ग्रामीण भारत के उत्थान की दिशा में काम कर रहे हैं ये 5 स्टार्टअप
भारत के कुछ नामचीन स्टार्टअप आगे आएं हैं जो ग्रामीण भारत में जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए व्यावसायिक अवसर पैदा करके ग्रामीण लोगों को सशक्त बना रहे हैं.
जैसा कि भारत गांवों में बसता है. पिछले 15 वर्षों में, भारत सरकार ने ग्रामीण लोगों के लिए अवसर पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. भारत निरंतर विकास की ओर अग्रसर है, और यह विकास केवल शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित नहींं है. लेकिन फिर भी कहीं-कहीं 'भारत बनाम भारत' की बहस जारी है. ग्रामीण भारत प्रगति के कुछ मानदंडों पर अभी भी शहरी भारत से थोड़ा पीछे है, चाहे वह GDP हो, या फिर रोजगार, या साक्षरता हो, या फिर स्वास्थ्य. हर सेक्टर में दोनों के बीच थोड़ा अंतर तो मिल ही जाएगा.
2014 के बाद से, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार "आत्मनिर्भर भारत" के बारे में बात की, तो इसने देश के भीतर कई महत्वाकांक्षाओं को हवा दी. भारत, जोकि ग्लोबल स्टार्टअप हब में तीसरे सबसे बड़े हब के रूप में उभरा है - आत्मनिर्भर भारत अभियान से इसे अत्यधिक प्रेरणा मिली.
जहां तक ग्रामीण भारत की बात है, इसके पास 850 मिलियन से अधिक के लिए सबसे बड़ा ग्राहक आधार और बाजार के अवसर हैं, फिर भी कई कंपनियां इसका लाभ नहीं उठा पाईं.
ऐसे में भारत के कुछ नामचीन स्टार्टअप आगे आएं हैं जो ग्रामीण भारत में जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए व्यावसायिक अवसर पैदा करके ग्रामीण लोगों को सशक्त बना रहे हैं. इन स्टार्टअप्स की टेक्नोलॉजी गेमचेंजर रही है, जो ग्रामीण इलाकों में प्रोडक्टिविटी और विकास की संभावनाओं में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है.
Trell
भारत का तेजी से बढ़ने वाला कंटेंट सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म, वर्तमान में 8 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है, जिसमें - मराठी, बंगाली, तमिल और कन्नड़ शामिल हैं. प्लेटफॉर्म पर 10 बिलियन से अधिक मंथली व्यू के साथ, Trell अब अपने 15 मिलियन+ क्रिएटर बेस की लोकप्रियता का लाभ उठा रहा है. यह देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के उपयोगकर्ताओं को वास्तविक और सटिक कंटेंट प्रदान करने के मिशन पर है. 2017 में अपनी स्थापना के बाद से, Trell देश भर में स्थानीय उपभोक्ताओं की मनोरंजन जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके 70% से अधिक उपयोगकर्ता टियर-2, टियर-3 और टियर-4 शहरों से आते हैं.
DotPe
ग्रामीण देश के छोटे व्यवसायों और दुकानदारों को महामारी के दौरान अपने बिजनेस को ऑनलाइन ले जाना पड़ा. इसमें उन्हें खासा जद्दोजहद उठानी पड़ी. और तभी उनकी मदद करने के लिए गुड़गांव स्थित O2O कॉमर्स और फिनटेक प्लेटफॉर्म
ने डिजिटल शोरूम (Digital Showroom) लॉन्च किया. नए जमाने का डिजिटल प्लेटफॉर्म उन्हें 15 सेकंड के भीतर WhatsApp पर एक ऑनलाइन स्टोर शुरू करने और ऑनलाइन बिक्री शुरू करने में मदद करता है.डिजिटल शोरूम DotPe की एक पहल है जो एक तकनीकी स्टार्टअप है. यह ऑफ़लाइन एंटरप्राइज बिजनेसेज को अपने ग्राहकों के साथ सामान बेचने, मैनेज करने आदि के तरीके में डिजिटल परिवर्तन को चलाने के लिए एक कॉमर्स और पेमेंट प्लेटफॉर्म प्रदान करता है. प्लेटफॉर्म ने Mcdonald's, Starbucks, Haldiram's, और हजारों दूसरे बिजनेसेज को अपने ग्राहकों को ऑनलाइन ऑर्डरिंग अनुभव देकर अपने लाखों ग्राहकों की सेवा करने के लिए सशक्त बनाया है.
