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[Techie Tuesday] ग्वालियर से लेकर क्लियरट्रिप के लिए तकनीक का निर्माण करने तक, कुछ ऐसी रही है मनोज शर्मा की यात्रा

[Techie Tuesday] ग्वालियर से लेकर क्लियरट्रिप के लिए तकनीक का निर्माण करने तक, कुछ ऐसी रही है मनोज शर्मा की यात्रा

Tuesday March 17, 2020 , 9 min Read

क्लियरट्रिप डॉट कॉम (Cleartrip.com) के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) मनोज शर्मा का मानना है कि उनके दो दशक के लंबे तकनीकी अनुभव ने न केवल उन्हें तकनीक की बड़ी कंपनियों में नेतृत्व करने का मौका दिया है, बल्कि उन्हें तकनीकी से आगे जाने और ये देखने का भी मौका दिया है कि एक सफल व्यवसाय बनाने के लिए किसकी जरूरत होती है। उन्होंने ऐसे समय में शुरुआत की जब कंप्यूटर बहुत लोकप्रिय नहीं थे। मनोज ने नई चुनौतियों और नई भूमिकाओं को अपनाते हुए, जो भी बनाया उसे अपने करियर में आगे बढ़ाया।


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मनोज शर्मा



टेक्नोलॉजी और अपने स्वयं के कैरियर के बीच समानताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए मनोज इस बारे में बात करते हैं कि वे अपने करियर में कैसे आगे बढ़े हैं। वे बताते हैं कि कैसे एनआईटी कुरुक्षेत्र में पढ़ाने से लेकर दुनिया भर में कई संगठनों के सीटीओ के रूप में काम ने उन्हें नेतृत्व कौशल विकसित करने में मदद की है।


मनोज वर्तमान में ट्रैवल टेक प्लेटफॉर्म क्लियरट्रिप डॉट कॉम के सीटीओ हैं। इससे पहले, उन्होंने अमेरिका में वेरिजोन (Verizon) के साथ काम किया, जहां उन्होंने 2जी या 3जी से पहले नेटवर्क कनेक्शन और डायल-अप सर्विसेस की जिम्मेदारी संभाली। बाद में, उन्होंने लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म माइस्पेस के साथ काम किया। इसके बाद वह 2009 के आसपास भारत वापस आ गए और Zynga और Quikr में टेक्नोलॉजी के प्रमुख थे।


एक पैशनेट टेक एक्सपर्ट 50 वर्षीय मनोज बताते हैं,

"मेरी जर्नी के एक समय पर, मैंने सोचा कि अगर कोई मुझे पेमेंट नहीं भी करेगा तो भी मैं इस काम को करूंगा क्योंकि मैं इसको लेकर काफी दिलचस्प और पैशनेट था। हालांकि समय के दौरान, जब मैंने तकनीक का उपयोग करके समाधान बनाना शुरू कर दिया था, तो मैंने अपने लिए कई अन्य चीजें बनाईं और मैं ऐसा करना जारी रखा हूं। मैं नई टेक्नोलॉजी से बहुत आकर्षित हूं। जैसा कि मैं अपने करियर में पीछे देखता हूं, तो पाता हूं कि जहां-जहां मैं रहा उसने मेरे करियर में मेरे सीखने पर बहुत प्रभाव डाला है।”


इस आर्टिकल में उनकी यात्रा का लेखा-जोखा है जो मध्य प्रदेश के ग्वालियर से शुरू हुई और आगे जाकर किस तरह से उन्होंने कुछ सबसे बड़े वैश्विक तकनीकी प्लेटफार्मों के निर्माण किया।


टीचर से बने टेकी

मनोज ने उस समय स्टडी की थी जब कंप्यूटर बहुत लोकप्रिय नहीं थे। मध्य प्रदेश के ग्वालियर से आने वाले मनोज के स्कूल में उनके पसंदीदा विषय मैथ्स और फिजिक्स थे। उन्होंने इसी को ध्यान में रखते हुए MITS ग्वालियर में स्नातक की पढ़ाई के लिए इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को चुना। वर्षों में इंजीनियरिंग कैसे विकसित हुई है, इस बारे में बोलते हुए, वे कहते हैं:

“उन दिनों (80 और 90 के दशक) के दौरान, पीसी मेनस्ट्रीम में आ रहे थे। यह देखकर बहुत खुशी होती है कि पारंपरिक इंजीनियरिंग को रिलल्ट देखने के लिए इनपुट या कोड प्राप्त करने में लंबा समय लगता है। और अगर कोई समस्या होती है, तो फिर आप दोबारा वापस जाते हैं और उसका पता लगाते हैं।"


वे आगे कहते हैं,

"लेकिन एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर आज तुरंत एक प्रोग्राम राइट कर सकता है और रिजल्ट्स को तुरंत देख सकता है या आप कई महीनों तक एक कॉम्प्लेक्स डेवलपमेंट कर सकते हैं और सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपकी कैल्कुलेशन सही है।"


