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स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उठाए हैं क्या कदम? ये है डिटेल

यह जानकारी केंद्रीय MSME राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने 22 दिसंबर 2022 को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी.

स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उठाए हैं क्या कदम? ये है डिटेल

Friday December 23, 2022 , 4 min Read

सरकार ने घटिया और असुरक्षित खिलौनों के आयात को प्रतिबंधित करने और घरेलू खिलौना उद्योग (Domestic Toy Industry) को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के परिणामस्वरूप, भारतीय बाजार में खिलौनों के आयात की मात्रा में लगातार कमी देखी गई है. यह जानकारी केंद्रीय एमएसएमई राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा (Bhanu Pratap Singh Verma) ने 22 दिसंबर 2022 को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी.

इस बारे में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of MSME) की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि भारत में खिलौनों का आयात (HSN कोड 9503, 9504, 9505) 2014-15 में 33.25 करोड़ अमेरिकी डॉलर था, जो घटकर 2021-22 में 10.97 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर आ गया है. यानी लगभग 67% की कमी. इसके अलावा, भारत से खिलौनों (HSN कोड 9503, 9504, 9505) का निर्यात 2014-15 में 9.61 करोड़ अमेरिकी डॉलर था, जो बढ़कर 2021-22 में 32.66 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया. यानी लगभग 240% की वृद्धि.

बयान के मुताबिक, भारत सरकार ने स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं जो मोटे तौर पर इस तरह हैं...

  • भारतीय मूल्यों, संस्कृति और इतिहास पर बेस्ड डिजाइन के खिलौनों को बढ़ावा देने के लिए खिलौनों के लिए एक व्यापक नेशनल एक्शन प्लान तैयार करना, खिलौनों का एक सीखने के संसाधन के रूप में उपयोग करना, खिलौनों की डिजाइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग के लिए हैकाथॉन और ग्रैंड चैलेंजेस का आयोजन करना, निर्माण गुणवत्ता की निगरानी करना, स्वदेशी खिलौना क्लस्टर को बढ़ावा देना आदि.
  • फरवरी, 2020 में खिलौनों (एचएस कोड 9503) पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) 20% से बढ़ाकर 60% कर दिया गया.
  • डीजीएफटी ने सब-स्टैंडर्ड्स खिलौनों के आयात को रोकने के लिए प्रत्येक आयात खेप का नमूना परीक्षण अनिवार्य कर दिया है.
  • उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा 25.02.2020 को खिलौनों के लिए एक गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी किया गया, जिसके माध्यम से खिलौनों को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से अनिवार्य प्रमाणीकरण के तहत लाया गया है. यह 01.01.2021 से प्रभावी है.
  • कपड़ा मंत्रालय के विकास आयुक्त के साथ रजिस्टर्ड कारीगरों, रजिस्टर्ड प्रोपराइटर्स और कंट्रोलर जनरल आॅफ पेटेंट्स, डिजाइंस एंड ट्रेडमार्क्स के आॅफिस द्वारा जियोग्राफिकल इंडीकेशन के तौर पर रजिस्टर प्रॉडक्ट के अधिकृत यूजर द्वारा बनाए व बेचे जाने वाले सामान व आर्टिकल्स को छूट देने के लिए 11.12.2020 को खिलौनों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश में संशोधन किया गया.
  • बीआईएस द्वारा 17.12.2020 को विशेष प्रावधान अधिसूचित किए गए थे ताकि एक वर्ष के लिए परीक्षण सुविधा के बिना और इन-हाउस परीक्षण सुविधा स्थापित किए बिना खिलौने बनाने वाली सूक्ष्म बिक्री इकाइयों को लाइसेंस प्रदान किया जा सके.
  • बीआईएस ने बीआईएस मानक चिह्नों वाले खिलौनों के निर्माण के लिए घरेलू मैन्युफैक्चरर्स को 1001 लाइसेंस और विदेशी मैन्युफैक्चरर्स को 28 लाइसेंस 28 लाइसेंस दिए हैं.

ये उपाय भी किए गए

इसके अलावा खिलौना उद्योग सहित एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई मंत्रालय, नए उद्यम निर्माण, टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन, कौशल विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए ऋण सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू कर रहा है. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 50 लाख रुपये तक और सर्विस सेक्टर में 20 लाख रुपये तक की लागत वाली इकाई के लिए परियोजना लागत के 35 प्रतिशत तक की मार्जिन मनी सहायता प्रदान की जा रही है.

पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए कोष की योजना (SFURTI) के तहत नवीनतम मशीनों, डिजाइन केंद्रों, कौशल विकास आदि के साथ कॉमन फैसिलिटी सेंटर्स के निर्माण के लिए सहायता प्रदान की जाती है. इस योजना के तहत कुल 19 टॉय क्लस्टर्स को मंजूरी दी गई है, जिससे 55.65 करोड़ रुपये के आउटले के साथ 11749 कारीगर लाभान्वित हो रहे हैं.

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Edited by Ritika Singh