इस किसान ने 400 एकड़ अनुपजाऊ भूमि का कर दिया कायाकल्प, अब हो रही है गन्ने की बम्पर पैदावार
कभी खेती के लिए अयोग्य मानी जाने वाली 400 एकड़ जमीन को पूरी तरह कृषि योग्य बनाने वाले एमएस सुब्रमण्यम राजू आज देश भर में किसानों के लिए आदर्श बन चुके हैं। विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई करने वाले राजू कृषि को लेकर लगातार नए-नए प्रयोग करने के लिए जाने जाते हैं और बीते 6 सालों से वे सिर्फ ऑर्गनिक खेती ही कर रहे हैं।
हैदराबाद के रहने वाले 60 वर्षीय राजू से आज बड़ी संख्या में किसान क्षारीय मिट्टी को कृषि योग्य मिट्टी में बदलने की टिप्स लेने आते हैं। मालूम हो कि राजू ने बीते कुछ सालों में बड़े पैमाने पर क्षारीय मिट्टी (वह मिट्टी जिसका पीएच स्तर 8 से अधिक हो।) को उपजाऊ भूमि में बदला है और वे अब ऐसी 400 एकड़ से अधिक जमीन पर गन्ने की खेती भी कर रहे हैं।
पानी नहीं सोखती थी ये मिट्टी
राजू के अनुसार उनके क्षेत्र की क्षारीय मिट्टी पानी को सोख नहीं पाती थी जिससे फसलों का इस मिट्टी पर पनप पाना काफी कठिन हो जाता था। ऐसी स्थिति में जो फसलें इस मिट्टी पर उगाई जाती थीं उन पौधों को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते थे जिसका नतीजा यह होता था कि बड़ी तादाद में ये पौधे खुद ही खत्म हो जाते थे।
आमतौर पर कृषि योग्य भूमि के लिए पीएच स्तर का 7 पर होना आवश्यक होता है ऐसे में अगर मिट्टी का पीएच स्तर 7 से ऊपर या नीचे है तो ये अधिकांश फसलों के लिए उपयुक्त नहीं होता है। हालांकि राजू के अनुसार उन्होने 4 के पीएच स्तर वाली मिट्टी को 10 के पीएच स्तर तक पहुंचाने में भी सफलता हासिल की है।
कैसे पाई ये सफलता?
राजू ने इस तरह की मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए काम आने वाली अपनी तकनीक को विकसित करने के लिए काफी मेहनत की है। राजू के अनुसार अगर भूमि के पास पानी का अच्छा श्रोत है और किसान को पीएच स्तर की प्रारम्भिक जानकारी है तो इसे आसानी से किया जा सकता है। इतना ही नहीं, इसे हासिल करने के लिए प्रति एकड़ लागत भी 2 से 6 हज़ार रुपये प्रति सीजन के बीच आती है।
भूमि को कृषि योग्य बनाने के लिए राजू बैक्टीरिया और जैविक खाद आदि का इस्तेमाल करते हैं। राजू के अनुसार उनके द्वारा विकसित की गई इस तकनीक के जरिये भूमि को सबसे उपयुक्त पीएच स्तर तक लाया जा सकता है। राजू के अनुसार पीएच स्तर का चुनाव करना इस बात पर निर्भर करता है कि किसान को कौन सी फसल उगानी है।
स्थापित किया ट्रस्ट
बड़े स्तर पर किसानों क इस तरह की समस्याओं से निजात मिल सके इसके लिए राजू ने HEART नाम के एक ट्रस्ट की स्थापना की है। किसानी के साथ ही यह ट्रस्ट स्वास्थ्य, पर्यावरण, ग्रामीण विकास और पर्यटन की दिशा में भी काम करता है।
आज क्षारीय भूमि से निपटने के लिए राजू लगातार जरूरतमंद किसानों की मदद करते रहते हैं, इतना ही नहीं वे कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के तमाम जिलों में जाकर प्रयोग भी कर वहाँ के किसानों को अधिक उपज हासिल करने में उनकी मदद भी करते हैं।
Edited by Ranjana Tripathi