इस स्कूल में बच्चों को नहीं ले जाना पड़ेगा भारी बैग, क्लास में ही मिलेगी कॉपी-किताबें
स्कूल जाने वाले नन्हे बच्चों को अपनी पीठ पर भारी भरकम बस्ता लादकर ले जाते देख तरस आता है और दुख भी होता है। कई बार इसे लेकर आवाज भी उठाई जा चुकी है कि बच्चों के बस्ते का बोझ कम किया जाए। इसके लिए स्कूलों में आलमारियां और लॉकर्स लगाए जा सकते हैं। वैसे तो पता नहीं देश के स्कूलों में इस पर कब अमल होगा, लेकिन केरल के एक आदिवासी स्कूल में बच्चों को अब बैग नहीं ले जाना पड़ेगा। बच्चे सिर्फ एक किताब लेकर स्कूल जाया करेंगे।
केरल के वायनाड जिले में स्थित सर्व आदिवासी लोअर प्राइमरी स्कूल (SALPS) के बच्चों को अब स्कूल में बैग नहीं ले जाना पड़ेगा। इस स्कूल ने पूरे देश के स्कूलों के लिए एक मिसाल कायम की है। इस स्कूल में अधिकतर बच्चे आदिवासी समुदाय से आते हैं। बीते सप्ताह स्कूल प्रशासन ने तय किया कि रोजाना भारी बैग लादकर स्कूल पहुंचने वाले बच्चों की सेहत पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। इसलिए बच्चों के लिए कुछ खास इंतजाम करने की योजना बनाई गई।
स्कूल के शिक्षकों ने बच्चों को अलग से किताबें मुहैया कराई जिनसे कि वे घर पर पढ़ाई कर सकें। इसके लिए शिक्षकों ने खुद से पैसे इकट्ठे किए और क्लासरूम में ही शेल्फ लगवाया। इतना ही नहीं बच्चों को क्लास में ही मुफ्त में पेंसिल और कॉपी दी गई। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक स्कूल की हेडमास्टर निशा देवासिया ने बताया, 'आजकल पाठ्यक्रम में कई सारी एक्टिविटीज जुड़ गई हैं जिसमें क्विज से लेकर और कई तरह के क्रियाकलाप शामिल हैं। इनकी वजह से बच्चों को स्कूल में अलग से कई किताबें और कॉपी लानी पड़ती हैं। 4th क्लास का बच्चा आमतौर पर 10 किताबें बैग में रखकर लाता है। इसके अलावा ज्यामेट्री बॉक्स और टिफिन अलग से रहता है। इस सब को मिलाकर पूरा वजन 5 किलो तक हो जाता है।'
हेडमास्टर ने बताया कि अब बच्चों को सिर्फ एक किताब लानी होगी जिसमें वो सारे विषयों का होमवर्क कर सकेंगे। इतना ही नहीं बच्चों के माता-पिता को इसके लिए जागरूक करने के लिए एक वर्कशॉप भी आयोजित की गई। केरल के जिस इलाके में यह स्कूल स्थित है वह काफी पिछड़ा इलाका माना जाता है और यहां के बच्चों को पढ़ाई की अच्छी सुविधाएं नहीं उपलब्ध थीं, लेकिन इस स्कूल के माध्यम से बच्चों को अंग्रेजी मीडियम स्कूल के जैसे ही शिक्षा प्रदान की जा रही है।
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