Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

आदिवासियों की मेहनत को सार्थक बना रहीं ये महिलाएं, ग्राहकों को उपलब्ध करा रहीं ऑर्गेनिक शहद

आदिवासियों की मेहनत को सार्थक बना रहीं ये महिलाएं, ग्राहकों को उपलब्ध करा रहीं ऑर्गेनिक शहद

Tuesday March 19, 2019 , 7 min Read

निशिता और प्रियाश्री

आज हम आपके साथ जिस स्टार्टअप की कहानी साझा करने जा रहे हैं, उसकी शुरुआत से जुड़ा क़िस्सा काफ़ी दिलचस्प है। क्या आपने कभी सोचा है कि आपके पास कोई चीज़ आवश्यकता से अधिक मात्रा में है तो क्यों न उसे बेचा जाए और कुछ पैसे ही कमा लिए जाएं? कुछ ऐसा ही हुआ प्रियाश्री और निशिता वसंत के साथ, जिन्होंने तमिलनाडु में स्थित हिल टाउन कोडइकनल में रहने वाले आदिवासियों से अत्यधिक मात्रा में शहद ख़रीद लिया। इस शहद को उन्होंने रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच बांट दिया, लेकिन इसके बावजूद उनके पास पर्याप्त मात्रा में शहद बचा रह गया और फिर उन्होंने एक ऑन्त्रप्रन्योर की तरह सोचते हुए इसे एक बिज़नेस आइडिया में तब्दील कर दिया और फ़ैसला लिया कि वे दोनों इस ऑर्गेनिक शहद और कोडइकनल की स्थानीय आबादी से मिलने वाले उत्पादों को ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों ही माध्यमों से ग्राहकों तक पहुंचाएंगे।


प्रियाश्री बताती हैं, "शहद के अलावा हमारे पास अत्यधिक मात्रा में मोम (मधुमक्खी के छत्ते से मिलने वाला) भी इकट्ठा हो गया था। हम समझ नहीं पा रहे थे कि इतनी सारी मोम का हम क्या करें। हम कॉस्मेटिक मार्केट में नहीं जाना चाहते थे क्योंकि हम जानते थे कि उस मार्केट में पहले से ही कई कंपनियां मौजूद हैं।"


स्टार्टअप के फ़ाउंडर्स निशिता और प्रियाश्री ने कुछ वैसा ही किया, जैसा ऑन्त्रप्रन्योर्स आमतौर पर करते हैं। उन्होंने एक नए आइडिया पर काम शुरू किया। प्रियाश्री बताती हैं कि इस दौरान ही उनके एक रिश्तेदार ने कनाडा से उन्हें मोम से बने व्रैप्स भेजे, जो बहुद ही सुंदर थे और इसलिए उन्होंने तय किया कि वह इस प्रोडक्ट पर ही काम करना शुरू करेंगी।"


इस प्रोडक्ट का दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है और साथ ही, यह बायोडिग्रेडेबल भी होता है। इस प्रोडक्ट को लगातार आमतौर पर इस्तेमाल होने फ़ॉइल्स के ईको-फ़्रेंडली विकल्प के तौर पर लोकप्रियता मिल रही है। प्रयोगों के लंबे दौर के बाद ‘हूपु ऑन अ हिल’ ने इन व्रैप्स की कई वैरायटीज़ लॉन्च कीं।


 ये प्रोडक्ट्स कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। दरअसल, ये व्रैप्स मधुमक्खी के छत्ते से मिलने वाली मोम में लिपटे हुए कॉटन के कपड़े हैं, जिन्हें फ़ूड मटीरियल्स को स्टोर करने और ट्रांसपोर्ट करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। ये व्रैप्स तीन साइज़ के साथ-साथ कई प्रिंट्स और कलर्स में भी उपलब्ध हैं। इनक़ी कीमत 390 रुपए प्रति पैक रखी गई है।


बेंगलुरु की रहने वालीं प्रियाश्री और निशिता गैर-सरकारी संगठन इंडियन नैशनल ट्रस्ट फ़ॉर आर्ट ऐंड कल्चरल हेरिटेज के साथ काम कर रही थीं और इसी दौरान वे दोनों पालनी हिल्स क्षेत्र पहुंचीं।


प्रियाश्री बताती हैं, "वे दोनों पालियन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों द्वारा मधुमक्खी के छत्तों से शहद निकालने का काम करने वालों के इतिहास पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए गए हुए थे। ये आदिवासी छत्तों से शहद निकालने के लिए परंपरागत तरीक़ों का इस्तेमाल करते हुए जंगलों में जाकर ऊंचे पेड़ों पर चढ़कर शहद निकालते थे। सदियों से इस समुदाय में यह एक परंपरा के रूप में चला आ रहा था। "


इस क्षेत्र से ही प्रियाश्री और निशिता ने शहद ख़रीदा और अपने परिवारवालों और दोस्तों को तोहफ़े में दे दिया। कुछ समय बाद ही उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि उन्होंने शहद कुछ ज़्यादा ही मात्रा में ख़रीद लिया है और उन्होंने बचे हुए शहद को बेचने का फ़ैसला लिया।


दोनों ने मिलकर हूपु पक्षी के नाम पर अपने घरेलू इलाके कोडइकनल से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। यह स्टार्टअप अपने ग्राहकों को पूरी तरह से प्राकृतिक और किसी भी तरह के केमिकल से रहित शहद उपलब्ध कराता है। दोनों दोस्तों ने अपने काम की शुरुआत ऑफ़लाइन रीटेल मार्केट से की थी। वे पालनी हिल्स के आदिवासी समुदाय से शहद लेते थे और अपने घर के एक छोटे से कमरे में ही उसे स्टोर करते थे। उन्होंने पालनी क्षेत्र की ही 4 महिलाओं को अपने काम के लिए हायर किया।


