सरकार ने हर प्रकार के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया, फिर भी नहीं रुके थे अल्फ्रेड नोबेल
विश्व स्तर पर दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दुनिया में शांति और मानवता के विकास में काम करने वाले लोगों को दिए जाते है. इस पुरस्कार को पाने वाला व्यक्ति (Nobel Prize Winner) कोई साधारण नहीं होता बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी पहचान हो जाती है. यह जानकर हैरानी होगी कि शांति और मानवता के दिशा में दिया जाने वाला यह सबसे अहम पुरस्कार एक ऐसे व्यक्ति के नाम से शुरू हुआ है जिन्होंने दुनिया तबाह करने वाले डायनामाइट का आविष्कार किया था.
डायनामाइट का आविष्कार (Invention of Dynamite) करने वाले इस शख्स का नाम था अलफ्रेड बर्नहार्ड नोबेल (Alfred Bernhard Nobel ). अल्फ्रेड नोबेल को डायनामाइट की खोज का श्रेय दिया जाता है, जिसने माइनिंग की दुनिया में क्रांति ला दी थी. नोबेल पुरस्कार से आज हर कोई परिचित है. आज अल्फ्रेड का जन्मदिन है. आज के दिन जानते हैं अल्फ्रेड नोबेल के बारे में जानते हैं कुछ बाते.
घर पर रहकर की पढाई
Alfred Bernhard Nobel का जन्म 21 अक्टूबर, 1833 को स्वीडन के स्टॉकहोम में हुआ था. उनके पिता इमानुएल नोबेल एक आविष्कारक थे, पर वे अशिक्षित थे. जब अल्फेड की अवस्था 4 वर्ष की थी, तब उनके पिता को रूस जाना पड़ा. उसके पश्चात् 1859 में नाइट्रोग्लिसरीन फर्म के दिवालिया हो जाने पर नोबेल के पिता ने स्वीडन आकर नाइट्रोग्लिसरीन का उत्पादन प्रारम्भ कर दिया.
एक दिन अचानक एक विशेष कार्बनिक पैकिंग में नाइट्रोग्लिसरीन अवशोषित होकर शुष्क पदार्थ में बदल गया. इस नयी खोज से वे आगे जाकर डायनामाइट का निर्माण करने में सफल हुए. अल्फ्रेड ने अपने घर पर रहकर विज्ञान, साहित्य, अर्थशास्त्र, रसायन, भौतिकी का अध्ययन किया. 17 वर्ष की अवस्था में रूसी, फ्रेंच, जर्मनी, अंग्रेजी भाषाएं धाराप्रवाह बोलना सीख ली थीं. उनके पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे. केमिकल इंजीनियर बनाने के लिए उन्हें पेरिस भेजा गया. पेरिस के रसायनशास्त्री अरकानियो सुबरेरो से उनकी मुलाकात हुई, जिसने नाइट्रोग्लिसरीन का आविष्कार किया था.
कैसे हुआ डायनामाइट का आविष्कार?
अल्फ्रेड ने पेरिस की एक निजी शोध कंपनी में काम किया जहां उनकी मुलाकात इतावली केमिस्ट अस्कानियो सोब्रेरो से हुई. सोब्रेरो ने अति विस्फोटक तरल ‘नाइट्रोग्लिसरीन’ का आविष्कार किया था. यह व्यावहारिक इस्तेमाल की लिए बेहद खतरनाक पदार्थ था. यहीं से अल्फ्रेड की रूचि ‘नाइट्रोग्लिसरीन’ में हुई, जहां उन्होंने निर्माण कार्यों में इसके इस्तेमाल के विषय में सोचा.
1863 में, वापस स्वीडन लौटने के बाद अल्फ्रेड ने अपना पूरा ध्यान ‘नाइट्रोग्लिसरीन’ को एक विस्फोटक के रूप में विकसित करने में लगा दिया. दुर्भाग्य से, उनका यह परीक्षण असफल हो गया, जिसमें कई लोगों की मौत भी हो गई. मरने वालों में अल्फ्रेड का छोटा भाई एमिल भी शामिल था. इस घटना के बाद स्वीडिश सरकार ने इस पदार्थ के स्टॉकहोम की सीमा के अंतर्गत किसी भी प्रकार के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया. हालांकि अल्फ्रेड नहीं रुके, उन्होंने अपना प्रयोग जारी रखा. इस बार उन्होंने अपनी नई प्रयोगशाला झील में एक नाव को बनाया, जहां उनका प्रयोग सफल रहा.
नोबेल पुरस्कार की शुरुआत
नोबेल पुरस्कार की स्थापना डायनामाइट के आविष्कारक डॉ अल्फ्रेड नोबेल द्वारा 27 नवम्बर 1895 को की गई वसीयत के आधार पर की गई थी.नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत 10 दिसम्बर 1901 को हुई थी. उस समय रसायन शास्त्र, भौतिक शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र, साहित्य और विश्व शांति के लिए पहली बार ये पुरस्कार दिया गया था. 10 दिसम्बर, 1896 को इटली के सेनरमो शहर में नोबेल की मृत्यु हो गई. अल्फेड की 92,00,000 डॉलर की संपत्ति विज्ञान और साहित्य में अच्छे कार्य करने वालों लोगो को दी जाती है. इसे ही नोबेल पुरस्कार के नाम से जाना जाता है.
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