[टेकी ट्यूज्डे] बंगाल के एक छोटे से गाँव से निकलकर बनाया विंक म्यूजिक, कुछ ऐसी रही है सुदीप्त बनर्जी की अब तक की जर्नी
छोटे शहरों के लोगों के सपने बड़े होते हैं और अक्सर उनका नसीब उन्हें पूरा करने के लिए किसी न किसी तरह आगे बढ़ा ही देता है। सुदीप्त बनर्जी के साथ भी ऐसा ही हुआ, जो पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गाँव से आते हैं। वे अब Wynk Music और Airtel Xstream (Airtel TV) के CTO हैं।
सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धी करियर बनाने के लिए इंजीनियरों को निरंतर सीखते रहना आवश्यक है। एक मौलिक स्तर पर, इसकी शुरुआत बहुत सारी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखने के साथ होती है। इसके बाद आते हैं सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट (एसडीके), जो कंपनी के बड़े कारोबारी ढांचे का गठन करते हैं। एक अनुभवी सॉफ्टवेयर डेवलपर और अनुभवी टेक आर्किटेक्ट के बीच मुख्य अंतर यह है कि वह एसडीके को कैसे समझता है। इसमें अनिवार्य रूप से सभी जटिलताएं शामिल हैं जो रास्ते में आती हैं और यही ग्राहक के साथ संवाद करने के लिए एक तकनीकी रोडमैप तैयार करता है।
लोकप्रिय म्यूजिक स्ट्रीमिंग ऐप विंक म्यूजिक के CTO सुदीप्त बनर्जी ने इस बात को बहुत पहले ही समझ लिया था जब वे NIT वारंगल से ग्रेजुएशन कर रहे थे। जब उन्होंने इस टेक्नोलॉजी-इनैबल्ड प्रोडक्ट को आकार देने में SDK की भूमिका को समझना शुरू किया तो वह आईआईटी-खड़गपुर में एक जेनेटिक एल्गोरिदम प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, और कॉलेज के अपने तीसरे साल में IIIT हैदराबाद में एक स्पीकर-इंडिपेंडेंट स्पीच रिकग्निशन मॉडल थे।
उन्होंने योरस्टोरी से कहा,
"वे भी दिन थे जब 'स्क्रैच से बिल्ड' करने में ग्लैमर नहीं जुड़ा था। स्टैक ओवरफ्लो जैसी कोई चीज नहीं थी। हम मैन्युअल पेजेस पर बहुत अधिक निर्भर थे। मुझे पता चला कि मौजूदा एसडीके के ऊपर कई चीजों का निर्माण करना ठीक था।”
सीटीओ का मानना है कि प्रोडक्ट के लिए प्रेरणा प्रॉबलम स्टेटमेंट और सलूशन से ली जानी चाहिए, न कि चारों ओर की चकाचौंध से।
बड़ी तस्वीर
37 वर्षीय सुदीप्त पश्चिम बंगाल में वेस्ट मिदनापुर (पश्चिम मेदिनीपुर) के पास एक छोटे से गाँव से आते हैं। वह शिक्षकों के परिवार से ताल्लुक रखते है; उनके दादा ने गाँव में एक शैक्षणिक संस्थान शुरू किया था और एक बहुत ही सम्मानित व्यक्ति थे। सुदीप्त कहते हैं कि उनके दादा प्रेरणादायक व्यक्ति थे। सुदीप्त के जीवन पर उनके दादा के विचारों का काफी प्रभाव था। उन्हें अपने द्वारा चुनी गई किसी भी चीज में बहुत अच्छा होना सिखाया गया था, और वह याद करते हैं कि उनके पिता ने हमेशा उन्हें गणित में 100 नंबर लाने के लिए प्रेरित किया था क्योंकि सब्जेक्ट में ऑब्जेक्टिव अप्रोच थी, और ऐसा कोई कारण नहीं था कि वे अच्छे नंबर न लाएं!