स्टार्टअप मौसम के हिसाब से शहद की बिक्री करता था। सीज़न के साथ-साथ फूलों और मधुमक्खियों की प्रजाति का भी ध्यान रखा जाता था। हाल में यह स्टार्टअप आपको जामुन हनी (दवाई के रूप में लोकप्रिय), मल्टी-फ़्लोरल, यूकोलिप्टस, केराना और डैमर वैराइटीज़ का शहद उपलब्ध करा रहा है। बेचने से पहले शहद को फ़िल्टर किया जाता है और इनकी पैकेजिंग कांच की बोतलों में की जाती है।


बेंगलुरु से अपने स्टार्टअप को न शुरू करने के पीछे की वजह बताते हुए निशिता और प्रियाश्री ने बताया कि बेंगलुरु में किसी भी तरह का सेटअप तैयार करने के लिए खर्चा अधिक होता है। उन्होंने जानकारी दी कि हाल में 6 महिलाएं उनके साथ काम कर रही हैं और स्टार्टअप का लगभग सारा काम वही देख रही हैं। इतना ही नहीं, ये महिलाएं कंप्यूटर चलाना भी सीख रही हैं। पालनी क्षेत्र की महिलाओं के पास काम के लिए ज़्यादा विकल्प नहीं रहते। निशिता और प्रियाश्री का कहना है कि वे इस क्षेत्र की महिलाओं एक नियमित रोज़गार दिलाना चाहती थीं और उन्हें ऐसा काम देना चाहती हैं, जिसमें उनका शोषण न हो। ये महिलाएं स्टार्टअप की बदौलत मासिक तौर पर 7 हज़ार रुपए तक की कमाई कर रही हैं।


खाली बोतलों और पैकेजिंग के लिए स्टार्टअप की टीम ने बेंगलुरु के वेंडर्स के साथ पार्टनरशिप कर रखी है। पालनी क्षेत्र में मॉनसून के दो सीज़न होते हैं और इसलिए ही यहां पर हनी हार्वेस्टिंग के भी दो सीज़न होते हैं। यहां का आदिवासी समुदाय घने जंगलों में जाकर लगभग एक हफ़्ते तक शहद निकालने का काम करते हैं और स्टार्टअप की टीम को लाकर देते हैं। आदिवासियों से शहद 450 रुपए से लेकर 650 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से ख़रीदा जाता है।


जंगलों से सीधे आने वाले इस शहद को मसलिन के कपड़े से फ़िल्टर किया जाता है और इसकी अशुद्धियां दूर की जाती हैं। फ़िल्टर होने की प्रक्रिया के बाद इन्हें बड़े बर्तनों में रख दिया जाता है और फिर इन्हें कांच की बोतलों में पैक किया जाता है। इस शहद का 500 ग्राम का जार 450 रुपए क़ीमत का है और वहीं 300 ग्राम का जार 290 रुपए का है। हूपु ऑन अ हिल पूरे भारत में अपने प्रोडक्ट की सप्लाई करता है।


छोटे शहर से स्टार्टअप शुरू करने के फ़ायदे गिनाते हुए प्रियाश्री और निशिता बताती हैं कि उन्हें लॉजिस्टिक्स से जुड़ी बड़ी चुनौतियों का सामना ज़रूर करना पड़ा, लेकिन छोटे शहर की बदौलत उन्हें स्टार्टअप शुरू करने के शुरुआती तौर पर उन्हें भारी निवेश नहीं करना पड़ा। साथ ही, उन्होंने बताया कि छोटे शहरों में किराया और लेबर भी कम लागत में उपलब्ध हो जाता है। प्रियाश्री ने जानकारी दी कि उन्होंने अपने स्टार्टअप का सेटअप तैयार करने के लिए 5 से 10 लाख रुपए का निवेश किया है।


प्रियाश्री ने बताया कि शिपिंग के लिए उन्होंने भारत की पोस्ट पार्सल सर्विस का सहारा लिया। वह कहती हैं, "छोटे शहर से बिज़नेस शुरू करने वालों के लिए यह एक बेहद उम्दा ज़रिया है। यह पूरी तरह से विश्वसनीय भी है और साथ ही, यह देश के कोने-कोने तक पहुंच भी रखता है।"


भविष्य में, हूपु ऑन अ हिल अपने ऑपरेशन्स को बढ़ाने के लिए और भी अधिक महिलाओं को अपने साथ जोड़ने की योजना बना रहा है और साथ ही, अपने प्रोडक्ट लिस्ट में भी इज़ाफ़ा करने की तैयार कर रहा है।


प्रियाश्री ने अपने स्टार्टअप के एक बेहद ख़ास प्रोडक्ट का ज़िक्र करते हुए बताया कि हाल ही में उनकी कंपनी ने बीज़वैक्स क्रेयॉन्स लॉन्च किए हैं, जो फ़ूड कलरिंग और मोम से तैयार किए गए हैं। यह प्रोडक्ट बच्चों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। हम ऐसे ही और नए प्रयोग करने की कोशिश कर रहे हैं।


यह भी पढ़ें: भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति अजीम प्रेमजी ने परोपकार में दान किए 52 हजार करोड़