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रिक्शाचालकों की जिंदगी बदल रहा है IIM का ये छात्र, साथ ही हो रही है करोड़ों की कमाई

सम्मान फाउंडेशन के संस्थापक इरफान आज बिहार के मजदूरों को श्रम और आधुनिक तकनीक के संगम के साथ ऐसे मौके मुहैया करा रहे हैं जिससे लोगों के लिए उनकी लगातार आय सुनिश्चित हो पा रही है।

रिक्शाचालकों की जिंदगी बदल रहा है IIM का ये छात्र, साथ ही हो रही है करोड़ों की कमाई

Monday September 06, 2021 , 3 min Read

आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रीमियम संस्थानों से पढ़ाई करने के बाद आमतौर पर छात्र लाखों रुपये के पैकेज वाली नौकरी की तरफ बढ़ जाते हैं लेकिन इरफान आलम यहाँ अपवाद हैं। इरफान आज समाज के लिए कुछ ऐसा काम कर रहे हैं जिससे उन्हें देश के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना हासिल हो रही है।


सम्मान फाउंडेशन के संस्थापक इरफान आज बिहार के मजदूरों को श्रम और आधुनिक तकनीक के संगम के साथ ऐसे मौके मुहैया करा रहे हैं जिससे लोगों के लिए उनकी लगातार आय सुनिश्चित हो पा रही है।

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रिक्शाचालकों की बदली दुनिया

भारत के शहरी क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग दैनिक यातायात के लिए रिक्शा का उपयोग करते हैं और इस तरह बड़ी संख्या में गरीब तबके के लोग बतौर रिक्शाचालक अपनी आय अर्जित करते हैं। रिक्शाचालकों के लिए हालात और बेहतर हो सकें इस उद्देश्य से इरफान ने एक खास संगठन खड़ा करने की योजना बनाई थी।


साल 2007 में इरफान ने 300 रिक्शा चलवाने के साथ इसकी शुरुआत की थी। गौरतलब है कि इन रिक्शों में स्नैक्स, न्यूज़पेपर, फ़र्स्ट एड संगीत और मैगजीन जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं,जिससे रिक्शा में बैठी सवारी के लिए उनका सफर और अधिक आरामदायक और मनोरंजक हो जाता है। इरफान की इस पहल को देखते हुए लोग उन्हें ‘रिक्शामैन फ्रॉम बिहार’ कहकर भी संबोधित करते।

पलायन रोकना था प्रमुख उद्देश्य

रोजगार की तलाश में बिहार जैसे राज्यों से हर साल बड़ी संख्या में मजदूर मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों की तरफ पलायन करते हैं, अब इरफान की इस पहल के साथ इन्हीं गरीब तबके के लोगों के लिए राज्य में ही रोज़गार के अधिक मौके उत्पन्न हो गए हैं। मालूम हो कि देश में पहले प्री-पेड रिक्शा की शुरुआत करने का श्रेय भी इरफान को ही जाता है।


आईआईएम अहमदाबाद के छात्र रहे इरफान ने मीडिया से शुरुआती आइडिया पर बात करते हुए बताया है कि वे एक दिन ऐसे ही किसी रिक्शा में सफर कर रहे थे तभी प्यास लगने पर उन्होने रिक्शा चालक से पानी मांगा लेकिन रिक्शा चालक के पास पानी मौजूद नहीं था। यहीं से उनके मन में विचार आया कि क्यों न इन रिक्शा को यात्रियों की सहूलियत के अनुसार सुविधाओं से लैस किया जाए जिससे इन रिक्शा चालकों की भी अतिरिक्त आय हो सकेगी। 


कोई शुरुआती मदद पास ना होने की दशा में इस पहल को शुरू करने के लिए इरफान को बैंक से लोन लेना पड़ा था और फिर उन्होने तीन अन्य इंजीनियरों के साथ मिलकर इस खास रिक्शे के प्रारूप को डिजाइन किया था।

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ओबामा ने भी की थी तारीफ

बिहार से शुरू हुई इरफान की इस पहल के तहत अब देशभर के तमाम हिस्सों से 5 लाख से अधिक रिक्शे रजिस्टर किए जा चुके हैं। इरफान के इन प्रयासों को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी उनकी सराहना कर चुके हैं।


साल 2010 में यंग आंत्रप्रेन्योर समिट के दौरान इरफान बराक ओबामा से व्हाइट हाउस जाकर मिलने वाले कुछ चुनिन्दा लोगों में शामिल थे। इसी के साथ इरफान को अब तक कई अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।


Edited by Ranjana Tripathi