इस देश को छोड़ चली गईं मधुमक्खियां, अगर धरती से सारी मधुमख्खियाँ गायब हो गईं तो क्या होगा?
तुर्की के तटीय इलाकों में स्थित जंगलों की आग ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।
"ऐसे में मधुमक्खियाँ हर साल अरबों डॉलर के व्यवसाय के लिए सीधे जिम्मेदार हैं, हालांकि ये सिर्फ इतना भर नहीं है। मधुमक्खियों के गायब हो जाने से हम उन सभी पौधों को भी खो सकते हैं जो मधुमक्खियों द्वारा किए जाने वाले परागण पर निर्भर हैं।"
दुनिया भर में मधुमक्खियों की लगभग 20,000 प्रजातियां हैं, और साथ ही मधुमक्खियां सबसे महत्वपूर्ण कीट परागणकर्ता भी हैं। बीते कुछ सालों में दुनिया के तमाम हिस्सों में स्थित जंगलों में आग लगने की घटनाएँ सामने आई हैं, जिससे जान-माल समेत वन्यजीवों और वनस्पतियों के लिहाज से भी बड़ा नुकसान देखने को मिला है। इस बार भी तुर्की के तटीय इलाकों में स्थित जंगलों की आग ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।
यहाँ भी जान-माल का खासा नुकसान हुआ है, लेकिन इस सब से इतर एक चिंता यहाँ के लोगों बीच बनी हुई है और वह है कि क्या अब यहाँ से जा चुकी मधुमक्खियाँ फिर से वापस आएंगी?
यहाँ के जंगलों में लगी आग के चलते देवदार के पेड़ लगभग खत्म हो गए हैं, ऐसे में मधुमक्खियों ने यहाँ से पलायन कर लिया है।
रोज़गार का नुकसान
यहाँ के स्थानीय लोग शहद के लिए मधुमक्खी पालन किया करते थे, जो अब पूरी तरह बंद हो चुका है। पाइन हनी यहाँ की विशेषता हुआ करता था, लेकिन अब वो खत्म हो चुका है। गौरतलब है कि पाइन हनी के उत्पादन की दृष्टि से तुर्की अन्य देशों में सबसे आगे है।
मालूम हो कि देवदार के पेड़ों को शहद उत्पादन के लिए तैयार होने में 50 से 60 साल तक का समय लग जाता है, ऐसे में अब यहाँ के लोगों के बीच इसे लेकर कोई खास उम्मीद नहीं बची है। लेकिन बड़ा सवाल ये भी है कि क्या हो अगर पूरी दुनिया से मधुमक्खियाँ एक झटके में ही गायब हो जाएंगी।
क्या हो अगर गायब हो जाएँ सारी की सारी मधुमक्खियाँ?
सवाल बिल्कुल जायज़ है कि मधुमक्खियों के बिना हम कहाँ होंगे? अगर हम अपने ईको-सिस्टम में जीव-जंतुओं की सबसे महत्वपूर्ण प्रजातियों की बात करें तो मधुमक्खियाँ इस सूची में पहले नंबर काबिज हैं। मधुमक्खियाँ सबसे महत्वपूर्ण परागणक हैं, मतलब वे दुनिया भर की 100 फसल प्रजातियों में से 70 को परागित करती हैं और ये फसलें दुनिया भर के 90 फीसदी इंसानों का पेट भरती हैं।
ऐसे में मधुमक्खियाँ हर साल अरबों डॉलर के व्यवसाय के लिए सीधे जिम्मेदार हैं, हालांकि ये सिर्फ इतना भर नहीं है। मधुमक्खियों के गायब हो जाने से हम उन सभी पौधों को भी खो सकते हैं जो मधुमक्खियों द्वारा किए जाने वाले परागण पर निर्भर हैं।
ऐसे में ये परिस्थिति उन जानवरों को भी सीधे प्रभावित करेगी जो खुद भी उन पौधों पर निर्भर हैं। आप देख सकते हैं कि किस तरह फिर एक पूरी खाद्य श्रंखला बुरी तरह प्रभावित हो जाएगी और फिर इसके जो परिणाम सामने आएंगे उससे निपटने के लिए शायद ही इंसान खुद को तैयार कर सके।
मधुमक्खियों के विलुप्त होने पर दुनिया भर के 7 अरब से अधिक लोग सीधे तौर पर खुद को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हुए नज़र आ सकते हैं, क्योंकि ऐसी परिस्थिति में हमारे आस-पास के सुपरमार्केट में भी आपको फलों और सब्जियों की आधी मात्रा ही नज़र आ पाएगी।
आखिर क्या है परागण?
पौधों को अपनी संख्या बढ़ाने के लिए जरूरी होता है कि उनका परागण होता रहे। ऐसे में किसी पौधे के फूल से परागकण को निकालकर किसी दूसरे पौधे के फूल तक पहुंचाने की प्रक्रिया को ही परागण कहते हैं।
इसमें मधुमक्खियाँ परागकण को एक फूल से दूसरे फूल तक पहुंचाने वाले माध्यम का काम करती हैं। कुछ पौधों में यह प्रक्रिया स्वतः ही होती है, वहाँ किसी भी बाहरी माध्यम की जरूरत नहीं पड़ती है।
Edited by Ranjana Tripathi