इस लड़के ने चाय बेचने के लिए छोड़ दी UPSC की तैयारी, 65 शहरों तक पहुंचाया व्यापार
अनुभव दुबे IAS बनने की चाह लिए UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे लेकिन फिर उन्होने चाय बेचने के लिए इस तैयारी को बीच में ही अधूरा छोड़ दिया।
अनुभव दुबे IAS बनने की चाह लिए UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे लेकिन फिर उन्होने चाय बेचने के लिए इस तैयारी को बीच में ही अधूरा छोड़ दिया।
अनुभव जब 21 साल के थे तब वह अपने परिवार के सपने को पूरा करते हुए IAS अधिकारी बन देश की सेवा करना चाहते थे और इसके लिए वह यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी कर रहे थे। इस बारे में बात करते हुए अनुभव ने एक इंटरव्यू में बताया कि IAS अधिकारी की नौकरी के साथ मिलने वाला रसूख भला किसे पसंद नहीं आता है, हालांकि वो उस समय तक IAS अधिकारी के साथ उद्यमी भी बनना चाहते थे।
दोस्त का मिला साथ
अनुभव जब यूपीएससी की तैयारी में व्यस्त थे तब उनके पास उनके एक करीबी दोस्त आनंद नायक का फोन आया और उस कॉल पर उन दोनों के बीच कई साल पहले साथ मिलकर बनाए गए एक बिजनेस प्लान पर बात हुई। इस कॉल के बाद ही अनुभव के लिए काफी कुछ बदल गया और उन्होने आखिरकार अपने उद्यमी बनने के सपने की तरफ आगे बढ़ने का फैसला कर लिया।
अनुभव अपने दोस्त आनंद के साथ मिलकर दरअसल चाय बेंचना चाहते थे। इस बारे में बात करते हुए अनुभव कहते हैं कि उन्हे यह पता था कि चाय के लिए बाज़ार काफी बड़ा है और अधिकांश लोगों के लिए दिन की शुरुआत उनकी पहली चाय के साथ ही होती है।
बचत के पैसे किए निवेश
शुरुआती दौर में अपने इस बिजनेस प्लान को लेकर अनुभव और उनके दोस्त ने यह तय किया कि वे छात्रों को अपने लक्षित ग्राहक बनाएँगे। बिजनेस की शुरुआत 3 लाख रुपये के निवेश के साथ की गई, जिस पूंजी को आनंद नायक ने अपने पहले गारमेंट बिजनेस के जरिये जुटाया था।
शुरुआती दिनों में दोनों के लिए बड़ी तेजी से आगे बढ़ाना बेहद जरूरी था क्योंकि उनके पास पूंजी बेहद सीमित थी। अनुभव और आनंद ने इस समस्या को हल करने के लिए अपने बिजनेस की मार्केटिंग खासा फोकस किया और इसका सकारात्मक परिणाम भी उन्हे जल्द ही मिलने लगा।
ग्राहक के लिए बेहतर अनुभव
अनुभव की इस चाय ने जहां क्वालिटी के मामले में सबको पीछे छोड़ना शुरू कर दिया, वहीं चाय की कीमत महज 7 से 10 रुपये ही रही। अनुभव चाय को जरूरत बताते हुए इस बात पर खासा ज़ोर देते हैं कि चाय की कीमत 10 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
इसी के साथ दोनों ने ग्राहक के बेहतर अनुभव के लिए भी काफी काम किया। चाय-सुट्टा बार में चाय कुल्हड़ में दी जाती है, जबकि ग्राहकों के बैठने के लिए बेहतर व्यवस्था की गई है। इस चाय की खास दुकान में ग्राहकों की सेवा को ध्यान में रखते हुए साफ-सफाई और बेहतर स्टाफ के साथ अच्छे संगीत की भी व्यवस्था की गई है।
चाय-सुट्टा बार में काम करने वाला स्टाफ ऐसे वर्ग से है जिन्हे काम और सम्मान की सबसे अधिक जरूरत है। बार में काम करने वाले लोग दिव्यांग वर्ग और गरीब तबके से ताल्लुक रखते हैं।
देश भर में खोले आउटलेट्स
अपने ‘चाय-सुट्टा बार’ के बारे में बात करते हुए अनुभव ने बताया कि चाय तो उनका प्रॉडक्ट था ही लेकिन इसके साथ ‘सुट्टा’ काफी कैची साउंड कर रहा था और इसी लिए उन्होने इसे 'चाय-सुट्टा' कैफे नाम दिया।
अपने पिता के बारे में बात करते हुए अनुभव बताते हैं कि उनके पिता को उनकी तीसरी दुकान खुलने के बाद यह पता चल पाया था कि उन्होने UPSC की तैयारी छोड़ दी है, लेकिन इसके बाद उनके पिता ने हर तरह से उनका समर्थन किया और व्यापार को आगे बढ़ाने में अपने सुझाव भी दिये। आज चाय-सुट्टा बार के देश के 65 शहरों में 135 से अधिक आउटलेट्स हैं।