जिसे ईरान की सरकार ने जेल में डाला, उसे दुनिया ने ग्रैम्मी से नवाजा है
इतिहास के नायक गोली मारने वाले नहीं, हक और आजादी के लिए गोली खाने वाले लोग होते हैं.
यह गीत है आजादी और बराबरी का. आजादी जीने की, आजादी सपने देखने की, आजादी प्रेम करने की, आजादी चूमने की, आजादी खुलकर सांस लेने की, आजादी खुली आंखों से दुनिया देखने की.
आजादी सड़ चुके दिमागों से, आजादी पुरातनपंथी नियमों से, आजादी गरीबी से, भुखमरी से, लाचारी से. आजादी मेरी बहन की, आजादी तुम्हारी बहन की, आजादी हम सबकी बहनों की.
कुछ ऐसे हैं उस गीत के बोल, जिसे इस साल ग्रैम्मी से नवाजा गया है. फारसी भाषा का यह गीत ईरान के एक गुमनाम से पॉप सिंगर ने लिखा, जो देखते ही देखते ईरान में चल रहे प्रोटेस्ट मूवमेंट का एंथम बन गया. 25 साल के शरवीन हाजीपोर को इससे पहले ईरान के बाहर कोई नहीं जानता था. अमेरिकन आइडल की तर्ज पर ईरान के टेलीविजन शो ईरान आइडल में कभी उसने हिस्सा लिया था, लेकिन हार गया. फिर उसने वह गीत लिखा. गीत का नाम था- ‘बराए,’ जिसका अर्थ है ‘फॉर द सेक ऑफ’. हिंदी में कहें तो ‘इसलिए’, ‘इस कारण से.’
जिसे दुनिया इतने बड़े सम्मान से नवाज रही है और सेलिब्रेट कर रही है, वह शरवीन अपने ही देश में जमानत पर बाहर हैं और खुद पर मुकदमा शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं.
पिछले साल सितंबर में जब शरवीन ने यह गीत लिखा तो कुछ ही घंटों में गीत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. ईरान की कुल आबादी 8.79 करोड़ है और महज 48 घंटों के भीतर इस गाने को 4 करोड़ से ज्यादा लोग देख चुके थे.
गीत वायरल होते ही ईरान की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया. जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद शरवीन ने सिर्फ एक मैसेज सोशल मीडिया पर डाला था, “मैंने यह गीत उन लोगों के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करने के लिए लिखा, जो इस व्यवस्था की आलोचना करते हैं.”
अमेरिका की फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन ने शरवीन को ग्रैम्मी दिए जाने की घोषणा की और विरोध का यह गीत लिखने के लिए उनका शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि एक गीत में इतनी ताकत है कि वह हमें एकजुट कर सकता है, प्रेरित कर सकता है और यहां तक कि दुनिया बदल सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि शरवीन का यह गीत आजादी और औरतों के अधिकारों की गुहार लगातार एक ताकतवर गीत है.
अब तक किसी मीडिया में शरवीन का कोई इंटरव्यू तो नहीं आया, लेकिन सोशल मीडिया पर एक वीडियो जरूर वायरल हो रहा है, जिसमें शरवीन अपने दोस्तों के साथ बैठे ग्रैम्मी अवॉर्ड सेरेमनी देख रहे हैं. शरवीन को जरा भी उम्मीद नहीं थी कि उनके गीत को इतने बड़े अंतर्राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाएगा. इसलिए जब उनके नाम की घोषणा हुई तो उनका चेहरा आश्चर्य और खुशी से दोहरा हो गया. साथ बैठे दोस्त जोर-जोर से खुशी और उत्तेजना में चीखने लगे.
शरवीन के इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर उन्हें 31 लाख लोग फॉलो करते हैं. उनके इंस्टा पेज पर शरवीन की कुछ तस्वीरें हैं और ढेर सारे गाने. तीखी आंखों और घुंघराले बालों वाला एक शर्मीला सा लड़का. कहीं उसके हाथों में गिटार है और कहीं वह माइक के सामने आखें बंद कर कुछ गा रहा है.
