पुराने जूतों से करोड़ों रुपये कमा रहे हैं ये दोनों दोस्त, साथ में कर रहे हैं समाजसेवा
रमेश और श्रीयंस के इस काम को देखते हुए उन्हें भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से भी सराहना हासिल हुई है। आज ‘ग्रीनसोल’ का वार्षिक टर्नोवर 1 करोड़ रुपये से अधिक का है।
हर साल दुनिया भर में इस्तेमाल हो चुके कई अरब जूते यूं ही बेकार फेंक दिये जाते हैं, इसके उलट करोड़ों की संख्या में लोग जूते ना होने की वजह से अपने पैरों में संक्रमण झेलते हैं, हालांकि अब एक अनूठा उद्यम इन दोनों ही समस्याओं का समाधान एक साथ निकालने का काम कर रहा है।
‘ग्रीनसोल’ नाम के इस उपक्रम के जरिये इस्तेमाल हो चुके जूतों को फिर से पहनने लायक तैयार किया जाता है और फिर से जरूरतमंद लोगों के बीच बांटने का काम किया जाता है।
मैराथन धावकों ने की शुरुआत
‘ग्रीनसोल’ के संस्थापक श्रीयंस भंडारी और रमेश धामी धावक होने के चलते एक दूसरे से मिल पाये थे। 23 साल के रमेश ने अपने शुरुआती जीवन में तमाम कठिनाइयों का सामना किया है और इसी के चलते उन्हें महज 10 साल की उम्र में अपना घर छोड़ना पड़ा था। रमेश फिल्मों में काम की इच्छा लिए मुंबई पहुंचे थे, लेकिन वे काम न मिलने के चलते नशे की लत में पड़ गए। रमेश के जीवन को नई दिशा देने का काम ‘साथी’ एनजीओ ने किया और यहीं से उन्होंने स्पोर्ट्स को चुन लिया।
उद्यमी परिवार से आने वाले श्रीयंस ने मुंबई और अमेरीका से पढ़ाई की है। रमेश और श्रीयंस की मुलाक़ात मुंबई में मैराथन की ट्रेनिंग के दौरान ही हुई थी।
कुछ ऐसे आया आइडिया
रमेश अपने बचाए हुए पैसों से दौड़ के महंगे जूते खरीदा करते थे, लेकिन कुछ ही समय बाद वे जूते ऊपरी हिस्से खराब हो जाया करते थे, हालांकि उनका सोल तब भी उतना ही मजबूत रहता था। रमेश ने एक बार अपने ऐसे ही जूते को काँट-छाँट कर उसे चप्पल का आकार दे दिया
रमेश के साथ श्रीयंस भी दौड़ के चलते हर साल अपने 4 से 5 जोड़ी जूते खराब कर दिया करते थे, ऐसे में जब रमेश ने अपना आइडिया श्रीयंस को सुनाया तो उन्हें भी यह काफी पसंद आया। इसी आइडिया के साथ आगे बढ़ते हुए दोनों ने ‘ग्रीनसोल’ की स्थापना कर डाली।
और तय होने लगा रास्ता
‘ग्रीनसोल’ के इस आइडिया की तारीफ हर ओर होने लगी और इसी के साथ दोनों ने 2014 में मुंबई में एक छोटे से कमरे में पाँच कामगारों के साथ अपने इस काम की शुरुआत कर दी, हालांकि इसी बीच श्रीयंस अपनी एमबीए की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। इस दौरान रमेश ने तमाम कंपनियो के साथ काम करते हुए इस काम की बारीकियों को सीखना जारी रखा।
आज रमेश इस उद्यम में रिसर्च, डिजाइन और निर्माण का काम देख रहे हैं, जबकि श्रीयंस मार्केटिंग का काम देखते हैं।
10 लाख जूतों का लक्ष्य
‘ग्रीनसोल’ के कामगार को एक पुराने जूते से नई चप्पल का निर्माण करने में 60 मिनट का समय लगता है और अब तक ‘ग्रीनसोल’ ने 3 लाख 20 हज़ार जरूरतमंद लोगों को फुटवियर उपलब्ध कराने का काम किया है। इतना ही नहीं, साल 2023 तक रमेश और श्रीयंस ने 10 लाख पुराने जूतों को चप्पलों में परिवर्तित कर उन्हें जरूरतमंद लोगों में वितरित करने का लक्ष्य रखा है।
रमेश और श्रीयंस के इस काम को देखते हुए उन्हें भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से भी सराहना हासिल हुई है। आज ‘ग्रीनसोल’ का वार्षिक टर्नोवर 1 करोड़ रुपये से अधिक का है।
Edited by रविकांत पारीक