अठारह बिलियन डॉलर के ई-कॉमर्स बाजार में तीस प्रतिशत महिला खरीदार
"फिलहाल, कंपनियां भले ही इंटरनेट कॉमर्स में महिलाओं की जरूरतों पर अभी पुरुषों के मुकाबले कम ध्यान दे रही हों, अठारह बिलियन डॉलर के ई-कॉमर्स बाजार में इस समय भी उनकी तीस फीसदी मौजूदगी हो चुकी है। कई कंपनियां तो सिर्फ महिलाओं पर फोकस उत्पाद ऑनलाइन मार्केट में उतार रही हैं।"
हमारे देश में एक ओर जहां ई-कॉमर्स कारोबार आगामी तीन वर्षों के भीतर सौ अरब डॉलर का आकड़ा छूने की ओर है, जिसमें 10 लाख रोजगार की भी संभावना है, वही दूसरी तरफ इंटरनेट मार्केट महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं माना जा रहा है। भले ही उसमें नए ग्राहकों तक आसानी से पहुंचने की क्षमता हो।
भारतीय महिलाओं के फिट और फॉर्म को समझने वाली कुछ गिनी-चुनी ई-टेलर्स हैं। ऑनलाइन की बजाय परेशानी के बावजूद पुराने बाजारों से ऐसे ड्रेसेज की खरीदारी करना आसान है, जो फिट हो सकें। इंटरनेट कॉमर्स में महिलाओं की जरूरतों पर कम ध्यान दिया जा रहा है, जबकि भारत की इंटरनेट इकोनॉमी अगले साल तक दोगुनी होकर 25 करोड़ डॉलर की हो जाने का अनुमान है।
वर्ष 2021 तक भारत में इंटरनेट उपभोक्ता 829 मिलियन हो जाने वाले हैं तो उसमें स्टडी के मुताबिक 30 फीसदी महिलाओं की भी संख्या 250 मिलियन तक पहुंच जानी है। इस समय हमारे देश में कुल ऑनलाइन रिटेल 18 बिलियन डॉलर है। इसी के मद्देनजर कई कंपनियां महिलाओं पर फोकस उत्पादों के कारोबार में जुट गई हैं।
इस बीच तेजी से बढ़ता ब्यूटी सेक्टर ई-कॉमर्स बाजार में महिलाओं की अनदेखी नहीं कर सकता है। इसीलिए अब ई-कॉमर्स बाजार में आधी आबादी पर फोकस ब्रांड तेजी से उतरने लगे हैं। ई-कॉमर्स साइट्स के आने के बाद केवल मोबाइल फोन, कपड़े, और फुटवियर के लिए ही ऑनलाइन खरीदारी होती थी लेकिन अब परफ्यूम, लिपस्टिक, बॉडी वॉश और ब्यूटी प्रोडक्ट्स की भी ऑनलाइन शॉपिंग तेजी से हो रही है।
इस समय भारत के कुल ई-कॉमर्स बाजार में तीस प्रतिशत ऑनलाइन खरीदार महिलाएं हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले छह महीनों में हर दस में से छह महिलाएं पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स जैसे मेकअप और कॉस्मेटिक्स की ऑनलाइन खरीदारी करने लगी हैं। ज्यादातर घरों में, जबकि महिलाएं ही 44 प्रतिशत घरेलू खर्च नियंत्रित करती हैं, आबादी के अनुपात में ई-कॉमर्स में भी उनका आधा हिस्सा जरूरी हो चला है।
एक स्टडी में लगभग नब्बे प्रतिशत महिलाओं ने दावा किया है कि वे घरेलू खपत में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। ज्यादातर ई-कॉमर्स शॉपिंग स्मार्ट फोन पर हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी चूंकि महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं, जिससे भविष्य में ई-कॉमर्स बाजार में उनकी बड़ी मौजूदगी से इनकार नहीं किया जा सकता है।
फिलहाल, भारत में आधी आबादी की दृष्टि से एक कड़वा सच ये भी है कि महिलाएं ई-कॉमर्स की ताज़ा ग्रोथ में अपेक्षित मौजूदगी दर्ज नहीं करा पा रही हैं, जबकि जनसंख्या में उनकी आबादी 48 फीसदी पहुंच चुकी है। मुख्यतः ई-मार्केट पुरुषों के हिसाब से रन कर रही है। दस फीसदी महिलाओं के पास ही क्रेडिट कार्ड हैं। डिजिटल वॉलेट में तो महिलाओं की हिस्सेदारी और भी कम है। जिनके पास ये सुविधाएं हैं भी, उनको खराब अनुभवों से गुजरना पड़ रहा है।
फिर भी उम्मीद है, ई-कॉमर्स कंपनियों की नज़र महिलाओं के खराब अनुभवों पर भी टिकी है क्योंकि उन्हे भी भविष्य में आधी आबादी एक बड़े कंज्यूमर प्लेटफॉर्म के रूप में साफ-साफ नजर आ रही है। डेलॉइट इंडिया और रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की अनरैवलिंग द इंडियन कंज्यूमर रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का ई-कॉमर्स क्षेत्र तेज वृद्धि के साथ एशिया में तीसरा और दुनिया में चौथा सबसे बड़ा खुदरा बाजार बनता जा रहा है, जिसका आकार 2021 तक 84 अरब डॉलर हो जाने की उम्मीद है। ऐसे में यह क्षेत्र भारत की आधी आबादी से मालामाल हो सकता है।