कर्नाटक के इस 'ईको आंत्रप्रेन्योर' ने 21 एकड़ बंजर जमीन को बना दिया हरा-भरा जंगल
इस काम को सफलतापूर्वक अंजाम देने में सुरेश कुमार की मदद जाने-माने पर्यावरणविद् अखिलेश चिपली ने की है। इस जंगल को ‘उषा किरण’ का नाम दिया गया है, जिसका मतलब है- ‘सुबह के सूरज की किरण’।
बेंगलुरु के रहने वाले आंत्रप्रेन्योर सुरेश कुमार को फिलहाल बड़ी ही खास वजह से लोग जान रहे हैं। सुरेश कुमार ने अपने नेक ख्यालों और उसके साथ किए गए अथक प्रयासों के जरिये कई एकड़ बंजर जमीन को एक हरे-भरे खूबसूरत जंगल में तब्दील करने का काम किया है।
करीब 10 साल पहले सुरेश ने कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के सागर क्षेत्र में 21 एकड़ जमीन खरीदी थी, जो उस समय पूरी तरह बंजर हुआ करती थी। हालांकि आज यह पूरी की पूरी जमीन एक घने और प्राकृतिक जंगल में बदल गई है।
इस काम को सफलतापूर्वक अंजाम देने में सुरेश कुमार की मदद जाने-माने पर्यावरणविद् अखिलेश चिपली ने की है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के साथ हुई बातचीत में अखिलेश ने बताया है कि इस जंगल को ‘उषा किरण’ का नाम दिया गया है, जिसका मतलब है- ‘सुबह के सूरज की किरण’।
पहले रेगिस्तान जैसी थी जमीन
शुरुआत में यह जमीन एक रेगिस्तान की तरह थी, जहां कटीले पौधे उगे हुए थे। जमीन खरीदने के बाद सुरेश कुमार इसे सामाजिक उत्थान के लिए इस्तेमाल करना चाहते थे और इसी के चलते उन्होने अखिलेश चिपली से संपर्क साधा था। अखिलेश के आग्रह पर ही इस जमीन को एक घने जंगल में तब्दील करने का निर्णय लिया गया था।
10 सालों के अथक प्रयासों के बाद अब खूबसूरत जंगल में तब्दील हो चुकी इस जमीन में तमाम तरह की प्रजातियाँ भी अपना बसेरा बना रही हैं, इसी के साथ यह जंगल अब पर्यावरणविद् और छात्रों के लिए अध्ययन का केंद्र भी बन गया है।
तमाम किस्म के पौधे हैं मौजूद
आज इस जंगल में तमाम शौकीन वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर आते हैं और तस्वीरें खींचते हैं। इसी के साथ वे सभी अपने क्षेत्र में भी ऐसे ही जंगल विकसित करने का संकल्प भी लेते हैं।
अखिलेश के अनुसार शुरुआत में इस जंगल में कुछ ही क़िस्मों के पेड़ लगाए गए थे, लेकिन समय के साथ यह लगातार विकसित होता रहा है। अखिलेश का दावा है कि इस तरह के मॉडल के जरिये देश भर में देशी वनस्पतियों और वन्य जीवों को बचाने का काम किया जा सकता है।
आज इस खास जंगल में अधिकतर पौधे प्राकृतिक रूप से ही उग रहे हैं और अखिलेश व सुरेश बस इनके संरक्षण का काम देख रहे हैं।
पहले भी हुए हैं ऐसे सराहनीय काम
इसके पहले भी इसी तरह के सराहनीय काम देखने को मिले हैं। पुथुराई के 50 वर्षीय पर्यावरणविद् डी सरवनन ने तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में करीब 100 एकड़ बंजर जमीन को अपने अथक प्रयासों के जरिये एक घने जंगल में बदलने का काम किया था।
इस जंगल में आज पक्षियों की करीब 250 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, इसी के साथ जंगल में तमाम अन्य वन्य जीव भी अपना बसेरा बनाए हुए हैं। गौरतलब है कि सरवनन ने इस दिशा में 1990 के दशक में काम करना शुरू किया था। शुरुआत में यह जमीन लाल मिट्टी का बंजर हुआ करती थी, लेकिन आज यहाँ एक खूबसूरत और हरा-भरा जंगल अपनी छटा बिखेर रहा है।
Edited by रविकांत पारीक