हवा से पानी बनाने वाली कोलकाता की इस कंपनी ने की तीन साल में तीन गुना ग्रोथ
पृथ्वी का एक तिहाई हिस्सा पानी से भरा है लेकिन पेयजल की मात्रा सीमित है। यही वजह है कि दुनियाभर में अक्सर पानी की कमी होने की रिपोर्ट आती रहती हैं। हमारा देश भी पेयजल की समस्या की कोई काट नहीं ढूंढ पाया है। 2018 वाटरएड रिपोर्ट के अनुसार, देश की 12 प्रतिशत से अधिक आबादी पहले से ही 'डे जीरो' हालात में जी रही है जिसकी वजह भूजल जल का अत्यधिक दोहन, खराब वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम और लगातार वर्षों से कम बारिश का होना है।
अब वक्त की जरूरत इनोवेशन की है और कोलकाता की एक कंपनी हवा से शुद्ध पेयजल बनाकर वही काम कर रही है। यह बात आपको जादू जैसी लग रही होगी लेकिन देश में पहली बार स्वदेशी तरीके से वायुमंडलीय जल जनरेटर के निर्माण का दावा करने वाली AKVO Atmospheric वॉटर सिस्टम्स का कहना है कि यह विज्ञान है।
ऑटमोस्फेरिक वॉटर जनरेटर्स (AWG) ऐसी मशीनें हैं जो हवा से पानी का उत्पादन कर सकती हैं। वे बिजली से चलती हैं और पानी के किसी भी बाहरी स्रोत के बिना ताजा और साफ पानी बनाने के लिए कंडेंसेशन और फिल्टरेशन की सरल प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं। AWG टेक्नोलॉजी के उपयोग से कोलकाता स्थित कंपनी ओस की बूंद की तरह संक्षेपण की कुदरती प्रक्रिया का अनुकरण करती है। इससे कम नमी में भी लगातार पानी बनाया जा सकता है।
AKVO कोलकाता के रहने वाले दूसरी पीढ़ी के कारोबारी नवकरन सिंह बग्गा के दिमाग की उपज हैं। उन्होंने 2017 में इस उद्यम की नींव रखी थी। AKVO एक सामान्य प्लग एंड प्ले मेथड पर काम करता है और एक घंटा चलने के लिए एक यूनिट बिजली की खपत करता है। इसके सीईओ नवकरन बताते हैं ,
'दुनिया में जल संसाधन तेजी से घट रहे हैं। अब दुनिया के पानी को सही करने के साथ भूजल स्रोतों को नवीनीकृत करने की जरूरत है। इसका एक समाधान AWG है। अपना खुद का पानी पैदा करके आप भूजल की खपत कम करते हैं। इससे भूजल संसाधनों को नवीनीकृत और उन्हें फिर से भरने में मदद मिलती है। इन्हीं वजहों AKVO की शुरुआत की प्रेरणा दी जो भविष्य के हिसाब से तैयार है।'
नवकरण हवाला देते हैं कि बाजार में पानी 15 रुपये से 20 रुपये प्रति लीटर में बिकता है और इसकी स्वच्छता पर भी संदेह रहता है। वहीं AKVO के AWG टेक्नोलॉजी से बने पानी का दाम केवल 1.75 रुपये से 2 रुपये प्रति लीटर है।
वह कहते हैं,
AKVO आपको पानी से जुड़ी आजादी देता है फिर आपको पाइपलाइन और अन्य जल स्रोतों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं रहती है। हमारी मशीन का लागत पर भी प्रभावी नियंत्रण रहता है। यह कम बिजली का उपयोग करके अधिक मात्रा में पानी बनाती है। इसका पर्यावरण भी कोई नकारात्मक असर नहीं होता है।'
AWG कैसे काम करता है
AKVO में फिलहाल मशीन के पांच संस्करण उपलब्ध हैं। 36K हर दिन 100 लीटर पानी का उत्पादन करता है। 55K से रोजाना 150 लीटर पानी बनता है। वहीं 110K की उत्पादन क्षमता 300 लीटर प्रतिदिन है। 180K से रोजाना 500 लीटर बनाया जा सकता है जबकि 365K की कैपेसिटी 1,000 लीटर प्रतिदिन है। नवकरण का कहना है कि कंपनी ग्राहक की ज़रूरत के हिसाब से मशीन को कस्टमाइज भी करती है।