Shopmatic
एक ई-कॉमर्स सॉल्यूशन प्रोवाइडर के रूप में,
ई-कॉमर्स सेक्टर के कई सेग्मेंट्स को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाता है ताकि SME (Small Medium Enterprise) और किसी भी आंत्रप्रेन्योर को अपना बिजनेस ऑनलाइन करने में मदद मिल सके. कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, Shopmatic ने भारत के किराना स्टोर्स के लिए अनुरूप समाधान पेश किए, जिससे उन्हें पहले से तैयार किए गए कैटलॉग के साथ एक ऑनलाइन उपस्थिति बनाने में मदद मिली, जिससे उन्हें तकनीकी जानकारी या डिज़ाइन अनुभव की आवश्यकता के बिना आसानी से वेब-स्टोर बनाने में मदद मिल सके.प्लेटफॉर्म ने आसान इन्वेंट्री मैनेजमेंट, सुरक्षित और तत्काल ऑनलाइन पेमेंट, कॉन्टेक्ट लैस डिलीवरी और सेल्फ-पिकअप विकल्पों की भी पेशकश की. Shopmatic के तकनीकी-केंद्रित समाधानों के साथ, दुकान के मालिक अपने फोन का उपयोग इन्वेंट्री, सेलिंग, ऑर्डर, ग्राहकों और बहुत कुछ को ट्रैक करने में सक्षम हैं. आंत्रप्रेन्योर और बिजनेस प्लेटफॉर्म पर चार अलग-अलग ई-कॉमर्स समाधानों में से चुन सकते हैं - चैट सेलिंग, सोशल सेलिंग, मार्केटप्लेस सेलिंग, या वेब स्टोर्स के माध्यम से बिक्री. ग्राहक वह समाधान चुन सकते हैं जो उनकी आवश्यकताओं के लिए सबसे उपयुक्त हो.
GoCoop
बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप
बुनकरों, कारीगरों, सहकारी समितियों और समुदाय-आधारित उद्यमों को खरीदारों से जोड़ता है. GoCoop की शुरूआत 2005 में शिवा देवीरेड्डी द्वारा एक ऑनलाइन सोशल मार्केटप्लेस के रूप में की गई थी. यह हैंडलूम और हैंडिक्राफ्ट सहकारी समितियों और कारीगरों को हस्तनिर्मित बाजार में मदद करने में सहायक रहा है. प्राकृतिक और टिकाऊ प्रोडक्ट सीधे वैश्विक उपभोक्ताओं के लिए ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिससे लागत कम होती है, दक्षता बढ़ती है और पारदर्शिता बढ़ती है. कंपनी का मिशन भारत में नौ मिलियन-मजबूत बुनकरों और कारीगरों के समुदाय के लिए स्थायी आजीविका का निर्माण और समर्थन करना है. GoCoop को भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय द्वारा हैंडलूम मार्केटिंग (ईकामर्स) के लिए पहले राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है.ITC Group
ITC Group से हर कोई वाक़िफ़ है. यह ग्रुप बड़े पैमाने पर सामाजिक निवेश कार्यक्रम, जिन्हें अब SIP के रूप में जाना जाने लगा है, जो MSK (मिशन सुनहरा कल) की रीढ़ हैं. MSK का उद्देश्य स्थानीय समुदायों के साथ साझेदारी में ग्रामीण क्षमता का निर्माण करना है ताकि जल और वन संसाधनों का विकास किया जा सके, नई गैर-कृषि आजीविका को खोला जा सके, महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके, प्राथमिक शिक्षा का विस्तार किया जा सके और भारत में भविष्य के कौशल को बढ़ाया जा सके.
ITC Group के कृषि-व्यवसाय ने 'Village Adoption Programme' का बीड़ा उठाया है. इसमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और राजस्थान के 250 मॉडल गांव शामिल हैं. ग्रामीण विकास को फंड करने वाली यह पहल समग्र ग्रामीण विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की SAGY (सांसद आदर्श ग्राम योजना) के साथ जुड़ी हुई है.