Techsparks 2019: फ़ैब इंडिया के चेयरमैन विलियम बोले- ख़ुद को पहचानकर, पूरे जुनून से करें बिज़नेस
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फ़ैब इंडिया के चेयरमैन विलियम बिसल, जब छोटे थे, तब उनके सारे दोस्त पायलट बनना चाहते थे, लेकिन विलियम उनमें से थे, जो एक एयरलाइन कंपनी के मालिक बनना चाहते थे। विलियम का कोई पारिवारिक बिज़नेस नहीं था, लेकिन उनके सोचने का तरीक़ा हमेशा से ही एक व्यवसायी की तरह था।
विलियम के पिता जॉन बिसल ने 1960 में टेक्स्टाइल एक्सपोर्ट बिज़नेस शुरू किया, जो आगे चलकर फ़ैब इंडिया बना। विलियम ने अपने पिता के बीमार होने के बाद कंपनी की जिम्मेदारी संभाली।
Techsparks 2019 इवेंट में विलियम ने योरस्टोरी की फ़ाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा को बताया,
"मैं दरअसल एक एनवायरमेंटल जर्नलिस्ट बनना चाहता था, लेकिन पिता जी के बीमार पड़ने के बाद मैंने उनके एक्सपोर्ट बिज़नेस को संभाला, जबकि उस समय मेरी उसमें कोई रुचि नहीं थी।"
उनके पिता जी दूसरे ब्रैंड्स के नाम के अंतर्गत बिज़नेस करते थे, लेकिन विलियम ने तय किया कि वह अपना ख़ुद का ब्रैंड शुरू करेंगे और रीटेल इंडस्ट्री में उतरेंगे। वह चाहते थे कि उनके ब्रैंड की बदौलत देश की सभ्यता और संस्कृति कपड़ों के ज़रिए जनता में लोकप्रिय हो।
विलियम ने बताया,
"विलियम ने देशभर में अलग-अलग जगहों के बुनकरों की मदद से हैंडमेड कपड़े बेचना शुरू किया। मैं पहले भी देशभर में कई हिस्से घूम चुका था और गांवों में मौजूद कला से मैं परिचित था।"
उन्होंने बताया,
"फ़ैब इंडिया की शुरुआत जिस दौर में हुई थी, तब बिज़नेस करने वाले लोग ऐसे परिवारों से ताल्लुक रखते थे, जिनके पास नेटवर्क थे और संपत्ति भी थी। मेरे पास ऐसा कोई नेटवर्क नहीं था। इसलिए, मैं अडवाइज़र्स की अपनी काउंसिल बनाई और उनकी बहुमूल्य सलाह के बदले में उन्हें कंपनी में इक्विटी देना शुरू किया। "
2018 तक, विलियम फ़ैब इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर थे और अब वह चेयरमैन की भूमिका में हैं।
कंपनी का दावा है कि उनके साथ 40 हज़ार से ज़्यादा कलाकार जुड़े हुए हैं, जो उनके प्रोडक्ट्स तैयार करते हैं। साथ ही, कंपनी का यह भी कहना है कि वह 55 हज़ार से ज़्यादा क्राफ़्ट आधारित ग्रामीण निर्माताओं को सीधे आज के आधुनिक शहरी बाज़ार से जोड़ते हैं, जिसकी बदौलत गांवों में रोज़गार का स्तर बेहतर होता है।
बदलते समय पर चर्चा करते हुए विलियम ने कहा,
"कुछ निवेशकों ने कहा कि हमारे ब्रैंड को ईकॉमर्स के साथ चलना होगा, नहीं तो हमारा ब्रैंड ख़त्म हो जाएगा, लेकिन मैंने फिर भी इससे किनारा किया। मैं ईकॉमर्स बिज़नेसों की तरह पैसे नहीं गंवाना चाहता था। साथ ही, ईकॉमर्स कंपनी बनने के लिए हमारे पास उपयुक्त संसाधन नहीं थे।"
ऑर्गेनिक वेलनेस प्रोडक्ट्स के बिज़नेस के बारे में बात करते हुए विलियम ने बताया कि एक बार उन्होंने एक ट्रेन के डिब्बे में बैठे यात्रियों से बातचीत की और जाना कि लोगों के बीच वेलनेस प्रोडक्ट्स काफ़ी लोकप्रिय हैं और इसके बाद ही उन्होंने वेलनेस प्रोडक्ट्स की कैटेगरी में काम करने का मन बनाया।
विलियम के मुताबिक़, नए आइडियाज़ ईकोसिस्टम से आते हैं और अगर लोग ईकोसिस्टम की नहीं सुनते, तो वे नये आइडियाज़ से वंचित रह जाते हैं। विलियम मानते हैं कि फ़ैब इंडिया ने फ़्रैंचाइज़ एनर्जी का इस्तेमाल किया और इस वजह से ही ब्रैंड इतना आगे बढ़ सका। फ़ंडिंग पर चर्चा करते हुए विलियम बोले कि फ़ंड रेज़िंग राउंड में जाना शादी की तरह होता है।
उन्होंने कहा,
"कभी-कभी तो निवेश सिर्फ़ कंपनी की वैल्यू के आधार पर मिल जाता है। हमें निवेशकों के साथ काफ़ी समय बिताना पड़ता है, फिर कहीं जाकर निवेश मिल पाता है। निवेशक आपके सामने जो कुछ भी प्रस्तुत करता है, बतौर फ़ाउंडर आपको उसका सम्मान करना चाहिए।"
विलियम किसी बिज़नेस स्कूल नहीं गए और न ही उनके पास किसी बड़ी यूनिवर्सिटी की एमबीए की डिग्री है, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि वह कुछ एमबीए की डिग्री लेने वालों के प्रभाव में थे और इस वजह से उन्होंने यूके के एक ब्रैंड का अधिग्रहण किया। विलियम मानते हैं कि यह उनकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी ग़लती थी। वह कहते हैं, "मैं 10 सालों तक उबरने की कोशिश करता रहा।" विलियम मानते हैं कि फ़ंड्स जुटाना न तो कोई रणनीति है और न ही बिज़नेस।
वह कहते हैं,
"मेरे लिए बिज़नेस का मतलब है अपने जुनून के साथ जुड़ना। सिर्फ़ निवेश के आधार पर बिज़नेस नहीं किया जा सकता और इसलिए ज़रूरी है कि आप यह समझें कि आप क्या हैं।"