AKVO की मशीन का कामकाज उस भौगोलिक स्थान के आर्द्रता और तापमान पर निर्भर करता है जहां इसे लगाया जाता है। इसे 30-80 प्रतिशत आर्द्रता के साथ 10 डिग्री सेल्सियस से 60 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर चलाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह फैक्टर मशीन को तटीय और पहाड़ी क्षेत्रों के अलावा खासकर उष्णकटिबंधीय देशों में लगाने के आदर्श बनाता है जहां वायुमंडलीय नमी अच्छी मात्रा में उपलब्ध है।
AKVO के फाउंडर बताते हैं,
'इस साल हम एक हाउसहोल्ड मॉडल पेश करेंगे जो हमारे कारोबार के लिए निश्चित तौर पर गेम चेंजर साबित होगा। हम टेबल-टॉप मॉडल पर भी काम कर रहे हैं जो होटल रूम्स में बोतलबंद पानी की जगह ले सकता है। इससे प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने में भी मदद मिलेगी।'
नवकरण का कहना है,
'हमारी मौजूदा मशीनों का उपयोग घरेलू कामकाज के लिए भी किया जा सकता है। हालांकि अभी कैपेसिटी रेंज 100 लीटर प्रति दिन से शुरू होती है। इसलिए हम एक से अधिक कॉम्पैक्ट मॉडल के साथ आ रहे हैं। इससे प्रतिदिन 25 लीटर पानी बनाया जा सकेगा जो औसत घरेलू जरूरतों को सूट करेगा।'
AKVO हवा से पानी बनाने के लिए हीट एक्सचेंज और रेफ्रिजरेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहा है।
AKVO की टीम
AKVO की टीम में 25 लोग हैं जिनमें से नौ प्रोडक्शन, रिसर्च और प्रोटोटाइप में काम करते हैं। कंपनी में ग्लोबल सेल्स और मार्केटिंग के हेड प्रदीप वर्मा वॉटर इंडस्ट्री के दिग्गज हैं। वह यूरेका फोर्ब्स और उसके बाद मारमॉन होल्डिंग्स, Inc के साथ काम कर चुके हैं जो बर्कशायर हैथवे ग्रुप की कंपनी है। प्रदीप को भारतीय और अन्य दक्षिण एशियाई बाजारों में सेल्स और बिजनेस डेवलपमेंट में दो दशकों से अधिक का अनुभव है।
AKVO के फाउंडर नवकरण के पास ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ केंट से फाइनेंस में अंडरग्रेजुएट के साथ द एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट रिसर्च से एमबीए की डिग्री भी है। वह त्रिशान मेटल्स प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक भी हैं जो विशेष ऑटोमोटिव ग्रेड स्टील के निर्माण के लिए आईएफबी इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ बना ज्वाइंट वेंचर है। नवकरण ALFA नेटवर्क, यूथ फोरम ऑफ एसोचैम के अध्यक्ष भी रहे हैं जिसका फोकस देश में उद्यमिता को बढ़ावा देने पर है। वह वर्ष 2016 के लिए CII-Yi कोलकाता चैप्टर के उपाध्यक्ष भी थे।
टारगेट ऑडियंस
नवकरण का कहना है कि एकेवीओ के संभावित खरीदारों में ताजे शुद्ध पेयजल की जरूरत वालों के साथ ऐसे क्षेत्र शामिल हो सकते हैं जहां प्राकृतिक संसाधनों की कमी के चलते जल संकट है या फिर लोग पर्यावरण के हिसाब से सुरक्षित और नवीकरणीय स्रोत की तलाश कर रहे हैं। AKVO भारत के साथ दुनियाभर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहा है।
नवकरण बताते हैं,
'हमारे पास सभी उद्योगों के अच्छी तादाद में ग्राहक हैं। मुझे यह बताते हुए काफी खुशी होती है कि रोजाना कम से कम 5,000 लोग हमारी मशीनों से पानी का इस्तेमाल करते हैं।'
