRE FD (फिक्स डिपॉजिट) दोनों तरह के अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज शामिल है.
पार्टनरशिप फर्म के रूप में मिला प्रॉफिट: अगर आप किसी फर्म में पार्टनर हैं तो प्रॉफिट के हिस्से के तौर पर मिली राशि टैक्स देनदारी से मुक्त है. इसके पीछे वजह है कि कंपनी पहले ही इस पर टैक्स दे चुकी होती है. हालांकि ध्यान रहे कि टैक्स छूट सिर्फ प्रॉफिट पर है, सैलरी पर नहीं.
गिफ्ट: भारत में आयकर कानून, 1961 के सेक्शन 56(2)(x) के तहत करदाता को मिले गिफ्ट्स पर टैक्स लगता है. लेकिन अगर गिफ्ट (चल-अचल संपत्ति) करदाता को शादी पर दोस्तों और रिश्तेदारों से मिले हैं और 50000 रुपये से ज्यादा के नहीं हैं तो इन पर टैक्स नहीं देना होगा. एक दूसरी शर्त यह भी है कि गिफ्ट शादी की तारीख या उसके आस-पास की तारीख पर मिलने चाहिए, न कि साल-छह महीने बाद. इसके अलावा यह भी प्रावधान है कि कुछ खास लोगों या रिश्तेदारों से मिले गिफ्ट टैक्स के दायरे में नहीं आएंगे. फिर भले ही वे 50000 रुपये से ज्यादा के क्यों न हों. ये खास लोग इस तरह हैं…
- पति या पत्नी से मिला गिफ्ट
- पति या पत्नी के भाई या बहन से मिला गिफ्ट
- भाई या बहन से मिला गिफ्ट
- पति या पत्नी के किसी निकटतम पूर्वज या वंशज से मिला गिफ्ट
- माता-पिता के भाई या बहन से मिला गिफ्ट
- हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) के मामले में किसी भी मेंबर से मिला गिफ्ट
- विरासत या वसीयत में मिला गिफ्ट या प्रॉपर्टी
- सेक्शन 12A या 12AA के तहत रजिस्टर किसी चैरिटेबल या धार्मिक ट्रस्ट से मिला गिफ्ट
- लोकल अथॉरिटी जैसे पंचायत, म्यूनिसपलिटी, म्यूनिसपल कमेटी और डिस्ट्रिक्ट बोर्ड, कैंटोनमेंट बोर्ड से मिला गिफ्ट
- सेक्शन 10 (23C) में उल्लिखित किसी फंड/फाउंडेशन/यूनिवर्सिटी या अन्य एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन, हॉस्पिटल या अन्य मेडिकल इंस्टीट्यूशन, ट्रस्ट या इंस्टीट्यूशन से मिला गिफ्ट
मां-बाप से मिला पैसा, जेवर और प्रॉपर्टी: अगर करदाता को अपने माता-पिता से या पारिवारिक विरासत में प्रॉपर्टी, जेवर या कैश मिला है तो यह टैक्स के दायरे में नहीं आता है. वसीयत के माध्यम से मिलने वाली प्रॉपर्टी या कैश पर भी इनकम टैक्स नहीं बनता है. हालांकि आयकर विभाग के पास करदाता से इस ट्रांजेक्शन को लेकर सवाल करने का अधिकार है. ऐसे में करदाता को साबित करना होगा कि रकम या प्रॉपर्टी आदि माता—पिता से या वसीयत से या खानदानी विरासत के तौर पर मिले हैं. अगर करदाता मिली हुई रकम को निवेश कर कमाई करता है और प्रॉपर्टी को भी आगे चलकर कमाई या ब्याज हासिल करने का जरिया बनाता है तो फिर उसे इनसे होने वाली आय पर टैक्स देना होगा.
HUF से मिली रकम: अविभाजित हिन्दू परिवार (HUF) से मिली रकम या विरासत के रूप में हुई आमदनी को आयकर के दायरे से बाहर रखा गया है. आयकर कानून के सेक्शन 10(2) के तहत इस तरह का प्रावधान है.
एजुकेशनल स्कॉलरशिप: आयकर नियमों के मुताबिक, स्टडी या रिसर्च के लिए सरकार या प्राइवेट ऑर्गेनाइजेशन से मिली स्कॉलरशिप इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है. स्कूल से लेकर कॉलेज लेवल और विदेशों में पढ़ाई के दौरान मिलने वाली हर तरह की एजुकेशनल स्कॉलरशिप टैक्स फ्री होती है.