जर्मनी की फर्स्ट लेडी की कहानी, जिनकी दोस्ती और विनम्रता आपका दिल जीत लेगी
ऐसी नेकी कुछ ज्यादा ही प्रेरणादायक होती है जो अप्रत्याशित होती है। इस बात से तो आप सहमत होंगे? जब आपके ऐसे कामों को सराहना मिलती है तो खुशी कई गुना बढ़ जाती है। जो आपके प्रेरणास्रोत होते हैं और जो इस दुनिया को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं, अगर वे आपके कामों से आपको जानते हैं तो ये बड़ी बात होती है।
ऐसी विनम्रता आपको खुशी से भर देती है और फिर आपको हर तरफ खूबसूरती ही नजर आती है। हमें बस अपने आस पास देखने की जरूरत है। पिछले हफ्ते मुझे जर्मनी के बर्लिन में महिलाओं के लिए होने वाले एक समर फेस्टिवल 'वंडरनोवा' में जाने का मौका मिला। वहां मैं इस बात से अभिभूत हो गई कि ऐसी विनम्रता किसी भी तरह की सीमाओं से परे होती है। दरअसल मेरी मुलाकात जर्मनी की फर्स्ट लेडी एल्के ब्यूडेंबेंडर से हुई। मैं उन्हीं के हाव-भाव की बात कर रही हूं।
एल्के ब्यूडेंबेंडर पेशे से एक जज हैं। वे जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टीनमीयर की पत्नी भी हैं। इस इवेंट में उन्होंने मुझे याद दिलाया कि सराहना और विनम्रता हमारी जिंदगी में आने वाली बाधाओं को न केवल दूर करती हैं बल्कि हमारे भीतर बदलाव लाने में एक अहम भूमिका निभाती हैं।
समर फेस्टिवल वंडरनोवा प्रेरणादायक महिलाओं के एक मिलन समारोह जैसा था। इस प्रोग्राम को मेरे प्रिय मित्र एंजेला डी जियाकोमो द्वारा आयोजित किया गया था। एंजेला ने अपनी जिंदगी में काफी सफलताएं हासिल की हैं। इस इवेंट में जर्मनी भर की कई प्रेरक महिलाओं ने हिस्सा लिया। यह एक ऐसा इवेंट था जहां जर्मनी की कई प्रेरक महिलाएं आपस में मिलने और एक-दूसरे से सीखने के लिए एकत्रित हुईं। इवेंट के पहले मैंने एंजेला को देखा था जो कि बिसेल फैमिली ऑफिस में इन्वेस्टमेंट मैनेजर के साथ-साथ एशिया भर के कई स्टार्टअप्स और फर्मों की एडवाइजर भी हैं। ऐंजेला ने पिछले नौ महीनों में इस इवेंट की हर एक बारीकी पर कड़ी मेहनत की।
एंजेला हमेशा इस बारे में जागरूक रही हैं कि आज की तारीख में छात्राओं और कामकाजी महिलाओं की सफलता सुनिश्चित करने के लिए क्या जरूरी है। यह उन्होंने दुनिया भर में घूमने से और खासकर भारत देश (जहां वह अक्सर अपने काम के लिए यात्रा करती रहती हैं) की यात्राओं से सीखा है। इस फेस्टिवल से पहले एंजेला की हर भारत यात्रा पर मैंने देखा कि यह इवेंट उसके लिए कितना मायने रखता है।
वह इस समारोह में शामिल होने वाली महिलाओं के लिए बेहतर अनुभव उपलब्ध कराना चाहती थीं। तब हमने चर्चा की कि इस आयोजन के लिए फर्स्ट लेडी एल्के ब्यूडेंबेंडर को आमंत्रित करने का प्रयास करेंगे।
एक साल पहले अचानक दिल्ली में मेरी मुलाकात एल्के से हुई थी। तब वह अपने काम के सिलसिले में भारत आई हुई थीं। उस समय उन्होंने ऐसी महिलाओं से मिलने में रुचि दिखाई जो अलग-अलग क्षेत्रों में काम करती हैं और सौभाग्य से मुझे निमंत्रण मिला था।
फर्स्ट लेडी से मुलाकात में मैं उनकी जानकारी, बुद्धि और ज्ञान से प्रेरित हुई। भारत में हुई मुलाकात के तुरंत बाद मैंने बर्लिन की यात्रा की और उस समय मैंने फर्स्ट लेडी के साथ एक और मीटिंग के लिए अनुरोध किया और उन्होंने मुझे फिर से मौका दिया। इसके बाद भी इस इवेंट के लिए फर्स्ट लेडी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करना, ऐसा लग रहा था जैसे हम कोई बहुत बड़ा सपना देख रहे थे। फिर हमने सोचा बड़ा सपना देखने में क्या हर्ज है। यह महत्वाकांक्षी, बोल्ड और उम्मीदों से भरा था। लेकिन यह सही भी लगा कि असंभव लगने वाले सपनों से दूर नहीं जाना चाहिए।
सच कहूं तो जब फर्स्ट लेडी ने हमारा निमंत्रण स्वीकार किया और चीफ गेस्ट के तौर पर आयोजन में शामिल होने के लिए हामी भरी तो हम उनके आभारी थे। यह अत्यधिक दयालुता से परिपूर्ण इशारा था जो व्यापार की दुनिया में दुर्लभ है। मैंने इस स्वीकार्यता को जर्मनी की महिलाओं के लिए बेहतर प्लैटफॉर्म उपलब्ध कराने में एंजेला के काम और सही सपॉर्ट के जरिए तय उद्देश्यों को पाने के लिए एंजेला के दृष्टिकोण के तौर पर लिया। मैं उस समय और भी प्रेरित, विनम्र और आभारी थी जब फर्स्ट लेडी ने अपनी भारत यात्रा के दौरान भारतीय महिलाओं से मिलने के अपने अनुभवों को साझा किया। साथ ही मेरे साथ हुई मुलाकात का जिक्र भी किया जिसने मैं प्रभावित हुई। उनकी जैसी हैसियत रखने वाले किसी भी इंसान के लिए मेरे काम के लिए इस तरह के किसी इशारे या तारीफ की जरूरत नहीं है लेकिन उन्होंने किया।
और उस पल मुझे एक बार फिर महसूस किया कि प्रशंसा करने की ताकत, किसी के काम को पहचानना और सहानुभूति दिखाना महान नेता बहुत ही आसानी से करते हैं। उन्होंने जिस तरह से इसे अंजाम दिया वह वास्तव में मेरे दिल को छू गया और जर्मनी की पूरी यात्रा को मेरे लिए बहुत ही सुंदर बनाया। इस बात ने मुझे एहसास कराया कि आगे ऐसे मौकों पर जिसने मुझे प्रभावित किया हो और जिनसे मैं प्रभावित हुआ हूं उनकी प्रशंसा करने और उनको प्रेरित करने में देरी न करूं साथ ही उनके साथ और उदार बनूं। आखिरकार, क्या ये बहुत ही चीजें नहीं हैं जो बदलाव लाएंगी? क्या यह एक समावेशी दुनिया के लिए जरूरी नहीं है? और हां, आखिर में हम सब दुनिया में हमारी व्यक्तिगत और पेशवेर लाइफ में केवल थोड़ी सी तारीफ, थोड़े से प्यार और थोड़े से भरोसे को ही तो खोजते हैं।