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इस 25 वर्षीय युवा ने अच्छी सैलरी वाली नौकरी छोड़ अपने शहर को कचरा मुक्त बनाने के लिए शुरू किया 'स्वच्छ मेरठ'

इस 25 वर्षीय युवा ने अच्छी सैलरी वाली नौकरी छोड़ अपने शहर को कचरा मुक्त बनाने के लिए शुरू किया 'स्वच्छ मेरठ'

Monday October 07, 2019 , 5 min Read

महात्मा गांधी ने कहा था, "स्वच्छता स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है"। राष्ट्रपिता ने सफाई और स्वच्छता को गांधीवादी जीवन जीने का एक अभिन्न अंग बना दिया। उनका सपना सभी के लिए संपूर्ण स्वच्छता का था।


लेकिन आज हम भारत में हर नुक्कड़ और कूड़े में पड़े कचरे के ढेर को देख सकते हैं। आज हमारा देश हर साल 62 मिलियन टन कचरा उत्पन्न करने के लिए जाना जाता है, जिसमें से 60 प्रतिशत से कम ही इकट्ठा किया जाता है और उसमें से भी केवल 15 प्रतिशत कचरे को प्रोसेस्ड किया जाता है। इस अनचाहे कचरे से हैजा, डेंगू, हेपेटाइटिस, और अन्य कई बीमारियां हो सकती हैं।


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सरकार की नीतियों और स्थानीय प्रशासन द्वारा कचरे के निपटान का प्रयास करने के बावजूद, पिछले कुछ वर्षों में बहुत ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है। लेकिन उत्तर प्रदेश के शहर मेरठ का एक 25 वर्षीय लोन रेंजर गांधीवादी सिद्धांतों को अभी भी जीवित रखे हुए है। आयुष मित्तल अपने क्षेत्र में वैज्ञानिक रूप से कचरे को इकट्ठा करने, मैनेज करने और नष्ट करने का हर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने अपने भाई अक्षत मित्तल की मदद से 2018 में ठोस कचरे का प्रबंधन करने के लिए एक मॉडल तैयार किया।


आज, आयुष ने 17 आवासीय कॉलोनियों के 10,000 घरों में उत्पन्न लगभग 8,000 किलोग्राम ठोस कचरे को मैनेज करने के लिए 118 से अधिक कचरा बीनने वालों को सफलतापूर्वक अपने साथ जोड़ा है।


आयुष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'स्वच्छ भारत मिशन' के अनुरूप इस प्रयास को 'स्वच्छ मेरठ' नाम दिया है।


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कामकाज

देहरादून में आईएमएस यूनिसन यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद, आयुष ने दिल्ली की एक बहुराष्ट्रीय सेवा कंपनी एक्सेंचर में एक शानदार नौकरी हासिल की। हालांकि, चीजों ने करवट ली, जब उन्होंने काम से ब्रेक लिया और 2018 में अपने गृहनगर, मेरठ पहुंचे।


यहां, उन्होंने नोटिस किया कि नगरपालिका काफी कचरा ऐसे ही छोड़ देती है। आयुष याद करते हैं,


"मैं हर दिन सुबह नोटिस करता था कि अनडिस्पोज्ड कचरा शहर और उसके आसपास हवा और भूजल को प्रदूषित कर रहा है। जब मैंने इस मुद्दे पर विचार किया, तो मुझे पता चला कि मेरठ में लगभग 1,000 अपंजीकृत लैंडफिल थे। मैं काफी परेशान हो गया और इस तथ्य को पचा नहीं सका कि 'स्वच्छ भारत मिशन' के लागू होने के पांच साल बाद भी भारत की ये हालत है। इसलिए, मैंने एक्शन लेने का फैसला किया।"


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स्वच्छ मेरठ पहल

आयुष ने अपने भाई के साथ स्वच्छ मेरठ पहल शुरू की, जो पेशे से एक आर्कीटेक्ट हैं। उन्होंने मिलकर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 के अनुसार कचरे का प्रबंधन करने के लिए एक मॉडल बनाया। आयुष ने मौजूदा समस्या का हल खोजने के लिए शुरू में आवासीय कॉलोनियों के कुछ नागरिकों से बात करना शुरू किया। बहुत सारे शोध करने के बाद, उन्होंने सभी कचरा बीनने वालों को अपने साथ लिया। कचरे को मैनेज करने के लिए आयुष ने कचरा बीनने वालों को अश्वासन दिया कि उन्हें एक निश्चित वेतन और अच्छी वर्किंग कंडीशन्स मिलेंगी।


