अमन के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक सूफिया खान के साथ दौड़ा पूरा देश
बात जेएनयू-जामिया की हो या कश्मीर, असम, प.बंगाल कर्नाटक, महाराष्ट्र की, हर जगह दो बातें कॉमन हैं, अमन की ख्वाहिशें और गलत का प्रतिरोध। इसी ख्वाहिश में अजमेर की 33 वर्षीय सूफिया खान के साथ कश्मीर से कन्या कुमारी तक मानो पूरा देश दौड़ पड़ा। इसके लिए सूफिया का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज हो चुका है।
बात जेएनयू-जामिया की हो या कश्मीर, असम, प.बंगाल कर्नाटक, महाराष्ट्र की, हर जगह दो बातें कॉमन हैं, अमन की ख्वाहिशें और गलत का प्रतिरोध। शांति की टोह में कहीं इंटरनेट सेवाएं ठप कर दी गई हैं तो कहीं महिलाएं ठिठुरती सर्दी में सड़कों पर रातें बिता रही हैं। उधर सरकार परेशान, इधर लोग, सबकी ख्वाहिश एक, शांति, सिर्फ शांति।
टकराव तरीकों में हैं, लोगों में नहीं, न सरकारों में। ऐसे ही माहौल के खिलाफ जब कोई सबके हित को ध्यान में रखकर किसी बड़े मिशन, किसी बड़े संकल्प से लैस होकर चल पड़ता है, सबसे अलग, सबसे बड़ा दिखने लगता है।
ऐसी ही शख्सियत बन चुकी हैं अजमेर (राजस्थान) की 33 वर्षीय अल्ट्रा रनर सूफिया खान, जिन्होंने 87 दिन में 4035 किमी दौड़कर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम कर दिया है। यह सिर्फ, केवल रिकॉर्ड बनाने जैसी बात नहीं, इसके पीछे एक बड़ा मकसद रहा है, भारतीय समाज में भाईचारा का संदेश देना। यह रिकॉर्ड बनाना कोई आसान काम नहीं था, इतना मुश्किल कि इसे करने का साहस लाखों-करोड़ो में कोई इक्का-दुक्का ही कर सके।
सूफिया खान की हिम्मत कुछ ऐसी ही रही। वह पिछले दिनों कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक दौड़ीं। मकसद था- देश के 22 शहरों में जाना और लोगों से मिलकर उन्हें भाईचारा, एकता, शांति और समानता का संदेश देना। मिशन पूरा कर उन्हें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट भी मिल गया है।
सोफिया कहती हैं कि उनका टारगेट दौड़ को 100 दिन में पूरा करना था लेकिन उन्होंने उसे 87 दिनों में ही हासिल कर लिया। अपने मिशन 'रन फॉर होप' के दौरान वह जिस भी शहर से गुजरीं, वहां-वहां के लोगों ने उनका तहेदिल से अभिवादन किया। इतना ही नहीं, वे तो उनके साथ दौड़ भी पड़े। इससे जाना जा सकता है कि आज देश के लोगों में अमन कितनी बेकरार कर देने वाली तलब है। सूफिया वह एक एयरलाइन कंपनी में नौकरी करती थीं लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी, ताकि रनिंग पर फोकस कर सकें।
सूफिया, खास तौर से कश्मीर में शांति की कामना लिए 21 अप्रैल से कश्मीर से कन्याकुमारी तक के लिए दौड़ पड़ीं। इस चार हजार किलोमीटर के लंबे सफर में हर रोज उनको 50 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा। दौड़ पूराकर वह फर्राटेदार महिला धावक के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हो गईं। दौड़े समय उनके मानवता, भाईचारे और कश्मीर में शांति की बहाली के संदेश पर हर धर्म, जाति के लोग दिल खोलकर मिले।
वह कहती हैं कि हमारा देश विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों से मिलकर बना है। भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए आज इंसान नैतिक मूल्यों, भाईचारे और अपनी संस्कृति से दूर होता जा रहा है, जो भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। उनकी तरह बड़े रिस्क लेकर ही इसे ठीक किया जा सकता है। आज इस कामयाबी के बाद अपनी एयरलाइन कंपनी की नौकरी ठुकरा देने का उनको कोई अफसोस नहीं है।
अपनी इस बेमिसाल कामयाबी के बाद सूफिया लिखती हैं -
''Finally its at home and its Officially Amazing. I am feeling so proud to received my Guinness World Records Certificate. I am so grateful to have all those who connected me during my Run Kashmir to Kanyakumari for Mission HOPE. I am so grateful to those who supported me selflessly and joined the mission HOPE by whole heart. I am so grateful to those who believe in me and encourage me to do this run successfully. I am so grateful to those who joined me with their family and made me a part of their family and supported me as their own Daughter. I am so grateful to those who came like an angel to make me run even when i was not in condition to walk. I am so grateful to those who ensured my safety and protected me as their own Child. I am so grateful to those who helped me to connect with all amazing people. I am so grateful to ADGPI - Indian Army, Forest department of Rajasthan and M.P, Police department of Rajasthan, M.P, Maharashtra, Karnataka, and Tamil Nadu, all Media people support.
Thank you Proathlix for my hydration. This is not just my achievement. You all have an equal contribution to get this for our great INDIA. So i want to dedicate this achievement to all of you. Thank you so much for being so awesome. Let's run again for mission HOPE.''