इस वजह से, सुदीप्त ने जो भी चुना उसमें बहुत अच्छा करना सीखा। उन्होंने उस काम को ऐसे सीखा जैसे इसमें महारत हासिल करनी हो। उन्हें एप्लाइड मैथमैटिक्स में दिलचस्पी थी, और उन्होंने जल्द ही पहचान लिया कि सॉफ्टवेयर और प्रोग्रामिंग वह जगह थी जहां दुनिया आगे बढ़ रही थी। दिलचस्प बात यह है कि एप्लाइड मैथमैटिक्स का भविष्य भी ऐसा ही था और सुदीप्त ने 2000 और 2004 के बीच कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग को आगे बढ़ाने के लिए एनआईटी वारंगल में शामिल होने का फैसला किया।
वे कहते हैं,
"सॉफ्टवेयर केवल एक टूल या एक इनैबलर (enabler) है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केवल एक टूल या एक इनैबलर है। लेकिन बड़ी तस्वीर कुछ और है: उपभोक्ता समस्याओं को हल करना अधिक महत्वपूर्ण है।”
प्रोडक्ट और सर्विसेस के बीच पूर्वाग्रह
जैसा कि सुदीप्त जेनेटिक्स और स्पीच रिकग्निशन पर अपने प्रोजेक्ट्स से आगे बढ़े, कॉलेज में भी उनका समय लगभग समाप्त हो रहा था। 2000 के दशक की शुरुआत में, अब के विपरीत, "प्रोडक्ट कंपनी या सर्विसेस बेस्ड कंपनी जैसी कोई चीज नहीं थी।" उस समय, वे जावा और चैलेंजिंग मकैनिज्म की ओर तेजी से बढ़ते गए।
सुदीप्त ने ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त करने के बाद एक सिंपल एक्सपेक्टेशन के साथ एचसीएल ज्वाइन किया कि उन्हें बैठकर केवल कोडिंग करनी होगी। उन्होंने RSA सिक्योरिटी एप्लिकेशन पर काम किया, जिसे 2006 में EMC द्वारा अधिग्रहित किया गया था। EMC को बाद में डेल टेक्नोलॉजीज द्वारा अधिगृहित कर लिया गया था, और RSA सिक्योरिटी अब कॉर्पोरेशन के स्वामित्व में है। आरएसए के साथ, वह क्रिप्टोग्राफी और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन टोकन पर काम करते हुए लगभग 14 ऑपरेटिंग सिस्टम और लगभग 20 सर्वर आर्किटेक्चर मकैनिज्म को देख रहे थे। इन टूल्स के साथ वेब सर्वर के लिए सिक्योरिटी प्लगइन्स बनाने का विचार था।
वे कहते हैं,
“मेरा काम कई ऑपरेटिंग सिस्टमों में, हर सर्वर के लिए सिक्योरिटी फ्रेमवर्क को क्रैक करना था। मेरी पहली जॉब के दौरान ही इन विभिन्न आर्किटेक्चर के साथ काम करने का अनुभव सुंदर था।”
एचसीएल के बाद, सुदीप्त वरिष्ठ सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में वेरिजोन (Verizon) इंडिया चले गए और वहां दो साल (2004 और 2006 के बीच) से ज्यादा समय तक काम किया।
कंपनी चेन्नई में एक प्रोडक्ट डेवलपमेंट की शॉप स्थापित करने की कोशिश कर रही थी। कंपनी उपभोक्ता समस्याओं को हल करने आग्रह के साथ ये करना चाहती थी। उन्होंने इस अवसर को हथियाने का फैसला किया। वेरिजोन आज के Skype के समान एक Voice over IP (VoIP) प्रोडक्ट डेवलप कर रहा था।
किसी तरह प्रोडक्ट शुरू नहीं हो पाया, लेकिन उनके इस कार्यकाल ने उन्हें एक अलग खेल का मैदान दिया, जहां वह प्रोडक्ट डेवलपमेंट के साथ एक लंबा खेल खेल सकते थे। वे कहते हैं,
