लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में हैं संभावनाएं, 2020 तक 215 बिलियन डॉलर का होगा कारोबार
पिछले दो वर्षों के दौरान लगभग 1.1 बिलियन डॉलर की प्राइवेट इक्विटी के साथ, भारतीय लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग मार्केट 2020 तक बढ़कर 215 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। संपत्ति सलाहकार नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 तक कुल वेयरहाउसिंग स्पेस अगले पांच वर्षों में पांच प्रतिशत बढ़कर 922 मिलियन वर्ग फुट होने का अनुमान है।
इंडेपेंडेंट ग्लोबल प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी नाइट फ्रैंक रीड (आरईईडी) एक्जिबिशंस इंडिया के सहयोग में देश के सबसे बड़े वेयरहाउसिंग एक्सपो '9वें भारत वेयरहाउसिंग शो 2019' में शिरकरत कर रही है। इस सहयोग के एक हिस्से के तौर पर नाइट फ्रैंक ने भारत में वेयरहाउसिंग बाजार के दायरे और वृद्धि पर दृष्टिकोण पेश करने के लिए अपनी फ्लैगशिप रिपोर्ट इंडिया वेयरहाउसिंग मार्केट 2019 का नवीनतम संस्करण लॉन्च किया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 13 से 14 फीसदी है, जो कि दूसरे विकसित देशों में जीडीपी के अनुपात में लगने वाली लॉजिस्टिक लागत (8 से 10 फीसदी) से कहीं ज्यादा है। इसकी प्राथमिक वजह विभिन्न शीर्षों वाली व्यवस्था का होना और भारत में 60 फीसदी सामान का संचालन रोडवेज के जरिये होना है।
रिपोर्ट के मुताबिक देश के शीर्ष वेयरहाउसिंग बाजारों में अप्रैल 2018 से मार्च 2019 के बीच लीजिंग में वर्ष-दर-वर्ष 77 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में स्टोरेज स्पेस की कुल जरूरत वर्तमान में वेयरहाउसिंग बाजार का 80 प्रतिशत है। वहीं वेयरहाउसिंग उद्योग ने संस्थागत निवेशकों के साथ डेवलपर्स की शानदार भागीदारी दर्ज की, जिन्होंने 2014 से सामूहिक तौर पर 282 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति सौदे के औसत से 6.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया।
कोयंबटूर, गुवाहाटी, राजपुरा, लुधियाना, नागपुर, लखनऊ, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर और सिलीगुड़ी जैसे शहर वेयरहाउसिंग स्पेस की बढ़ती मांग के मामले में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। वेयरहाउसिंग लीजिंग वॉल्यूम में वर्ष-दर-वर्ष 191 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ कोलकाता पहले पायदान पर रहा, इसके बाद बेंगलूरू (147%) और हैदराबाद(96%) का स्थान रहा।