मॉडल न केवल प्रभावी, बल्कि सेल्फ-सस्टेनेबल भी साबित हुआ, क्योंकि पूरे ऑपरेशन को यूजर्स द्वारा फंड किया गया। यानी जो अपना कचरा देंगे वो ही इसे अपने तरीके से फंड करेंगे। दो आवासीय सोसाइटी - Melford City और A2Z अपार्टमेंट - खाद बनाने की फैसिलिटी स्थापित करने के लिए अपने यार्ड के भीतर भूमि प्रदान करने के लिए सहमत हो गए। आयुष ने शुरुआती चरण में परिचालन खर्चों को फंड देने के लिए 55,000 रुपये की राशि इकट्ठी की।


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जीरो-वेस्ट डिस्चार्ज मॉडल

आयुष का स्वच्छ मेरठ मॉडल एक साधारण डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन सिस्टम पर आधारित है। कचरो को वहीं से अलग-अलग किया जाता है जहां से वह उत्पन्न होता है, इसलिए गीले कचरे को सीधे कंपोस्टिंग फैसिलिटी में ले जाया जाता है, जहां इसे एरोबिक कंपोस्टिंग पिट्स और वर्मीकम्पोस्टिंग बेड का उपयोग करके खाद में बदल दिया जाता है। दूसरी ओर, सूखा कचरा, रीसाइक्लिंग इकाइयों को आगे की प्रक्रिया के लिए भेजा जाता है।


आयुष कहते हैं,


“सभी रखरखाव लागत के साथ-साथ कूड़ा बीनने वालों का महीने का भुगतान, उन्हीं घरों द्वारा किया जाता है जहां से कचरा इकट्ठा किया जाता है। दरअसल हर घर से प्रति माह 85 रुपये का योगदान दिया जाता है। जिससे चलते यह मॉडल सेल्फ-सस्टेनेबल और कार्य करने योग्य हो पाता है। यह प्रणाली पूरी तरह से नागरिक-संचालित है, यह न तो सरकार पर निर्भर है और न ही स्थानीय निगमों पर।"


बहुत जरूरी बदलाव

अपनी स्थापना के बाद से, लगभग 12,000 किलोग्राम गीला कचरा और 41,000 किलोग्राम सूखा कचरा स्वच्छ मेरठ पहल के हिस्से के रूप में एकत्र किया गया है। प्रोसेसिंग फैसिलिटी पर तैयार की गई सभी खाद जैविक खेती या आवासीय समाज की सीमाओं के भीतर पेड़ लगाने के लिए उपयोग किया जाता है।


आयुष बताते हैं,

“अब तक, पहल के हिस्से के रूप में उत्पन्न खाद का उपयोग करके 2,800 से अधिक पेड़ लगाए गए हैं। इससे न केवल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन को कम करने में भी मदद मिलती है। केवल यही नहीं, मॉडल के कई गैर-मात्रात्मक प्रभाव हैं जैसे कि नागरिकों के बेहतर स्वास्थ्य के साथ-साथ एक हरियाली और स्वच्छ वातावरण को बढ़ावा देना।"


A2Z डेवलपर्स के निदेशक अर्जुन सिंह कहते हैं:

“स्वच्छ मेरठ पहल अत्यधिक प्रभावी है। हम सभी ने उन्हें खाद के गड्ढे बनाने और एक सूखा कचरा संग्रह केंद्र स्थापित करने के लिए एक खास जगह दी है। आज, हम कई लाभ उठा रहे हैं - सही रूप में पानी की बचत से लेकर हमारे सभी कचरे की रीसाइक्लिंग, और पेड़ लगाने तक शामिल है। यदि इस मॉडल को अन्य आवासीय क्षेत्रों और कॉलोनियों में दोहराया जाता है, तो वह दिन दूर नहीं है जब लोगों को कचरा मुक्त देश देखने को मिल सकता है।"


आयुष अब देश भर में स्वच्छ मेरठ पहल को बढ़ावा देने और प्रमोट करने की योजना बना रहा है।