“मैं एक छह सदस्यीय टीम के साथ शानदार दौड़ लगा रहा था और यह सब आपके अपने प्रोडक्ट को विकसित होते देखने के बारे में था। उस टीम के लगभग सभी लोग अब सीटीओ हैं।”
याहू में मिली बड़ी सीख
जल्द ही सुदीप्त के सामने एक ऐसी पहेली थी जिसका अधिकतर इंजीनियर सामना करते हैं: अमेरिका की सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में शामिल होने के लिए वहीं से MS डिग्री प्राप्त करना, या यहीं रहकर कुछ अलग करना।
आज, उन्हें खुशी है कि उन्होंने झुंड में जाना न चुनकर यहीं रहकर कुछ करने का फैसला किया। उन्होंने इस जर्नी को चुना जिसने उन्हें आज इस मंजिल तक पहुँचाया है। उनके कॉलेज के कई सीनियर तब बेंगलुरु में याहू के साथ काम कर रहे थे। सुदीप्त अपने होरिजन का विस्तार करना चाह रहे थे। उन्होंने 2006 से 2010 तक याहू के साथ काम किया और अपने उस कार्यकाल का बखान वे केवल कुछ शब्दों में करते हुए कहते हैं: “वाह! क्या जगह है!” उनका मानना है कि याहू के साथ रहने के दौरान उनकी समझ बहुत बढ़ गई थी।
वे कहते हैं,
"गूगल के हस्तक्षेप के चलते भले ही उनका बिजनेस ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाया हो, लेकिन रॉ टैलेंट की क्वालिटी और स्केलेबल प्रोडक्ट्स के निर्माण के प्रति उनके दृष्टिकोण के मामले में, याहू को वास्तव में पता था कि वह क्या कर रहा था। हर टीम ने अपने खुद के डॉक्यूमेंटेशन लिखे हुए थे, अपनी रोजमर्रा की बैठक के नोट्स, अपनी चुनौतियों और अपने सामान्य उद्देश्यों को लिखकर रखा था। यह बहुत अच्छी बात थी।"
याहू में, उन्होंने याहू फाइनेंस पर काम किया और उन्हें भारत के सभी राज्यों और दुनिया भर में कई अन्य डेमोग्राफीज के लिए सलूशन तैयार करना करना पड़ा। इस प्रोजेक्ट्स में उनके समय ने उन्हें लोकलाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन के लिए निर्माण करना सिखाया और सिखाया कि कुशल लोकलाइजेशन सुनिश्चित करने के लिए आर्कीटेक्चर का निर्माण कैसे करना होता है।
स्टार्टअप बनाम मल्टीनेशनल कॉरपोरेट
याहू में चार साल के बाद, सुदीप्त ने महसूस किया कि वह अपने सीखने की अवस्था को पार कर चुके हैं और बेंगलुरु में अभी-अभी शुरू हुए स्टार्टअप दृश्य का पता लगाना चाहते हैं। 2010 में, उन्होंने बेंगलुरु-आधारित पर्सनल फाइनेंस स्टार्टअप मनीसाइट्स में शामिल होने का फैसला किया, जिसे 2014 में टाइम्स इंटरनेट समूह द्वारा अधिग्रहित किया गया। एक साल से अधिक समय के बाद, सुदीप्त अंत में Wynk में जाने से पहले ढाई साल के लिए इंजीनियरिंग के प्रमुख के रूप में XKLAIM चले गए। विंक में अब वह CTO हैं।
सुदीप्त सुझाव देते हैं कि इंजीनियर एक बड़ी टेक कंपनी से जुड़ते हैं, केवल शुरुआत में यह समझने के लिए कि ये व्यवसाय किस पैमाने पर चलते हैं, और उस पैमाने को प्रबंधित करने के साथ उत्पाद विकास कैसे होता है।
उन्हें लगता है कि जब हर स्टेज में एक कंपनी, अच्छी तरह से स्ट्रक्चर्ड, अच्छी तरह से डॉक्यूमेंटेड होती है, और इसका ट्रैक रखती है कि टीमों के भीतर किस तरह की कन्वर्सेशन होती है, तो समझ लीजिए कि उसमें भविष्य में खुद को बेहतर ढंग से परिभाषित करने की गुंजाइश है। सुदीप्त का मानना है कि इंजीनियरों के लिए इन संरचनात्मक पैटर्न को समझने की क्षमता का एक स्तर बनाना बहुत महत्वपूर्ण है, यहां तक कि उनकी तकनीकी विशेषज्ञता के बाहर भी।