मध्यप्रदेश के दमोह क्षेत्र में पानी की समुचित व्यवस्था न होने की वजह से लगभग 1,500 की आबादी गंभीर जलसंकट का सामना कर रही थी। इस समस्या से निपटने के लिए मध्यप्रदेश के सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण विभाग ने AKVO से संपर्क किया। अब हरदुआ में AKVO 365K मशीन यूनिट की लगने के 10 महीने बाद ग्रामीणों को हवा से रोजाना तकरीबन 1,000 लीटर ताजा पेयजल मिलता है।
पिछले साल चेन्नई गंभीर जल संकट से जूझ रहा था जिसे दूर करने के लिए वहां के स्कूलों, आवासीय परिसरों और निजी संस्थानों जैसी जगहों पर 50 अधिक मशीनों इंस्टाल किया गया था। यह चेन्नई में कई मल्टिनेशनल कंपनियों के ऑफिस में मशीन लगाने के लिए उनसे बातचीत कर रही है।
कतर फीफा विश्व कप 2022 स्टेडियम में 44 से अधिक AKVO मशीनें लगाई गई हैं और 350 से अधिक का ऑर्डर मिला है। AKVO ने मध्य पूर्व में स्थिति मजबूत करने के लिए अपनी नई 300 लीटर मशीन SEWA (शारजाह इलेक्ट्रिसिटी एंड वाटर अथॉरिटी) में भी लगाई है।
दुबई की लॉजिस्टिक्स कंपनी डीपी वर्ल्ड ने अपने दुबई पोर्ट में पहली मशीन लगाई है। एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड हल्दिया और अन्य सरकारी निकाय स्वच्छ पेयजल के लिए AKVO मशीनों के साथ काम कर रहे हैं। लक्षद्वीप द्वीप में स्थानीय सरकार के सहयोग से छह मशीनें लगाई गई हैं।
मौजूदा आउटलुक और भविष्य
नीति आयोग की ओर से जारी कंपोजिट वॉटर मैनेजमेंट इंडेक्स (CWMI) रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि 2030 तक देश के पानी की मांग उपलब्ध आपूर्ति का दोगुना होने का अनुमान है। इसका मतलब देश के लाखों लोगों के लिए पानी की कमी जाएगी और इससे आखिरकार जीडीपी में छह प्रतिशत का नुकसान होगा।
नवकरण ने समझाते हुए कहा,
'AKVO जैसे उत्पाद के लिए भविष्य खजाने के बक्से की तरह है क्योंकि कई चैनल हैं जिनके माध्यम से यह मानवता की सेवा कर सकता है। AKVO AWG से बना पानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) के निर्धारित मानकों को पूरा करता है। इसका टेस्ट भी ISO 10500, 2012 के तय मानक पर खरा उतरता है और इसे पीने के लिए सुरक्षित बताया गया है।'
AKVO पिछले तीन वर्षों में तीन गुना बढ़ा है और इसके नजर वित्त वर्ष 2020-21 में भी ग्रोथ मोमेंटम को बनाए रखने पर है। अभी तक AKVO दुनियाभर में 200 से अधिक मशीनें बेच चुका है। यह अब तक अपने मौजूदा संसाधनों से चल रहा है लेकिन जल्द ही फंड जुटाने की योजना बना रहा है।
कंपनी फिलहाल कुछ निवेशकों के साथ बातचीत कर रही है। नवकरण आमदनी के बारे में बताते हुए कहते हैं,
'अभी हमारी ग्रॉस सेल से 2 करोड़ रुपये से कुछ अधिक है। हमें गल्फ में बढ़े डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क और नए बाजारों के साथ अगले वित्त वर्ष में 12 करोड़ रुपये के लक्ष्य पाने की उम्मीद है। इस सेगमेंट में वॉटरमेकर जैसी कुछ अन्य कंपनियां भी हैं लेकिन नवकरण का दावा है कि AKVO देश में सबसे बड़ा AWG निर्माता है।
वह बताते हैं,
'हम दुनियाभर में एक लीटर पानी बनाने में सबसे कम बिजली की खपत करते हैं।'
CWMI की रिपोर्ट के अनुसार, 21 प्रमुख शहरों (दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, और अन्य) में 2020 तक जीरो ग्राउंडवॉटर लेवल तक पहुंचने का खतरा है। इससे करीब 10 करोड़ लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ेगा। देश को पानी की कमी के समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए AKVO के AWG जैसे सॉल्यूशन की आवश्यकता है।