देश की GDP में MSMEs और कुटीर उद्योग का कितना योगदान? ये हैं आंकड़े
19 दिसंबर 2022 को भानु प्रताप सिंह वर्मा ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में इस बारे में आंकड़े साझा किए कि MSMEs और कॉटेज इंडस्ट्री, भारत की जीडीपी में कितना योगदान देती है.
भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में छोटे उद्योगों का बड़ा योगदान है. दिसंबर माह की शुरुआत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा (Bhanu Pratap Singh Verma) ने कहा था कि सरकार ने देश के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम क्षेत्र (MSME) की पूर्ण क्षमता का उपयोग कर अर्थव्यवस्था में योगदान को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है.
19 दिसंबर 2022 को भानु प्रताप सिंह वर्मा ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में इस बारे में आंकड़े साझा किए कि MSMEs और कॉटेज इंडस्ट्री, भारत की जीडीपी में कितना योगदान देती है. आइए जानते हैं क्या कहते हैं आंकड़े...
ऑल इंडिया GDP में MSME GVA की हिस्सेदारी
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ऑल इंडिया ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रॉडक्ट (जीडीपी) में एमएसएमई ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2020-21 में 26.83 प्रतिशत रही. यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2019-20 और वित्त वर्ष 2018-19 में 30.50 प्रतिशत पर था.
एक्सपोर्ट में MSME उत्पादों की हिस्सेदारी
वाणिज्यिक आसूचना एवं सांख्यिकी महानिदेशालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ऑल इंडिया एक्सपोर्ट में स्पेसिफाइड एमएसएमई संबंधित उत्पादों के निर्यात की हिस्सेदारी इस प्रकार है-
MSME में इंप्लॉइड लोगों की जानकारी
उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल के अनुसार, एमएसएमई में इंप्लॉइड ऐसे व्यक्ति, जो पिछले 3 वर्षों और मौजूदा वर्ष के दौरान इनकॉरपोरेटेड हैं, की संख्या इस तरह है...
मैन्युफैक्चरिंग GVA में मैन्युफैक्चरिंग MSME GVA की हिस्सेदारी
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) में मैन्युफैक्चरिंग एमएसएमई जीवीए की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2020-21 में 38.47 प्रतिशत, वित्त वर्ष 2019-20 में 40.67 प्रतिशत और 2018-19 में 40.60 प्रतिशत रही.
MSMEs को समर्थन देने के लिए कुछ अहम पहल
MSME मंत्रालय ने देश भर में सूक्ष्म, लघु और मंझोले उद्यम (MSMEs) सेक्टर के प्रचार और विकास के लिए विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों को लागू किया हुआ है. इनमें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP), सूक्ष्म और लघु उद्यम-क्लस्टर विकास कार्यक्रम (MSE-CDP), पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए कोष की योजना (SFURTI), सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी योजना (CGTMSE) और इनोवेशन, ग्रामीण उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एक योजना (ASPIRE) शामिल हैं.
सरकार ने देश में MSMEs को समर्थन देने के लिए हाल ही में कई पहल की हैं, जिनमें से कुछ इस तरह हैं...
- एमएसएमई सहित अन्य कारोबारों के लिए 5 लाख करोड़ रुपये का कोलेटरल फ्री ऑटोमेटिक लोन
- MSME आत्मनिर्भर भारत कोष के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश
- एमएसएमई के वर्गीकरण के लिए नए संशोधित मानदंड
- 200 करोड़ रुपये तक की खरीद के लिए कोई ग्लोबल टेंडर नहीं
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए एमएसएमई के लिए "उद्यम रजिस्ट्रेशन"
- एमएसएमई की शिकायत निवारण और हैंडहोल्डिंग समेत ई-गवर्नेंस के कई पहलुओं को कवर करने के लिए जून 2020 में ऑनलाइन पोर्टल "चैंपियंस" लॉन्च
- 02 जुलाई, 2021 से खुदरा और थोक व्यापारों को MSMEs में शामिल करना
- एमएसएमई की स्टेटस में ऊपर की ओर बदलाव के मामले में गैर-कर लाभ को 3 साल के लिए बढ़ाया गया