ईरान में प्रतिरोध की शुरुआत कब और कैसे हुई
ईरान में इस प्रतिरोध आंदोलन की शुरुआत पिछले साल सितंबर में हुई थी, जब पुलिस कस्टडी में एक 22 साल की लड़की महसा अमीनी की मौत हो गई थी. महसा अपने परिवार से मिलने तेहरान आई थी और जिस दिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया, वह अपनी फैमिली के लोगों के साथ सार्वजनिक जगह बिना हिजाब के घूम रही थी.
पुलिस ने देखा और पकड़कर ले गई. दो दिन बाद पुलिस कस्टडी में उस लड़की की मौत हो गई. इसके बाद तो मानो सैलाब ही उमड़ आया हो. पहले तेहरान की सड़कों पर कुछ लड़के और लड़कियों ने प्रतिरोध शुरू किया. लड़कियों ने अपने हिजाब जलाने शुरू किए, सार्वजनिक रूप से अपने बाल काटे. बड़ी संख्या में लड़के, पुरुष और महिलाएं भी इस प्रतिरोध के साथ जुड़ती गईं. देखते ही देखते इस प्रतिरोध ने एक देशव्यापी आंदोलन का रूप ले लिया.
यह विरोध सिर्फ चंद लोगों तक सीमित नहीं था. ईरान के कलाकार, लेखक, बुद्धजीवी, फिल्मकार, खिलाड़ी और आम नागरिक तक इस प्रतिरोध का हिस्सा बन गए. सिर्फ सरकार से जुड़े लोगों और सरकारी अधिकारियों को छोड़कर शायद ही कोई ऐसा बचा हो, जो सरकारी दमन और धार्मिक कट्टरता के खिलाफ आवाज न उठा रहा हो.
ईरान की सरकार ने इस विरोध को हर तरह से कुचलने की कोशिश की. बड़ी संख्या में लोगों को पकड़कर जेल में डाला गया, उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए. इतना ही नहीं, विरोध प्रदर्शनों के दौरान 20 से ज्यादा लोग पुलिस की हिंसा, ज्यादतियों और गोली का शिकार हुए.
लेकिन किसी भी रूप में यह सरकारी दमन ईरानियों के विरोध की आवाज को दबा नहीं सका. इस प्रतिरोध को पूरी दुनिया में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से लेकर आम लोगों तक का समर्थन मिला.
कतर में फीफा वर्ल्ड कप के दौरान जब ईरान की राष्ट्रगीत बजा तो ईरान खिलाडि़यों ने सरकार के विरोध में खड़े होने से इनकार कर दिया. यह एक बड़ा सांकेतिक प्रतिरोध था, जिसकी कवरेज पूरी दुनिया के मीडिया में हुई.
आज एक बार फिर यह सेलिब्रेशन का मौका है. शरवीन हाजीपोर के इस गीत को दुनिया भर में लोग गा रहे हैं. यूट्यूब पर इस गीत के 100 से ज्यादा अलग-अलग वीडियो मौजूद हैं, जिनके व्यूज लाखों में हैं.
इतिहास गवाह है कि धर्म और सियायत, दोनों ने ज्ञान-विज्ञान को, सत्ता के विरोध को, कला को, अभिव्यक्ति को और असहमति को दबाने की कोशिश की है, लेकिन यह कोशिश कभी कामयाब नहीं हुई. इतिहास की किताबों में हिपाशिया को मार डालने, जर्दानो ब्रूनो को जिंदा जलाने और गैलीलियो को कैद करने वालों का नाम नायक की तरह दर्ज नहीं हुआ. वह इतिहास के खलनायक ही कहलाए.
अयातोल्लाह खोमैनी का नाम आज भले ईरान के इतिहास में नायक की तरह लिखा जा रहा हो, लेकिन 100 साल बाद उस मुल्क के इतिहास के नायक वही लोग होंगे, जिन्होंने सरकार के खिलाफ, दमन के खिलाफ, धर्मांधता के खिलाफ और आजादी के पक्ष में सड़कों पर उतरने का और सरकारी गोलियां खाने का साहस किया.
वही इतिहास के हीरो हैं. शरवीन इतिहास का नायक है.