अपने इंजीनियरिंग के दिनों के दौरान, मनोज ने महसूस किया कि सफल होने के लिए, व्यक्ति की क्षमताओं के साथ तार्किक सोच क्या मायने रखती है। लेकिन एक तकनीकी विशेषज्ञ की भूमिका निभाने से पहले, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कुरुक्षेत्र से मास्टर करने के दौरान, मनोज ने एक शिक्षक होना भी चुना, और एक साल के लिए एनआईटी कुरुक्षेत्र में स्नातक छात्रों के लिए इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा दी। बाद में, स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने 1999 में प्रोग्रामिंग का कोर्स किया और यूएस चले गए।


अमेरिका में काम करना

मनोज ने शुरू में कैलिफोर्निया डिपार्टमेंट ऑफ करेक्शंस (सीडीसी) के लिए एक टेक्नोलॉजी कंसल्टेंट के रूप में काम करना शुरू किया, जो कैलिफोर्निया में सभी जेल फैसिलिटी को चलाता था। इसके बाद वे मैचमेकर (MatchMaker) में गए, जो एक सीमित बजट के साथ सरकार को धन जुटाने में मदद करने के लिए सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन विकसित करने में लगा हुआ था। वहां काम करने वाले एकमात्र सॉफ्टवेयर डेवलपर, मनोज की चुनौती प्रोडक्ट को मार्केट के लिए तैयार करने की थी, जो पिछले डेवलपर द्वारा बीच में ही छोड़ दिया गया था।


मनोज याद करते हैं:

“यह मेरे लिए एक चार्टर था। मैं अकेला लड़का था और मुझे यह काम करना था। हालांकि, हम दो-तीन महीनों में प्रोडक्ट डिलीवर कर सके, लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान, मैंने ओनरशिप अपनाने के बारे में सीख लिया। यदि आपको टेक्नोलॉजी में कुछ दिया जाता है, तो आप ही इसके मालिक हैं। मुझे अपने शुरुआती दिनों में ही यह एहसास हुआ।”


बड़ी टीमों के साथ काम करना

2002 में, मनोज डलास चले गए और वेरीजन में शामिल हो गए, जो उस समय की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनियों में से एक थी। Verizon मनोज के लिए पहली सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी थी, जिसमें अमेरिका के कई स्थानों के साथ-साथ भारत में भी एक ही प्रोजेक्ट पर काम करने वाले लगभग 1,000 कर्मचारी थे।


वेरिजन में मनोज के सामने कई चुनौतियाँ आईं जैसे कि 2जी या 3जी से पहले नेटवर्क कनेक्शन और डायल-अप सर्विसेस स्थापित करना। उनके डिजाइनों का उपयोग सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए किया गया था। वह ग्राहक के समग्र दृष्टिकोण और कस्टमर सपोर्ट के लिए एक सिंगल सिस्टम में अपने सभी ऑर्डरिंग एप्लिकेशन को एकजुट करने में मदद करने में भी सहायक थे।





फिर मनोज ने माइस्पेस (Myspace) में एक मोबाइल एप्लिकेशन डेवलपर के रूप में काम किया, जो उस समय के सबसे बड़े सोशल नेटवर्क में से एक था। उन्होंने हार्डवेयर कॉन्फिगरेशन के हिसाब से कई मोबाइल प्लेटफॉर्म, देशी ऐप, आईफोन, एंड्रॉइड, ब्लैकबेरी और अन्य पर ऑडियो, वीडियो, चैट बोर्ड, इमेज आदि जैसी फीचर्स के साथ माइस्पेस सोशल नेटवर्क एक्सपीरियंस को डेवलप किया।


वे कहते हैं,

“मैंने अपने दम पर पूरे मोबाइल इंजीनियरिंग के एक्सपीरियंस का निर्माण किया। यह 2006 था जब स्मार्टफोन प्लेटफॉर्म मौजूद नहीं थे। उस समय मोबाइल इंजीनियरिंग का निर्माण करना और इसे विश्व स्तर पर कई हजार उपकरणों पर उपलब्ध कराना एक बहुत ही हाई लर्निंग एक्सपीरियंस था।”


विभिन्न स्क्रीन साइज, विभिन्न हार्डवेयर कॉन्फ़िगरेशन, कीबोर्ड आदि के साथ विभिन्न उपकरणों के लिए सोशल नेटवर्किंग कंटेंट प्रदान करना भी एक चुनौती थी। इस अनुभव ने उन्हें यह सीखया कि बड़े पैमाने पर, कॉम्प्लेक्स और हाई परफॉर्मेंस वाली साइटें कैसे काम करती हैं। लगभग तीन वर्षों तक अमेरिका में माइस्पेस के साथ काम करने के बाद, मनोज को 2009 के आसपास भारत वापस जाने का अवसर मिला जब कंपनी ने बेंगलुरु में अपने इंजीनियरिंग ऑपरेशन्स की स्थापना की।


वापस जड़ों की ओर

2010 के अंत तक, मनोज इंजीनियरिंग निदेशक के रूप में ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म ज़िंगा (Zynga) में शामिल हो गए, और कई गेम स्टूडियो को मैनेज किया और एक छोटा गेम भी डेवलप किया। इसके बाद वह ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म Valyoo Technologies में इसके CTO के रूप में शामिल हुए और 2014 तक वहां काम किया।