वे कहते हैं,
“एक स्टार्टअप पर भी, अगर यह अपने सी सीरीज स्टेज में है, तो युवा इंजीनियरों को आदर्श रूप से यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि उनका कोड और प्रोडक्ट कंट्रीब्यूशन वास्तव में अंतिम उपयोगकर्ता की समस्याओं को कैसे हल करता है। सॉफ्टवेयर में एक डीसेंट पेडीग्री वाले लोगों को हमेशा स्थिर संगठन को परीक्षण के मैदान के रूप में देखना चाहिए।”
विंक म्यूजिक के लिए आगे
दो स्टार्टअप्स के इंजीनियरिंग विभागों के साथ काम करने के बाद, सुदीप्त ने रेस्ट लिया। उन्होंने महसूस किया कि वह उस पैमाने को भूल रहे हैं जो उन्होंने याहू के साथ ऑपरेट किया था। फ्रेंड द्वारा पुश किए जाने के बाद, विंक म्यूजिक (भारती एयरटेल की सहायक कंपनी) के एचआर हेड, ने ऐप के बिजनेस हेड के साथ कॉल किया, जो लंदन में बैठते हैं। कुछ ही समय में सुदीप्त कंपनी के बोर्ड पर थे। ज्वाइन करने के तुरंत बाद, उन्होंने कई यूजर्स रिव्यू और रिक्वायरमेंट्स के साथ ए / बी टेस्टिंग शुरू की, और "अनग्लैमरस टूल्स" के साथ एप्लीकेशन का निर्माण किया। उनका कहना है कि विंक के कॉम्पटीटर्स ने अपने एप्लिकेशन बनाने की शुरुआत करने के दौरान कभी भी एनालिटिक्स और यूजर्स डेटा में गहराई से निवेश नहीं किया।
विंक ऐप के सोफिस्टिकेशन लेवल पर ऑफलाइन डाउनलोड और बाद में प्लेलिस्ट डेवलपमेंट आता है, जो आमतौर पर केवल एक नैटिव मोबाइल ओईएम में देखा जाता है। पांच साल पहले जब ऐप डेवलपमेंट इकोसिस्टम नवजात था; तब इसमें बहुत सारे फ्रेगमेंटेशन साथ आए थे, अनडॉक्यूमेंटेड स्टैक्स और अनडॉक्यूमेंटेड एपीआई सिस्टम।
वे कहते हैं,
“वेब पोर्टल से एमपी 3 फाइलों को डाउनलोड करने से लेकर ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सर्विसे की पेशकश करने तक, स्मार्टफोन के लिए प्राइमरी कैटालिस्ट इंटरनेट कनेक्टिविटी थी। कनेक्टिविटी अक्सर 3 जी से 2 जी और 4 जी से 3 जी तक फ्लकचुएट करती है। मोबाइल ओईएम को सॉल्व करने के अलावा इन कॉम्पिटेंसी को सॉल्व करना एक चुनौती थी।”
भारतीय इंटरनेट यूजर्स पहली बार एक म्यूजिक स्ट्रीमिंग ऐप का उपयोग कर रहे थे, और सुदीप्ता की टीम भी पहली बार इस तरह के प्रोडक्ट का निर्माण कर रही थी। टीम के पास बहुत सारे डेटा और यूजर्स मैनीफेस्टो थे, जो उन्होंने प्रोडक्ट के रोडमैप के निर्माण के लिए तैयार किया था।
उन्होंने कहा कि विंक के निर्माण से उनकी प्रमुख सीख यह है कि एक ठोस डेटा एनालिटिक्स सिस्टम से एक शक्तिशाली ऐप व्यवसाय कैसे बनाया जा सकता है। विंक के बिजनेस हेड के साथ उस फेटफुल इंटरनेशनल कॉल को याद करते हुए, सुदीप्त हंसते हुए कहते हैं, "मुझे उस आईएसडी कॉल के लिए अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा था लेकिन मुझे लगता है कि यह इसके लायक थी।"