दिव्यांगजनों के लिए आशा की किरण बना ये कैफे, यहाँ काम करने वाले सभी कर्मचारी हैं श्रवण बाधित
झारखंड के इस खास कैफे के सभी कर्मचारी हैं श्रवण बाधित, अपने प्रयासों के जरिये जीत रहे हैं लोगों का दिल
"कैफे के संस्थापक आशीष दुग्गर साल 2015 तक एक स्टील कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट पद पर नौकरी कर रहे थे, लेकिन अपने सपने के साथ आगे बढ़ने के उद्देश्य से आशीष ने तब अपनी बेहतरीन वेतन वाली इस नौकरी को छोड़ दिया था।"
झारखंड के जमशेदपुर शहर में स्थित ‘कैफे ला ग्रेविटी’ फिलहाल देश भर में लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि इस कैफे का संचालन करने वाले सभी कर्मचारी श्रवण बाधित हैं। इस कैफे के मालिक ने बड़ी ही खास पहल करते हुए ऐसे 10 युवाओं को काम पर रखा है, जिनकी सुनने की क्षमता कम है या नगण्य है। गौरतलब है कि ये सभी कर्मचारी कैफे के सामान्य कामों से लेकर खाना बनाने का भी काम करते हैं।
कैफे के संस्थापक आशीष दुग्गर साल 2015 तक एक स्टील कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट पद पर नौकरी कर रहे थे, लेकिन अपने सपने के साथ आगे बढ़ने के उद्देश्य से आशीष ने तब अपनी बेहतरीन वेतन वाली इस नौकरी को छोड़ दिया था।
श्रवण बाधित लड़की ने दिखाई राह
नौकरी छोड़ने के बाद आशीष ने सबसे पहले एक चाय की दुकान खोली। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ हुई बातचीत में आशीष ने बताया है कि उनके लिए उस समय सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उनकी दुकान पर भाई-बहन की एक जोड़ी आई। उस लड़की ने आशीष को बताया था कि किस तरह उसकी ना सुन पाने की क्षमता के चलते उसे नौकरी मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
आशीष अपनी नौकरी छोड़ने के बाद से ही समाज के लिए कुछ करना चाहते थे और उस लड़की से हुई मुलाक़ात के बाद उन्हें अवसर और सही दिशा मिल चुकी थी। आशीष ने इसके बाद एक ऐसे कैफे को खोलने का निर्णय लिया जिसमें सभी दिव्यांग कर्मचारियों को काम पर रखा जाना था। आशीष ने यह कैफे खोला और शुरुआती दिनों में उनके साथ काम कर रहे कुल 11 कर्मचारियों में से 10 कर्मचारी श्रवण बाधित थे।
होता है सांकेतिक भाषा का उपयोग
कर्मचारियों के साथ काम करने के अनुभव को साझा करते हुए आशीष ने बताया है कि शुरुआत में उन्हें इन कर्मचारियों के साथ बातचीत करने में परेशानी हो रही थी, लेकिन उन्होने जल्द ही इशारों को समझने के साथ ही सांकेतिक भाषा को भी सीख लिया। अब वे आसानी के साथ इन कर्मचारियों के साथ बातचीत कर पाते हैं। इस खास कैफे में आने वाले ग्राहक भी इन कर्मचारियों से सांकेतिक भाषा में बात करते हैं और खाने-पीने का ऑर्डर देते हैं।
आज इस खास कैफे की प्रशंसा स्थानीय लोगों के साथ ही सेलेब्रिटी भी कर रहे हैं। जमशेदपुर के डिप्टी कमिश्नर सूरज कुमार ने भी आशीष की प्रशंसा करते हुए उनके कामों को सभी के लिए एक पाठ बताया है। सूरज कुमार ने मीडिया से बात करते हुए है कि उन्हें आशा है कि आशीष के इन प्रयासों को देखते हुए अब देश भर के उद्यमी अपने यहाँ बड़ी संख्या में दिव्यांगजनों को काम पर रखेंगे।
कोरोना वैक्सीन कैम्पेन में भी भागीदारी
हाल ही में कैफे के सभी कर्मचारियों को कोरोना वैक्सीन लगवाई गई है। डिप्टी कमिश्नर सूरज कुमार के अनुसार सभी कर्मचारियों ने बिना किसी परेशानी के कोरोना वैक्सीन ली है।
इसी के साथ इन कर्मचारियों ने अपनी सांकेतिक भाषा में जमशेदपुर में रहने वाले लोगों को भी प्रेरित करने का काम किया है, जिसके बाद शहर में जारी कोरोना वैक्सीन ड्राइव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
Edited by Ranjana Tripathi