वे कहते हैं:

"मैं यहां टेक्नोलॉजी बिल्डिंग के लिए जिम्मेदार था, और प्लेटफॉर्म ने इस दौरान ट्रैफिक में 3 गुना वृद्धि देखी।"


क्विकर में मनोज का समय इस बात के लिहाज से काफी उल्लेखनीय था कि कैसे उन्होंने प्लेटफॉर्म के आर्कीटेक्चर को बदलने में मदद की।


वे कहते हैं,

“जब मैं 2014 में क्विकर में शामिल हुआ, तो पहली चीज जो मैंने ठीक की, वह थी टेक्नोलॉजी आर्कीटेक्चर। मैंने बुनियादी ढांचे के आसपास की कुछ चुनौतियों को भी हल किया है।”


हालांकि, क्विकर में मुख्य चुनौती एक विकसित प्लेटफॉर्म बनाना था। क्विकर सभी पांच कैटेगरीज को एक प्लेटफॉर्म पर रखना चाहता था। ये पांच कैटेगरीज जॉब और सर्विसेस से लेकर घर की सफाई और सौंदर्य सेवाओं तक थीं।


वे कहते हैं,

“ये सभी बहुत अलग थीं। ऐसा करने का केवल एक तरीका पांच अलग-अलग टेक्नोलॉजी प्लेटफार्मों का निर्माण करना था। लेकिन चुनौती यह थी कि एक ही प्लेटफॉर्म बनाया जाए, जो एक ही स्थान पर अलग-अलग तरह से दिख सके और व्यवहार कर सके।”


उनके नेतृत्व में, क्विकर ने आक्रामक रूप से बढ़ना भी शुरू किया और पांच महीनों में पांच नए वर्टिकल लॉन्च किए, भारत में कई ऑफिस खोले, और भारत के बाहर के बाजारों में भी विस्तार किया।


सही करियर चुनना

वे कहते हैं,

“मेरे करियर में, मैं उन जगहों पर रहा हूँ जहाँ इनोवेशन हो रहा था। मैंने हमेशा अपने कैरियर का निर्माण किया है - कभी-कभी पसंद से और कभी-कभी एक्सीडेंट से। और वास्तव में मैं आज भी इसी की ओर बढ़ता हूं। मुझे यह भी पता है कि अगर सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो टेक्नोलॉजी वास्तव में वास्तविक समस्याओं को हल कर सकती है। इसलिए, एक बिंदु पर, मुझे संतोष था कि हम एक संगठन के रूप में क्विकर काफी कुछ हासिल करने में सक्षम थे।"



यही वह समय भी था जब उन्होंने क्लियरट्रिप से बात करना शुरू कर दिया था। वह कहते हैं,

"मैं खुद क्लियरट्रिप का उपयोग कर रहा था, और जब मैंने उनसे बात करना शुरू किया, तो मुझे एहसास हुआ कि यह एक जगह है जो उपभोक्ताओं को उनकी चुनौतियों को समझने और फिर सही तकनीक का उपयोग करके इसे हल करने के लिए वास्तव में प्रतिबद्ध है। और मेरा वहां जाना स्वाभाविक था।”


जब वह 2017 के आसपास क्लियरट्रिप में शामिल हो गए, तो कंपनी आगे बढ़ने लगी थी। मनोज के लिए, सभी विभागों के साथ डेवलपमेंट की सभी योजनाएँ बहुत सहयोगात्मक तरीके से हुईं, और इस बात पर स्पष्ट दृश्यता थी कि अन्य कार्य या टीम क्या कर रही हैं।


वे बताते हैं,

"तो, मेरा ध्यान यहां केवल अकेले टेक्नोलॉजी को देखने पर नहीं बल्कि यह भी देखना कि मैं फाइनेंस, कस्टमर सपोर्ट आदि जैसे अन्य विभागों के समर्थन के लिए सलूशन कैसे बना सकता हूं।"


तकनीक का भविष्य

खासकर जब स्मार्टफोन और पेमेंट की बात आती है तो पिछले कुछ वर्षों में, टेक्नोलॉजी में बहुत इनोवेशन हुए हैं। हालांकि, मनोज का दावा है कि आने वाला दशक टेक्नोलॉजी के लिए क्रांतिकारी होगा। वे कहते हैं,

“हम अपने जीवन में तकनीकों को इतना अधिक देखेंगे कि हम इसे देखने में भी असफल हो जाएंगे। अगले दशक में मशीन लर्निंग, वॉयस और ऑटोमेशन का एक संयोजन होगा, और हमारा व्यक्तिगत या सामाजिक जीवन टेक्नोलॉजी से बहुत अधिक प्रभावित होगा।”


मनोज कहते हैं कि एक नए डेवलपर को वहाँ से निकलने वाले समाधानों की विविधता के मूल्य को समझने में सक्षम होना चाहिए, और तकनीकी दुनिया में जीवित रहने के लिए समाधान बनाने के लिए उनको जल्दी से इंटीग्रेट करना चाहिए।