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गरीब बच्चों की भूख मिटाकर उन्हें शिक्षित कर रहा जोमैटो का यह डिलिवरी बॉय

पाथकृत

क्या आपको पता है कि जब आप जोमैटो या स्विगी जैसे ऐप पर अपना ऑर्डर कैंसल करते हैं तो क्या होता है? रेस्टोरेंट्स उस खाने को डिलिवरी बॉय को दे देते हैं। कई डिलिवरी बॉय इसे खुद के लिए रख लेते हैं तो वहीं पथिकृत जैसे कुछ डिलिवरी बॉय इसे गरीबों और भूखों में दान कर देते हैं। पाथिकृत कोलकाता में रहते हैं और जोमैटो पर डिलिवरी बॉय का काम करते हैं। वे अपने इलाके के गरीब बच्चों को चिकन रोल्स, चाइनीज फूड, बिरयानी और ऐसे ही लजीज खाना उपलब्ध करवाते हैं।


खाना खिलाने के अलावा पाथिकृत शाम को बच्चों को पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाते भी हैं। कभी-कभी वे अपने इलाके में भंडारे की भी व्यवस्था करवाते हैं। एफर्ट्स फॉर गुड्स से बात करते हुए पाथिकृत कहते हैं, 'चार साल पहले, मैं कोलकाता में दमदम छावनी के पास की सड़कों को पार कर रहा था जब एक विकलांग किशोर लड़का दौड़ता हुआ आया और मेरे पैरों पर गिर गया। वह पैसे के लिए भीख मांगने लगा। मुझे लगा कि वह ड्रग्स का आदी है और इसलिए इस तरह पैसे मांग रहा है। मैंने उसे दूर करने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं गया। मैंने गुस्से में आकर उसे थप्पड़ जड़ दिया।'


लेकिन बाद में पाथिकृत को उस लड़के ने बताया कि उसके पास भीख मांगने के सिवा और कोई रास्ता नहीं है और अगर वह शाम को पैसे लेकर घर नहीं जाएगा तो उसकी मां उसे मारेगी। पाथिकृत बताते हैं, 'मैंने उसी रेलवे स्टेशन के आस पास ऐसे ही कई सारे बच्चों को देखा जो भीख मांगने के लिए इधर उधर घूमते रहते हैं। इनमें से कोई भी कभी स्कूल नहीं गया। कुछ तो ड्रग्स के आदी होते हैं और अपराध की दुनिया में कदम रख चुके होते हैं।'


पाथकृत के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे एक कार्यक्रम में

पाथिकृत उस वक्त कोलकाता म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के साथ काम कर रहे थे। उन्होंने शाम को इन बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। यह छोटा सा स्कूल स्टेशन के पास ही था जिसमें सारे बच्चे पेड़ के नीचे चटाई पर बैठकर पढ़ाई करते थे। उस वक्त 17 बच्चे थे जो अब बढ़कर 27 हो चुके हैं। पाथिकृत ने अपना काम छोड़ दिया और पूरा वक्त इन बच्चों के लिए समर्पित कर दिया।


लेकिन खर्च चलाने के लिए उन्होंने तीन महीने पहले जोमैटो के साथ डिलिवरी बॉय की तरह काम करना शुरू कर दिया। वे बताते हैं, 'जोमैटो के साथ काम करते वक्त मुझे दमदम में एक दरियादिल रेस्टोरेंट मालिक मिले जिन्होंने मेरा सहयोग किया। अब रेस्टोरेंट में जो भी खाना बचता है वो सब इन बच्चों को मिल जाता है।' पाथिकृत बताते हैं कि हर रेस्टोरेंट्स में रोज खाना बचता है। अगर इस खाने का सही उपयोग किया जा सके तो कई भूखों को भोजन मिल सकता है।


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