बैंक खाता खुलवाने, सत्यापन कराने के लिये धर्म के बारे में जानकारी देने की जरूरत नही: वित्त मंत्रालय
किसी भी भारतीय नागरिक को अपना बैंक खाता खुलवाने या पुराने खाते में अपने ग्राहक को जानो यानी केवाईसी अनुपालन मामले में अपने धर्म का खुलासा करने की जरूरत नहीं...
किसी बैंक में नया खाता खुलवाने या पुराने खाते का सत्यापन कराने के लिये खाताधारक को उसके धर्म के बारे में जानकारी देने की जरूरत नहीं है। सरकार ने शनिवार को यह स्पष्टीकरण दिया है।
वित्त मंत्रालय में वित्त सचिव एवं वित्तीय सेवा विभाग के सचिव राजीव कुमार ने ट्विटर पर कहा,
‘‘किसी भी भारतीय नागरिक को अपना बैंक खाता खुलवाने या पुराने खाते में अपने ग्राहक को जानो यानी केवाईसी अनुपालन मामले में अपने धर्म का खुलासा करने की कोई जरूरत नहीं है। जनता को ऐसी अफवाहों पर कतई विश्वास नहीं करना चाहिये।’’
सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है जब कुछ मीडिया खबरों में कहा जा रहा था कि बैंक खाता खुलवाने या सत्यापन करते समय उपभोक्ता से उनके धर्म के बारे में जानकारी मांग सकते हैं। अभी देश भर में एनआरसी और सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है, ऐसे में तमाम की अफवाहें भी अपने पैर पसार रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा कहा गया था कि अब आरबीआई ने फेमा एक्ट के तहत यह निर्देश जारी किया है, जिसके तहत अब बैंक में खाता खुलवाने के लिए आवेदक को धर्म भी बताना होगा। इस दौरान कहा गया था कि आरबीआई के इस संसोधन में मुस्लिम प्रवासी और नास्तिक शामिल नहीं होंगे। इन रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए सरकार ने फौरन ही यह स्पष्टीकरण जारी किया है।
सीएए और एनआरसी को लेकर मौजूदा समय में देश भर में बन रहे हालातों को देखते हुए सरकार ने ऐतिहातन यह स्पष्टीकरण जारी किया है। गौरतलब है कि सीएए और एनआरसी के विरोध में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यकों के साथ ही बड़ी संख्या में देश के आम नागरिक भी सड़कों पर उतर कर अपना विरोध जाहिर कर रहे हैं।
मालूम हो कि इन विरोध प्रदर्शन में देश के कई बड़े विश्वविद्यालयों के छात्र भी शामिल हुए हैं। देश भर में हुए प्रदर्शनों में कई जगह हिंसक घटनाएँ भी सामने आईं हैं। इन प्रदर्शनों के बीच हुई हिंसक घटनाओं में उत्तर प्रदेश का नाम सबसे ऊपर है, जहां सीएए को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान 6 से अधिक लोगों की मौत हो जाने का मामला सामने आया है।