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ये हैं 109 साल की दादी, जो पेड़ों को पाल रही हैं अपने बच्चों की तरह

ये हैं 109 साल की दादी, जो पेड़ों को पाल रही हैं अपने बच्चों की तरह

Monday November 08, 2021 , 3 min Read

सालूमरदा थिमक्का को जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के हाथों से पद्मश्री मिला उस समय राष्ट्रपति भवन में बैठे पीएम मोदी समेत सभी लोगों के चेहरे पर एक मुस्कान थी, जो सालूमरदा थिमक्का की सालों की मेहनत और पर्यावरण संरक्षण को लेकर उनके कार्यों के लिए सम्मान को बयां कर रही थी। सालूमरदा थिमक्का को लोग ‘वृक्ष माता’ के नाम से भी जानते हैं।


कर्नाटक की रहने वाली सालूमरदा थिमक्का सालों से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही हैं। अपने जीवन-काल में उन्होने बरगद के 400 पेड़ लगाने के साथ ही करीब 8 हज़ार से अधिक पेड़ लगाए हैं। सालूमरदा थिमक्का इन सभी वृक्षों को अपना बच्चा कहती हैं।


109 साल की सालूमरदा थिमक्का कर्नाटक के टुमकुर जिले में पैदा हुई थीं। घर की बदतर आर्थिक स्थिति होने के चलते उनकी स्कूली शिक्षा नहीं हो सकी और इस दौरान घर चलाने में सहयोग करने के लिए उन्हें पास में ही मौजूद एक खदान में बतौर मजदूर भी काम करना पड़ता था।

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सालूमरदा के इन प्रयासों को राज्य सरकार द्वारा भी खूब सराहा गया, हालांकि आज 109 साल की उम्र में भी उनके भीतर वृक्षारोपण का जज्बा वैसे ही बरकरार है। सालूमरदा को जीवन में अनगिनत पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है और इसी के साथ उन पर किताबें भी लिखी गई हैं।

पौधों को ही मान लिया बच्चा

सालूमरदा जब 20 साल की थीं तब उनका विवाह कर्नाटक के ही रामनगर जिले के एक शख्स के साथ हो गया। उनके पति भी अशिक्षित थे और घर चलाने के लिए मजदूरी किया करते थे। यहाँ से सालूमरदा का जीवनयापन तो सामान्य ढंग से होने लगा लेकिन उनके लिए परेशानी तब बढ़ गयी जब उन्हें यह पता चला कि वे कभी माँ नहीं बन सकती हैं। यहीं से उन्हें ससुराल में प्रताड़ित किया जाने लगा और हालात यहाँ तक बिगड़ गए कि उनके मन में आत्महत्या के ख्याल आने लगे, हालांकि इस दौरान उनके पति उनके साथ खड़े रहे और वहीं से उन्हें जरूरी साहस मिला।


सालूमरदा के पति ने उन्हें सुझाव दिया कि क्यों न वो पौधों को ही अपना बच्चा मान लें और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें। यहीं से सालूमरदा के जीवन के एक नए आयाम की शुरुआत हो गयी और उन्होने पौधे लगाने के साथ ही उनकी देखभाल भी शुरू कर दी। सालूमरदा ने गाँव के ही एक बरगद के पेड़ से नए पौधे तैयार किए और पहले साल उन्होने 10 पौधे लगाए। अगले साल यह संख्या 15 और उसके बाद 20 तक पहुँच गयी।

109 की उम्र में भी कायम है जज्बा

अपने पति के साथ खेतों में हाथ बटाते हुए सालूमरदा हर रोज़ इन पौधों की देखरेख भी करती रहीं। पौधों को मवेशियों से बचाने के लिए उन्होने कांटेदार झाड़ियों का सहारा भी लिया और अगले तीस सालों में सालूमरदा ने 400 से अधिक बरगद के पेड़ और अन्य प्रजातियों के 8 हज़ार से अधिक पेड़ लगाए। साल 1991 में पति की मौत के बाद सालूमरदा ने अपने पूरे जीवन को इन्हीं पेड़ों के नाम समर्पित कर दिया।


सालूमरदा के इन प्रयासों को राज्य सरकार द्वारा भी खूब सराहा गया, हालांकि आज 109 साल की उम्र में भी उनके भीतर वृक्षारोपण का जज्बा वैसे ही बरकरार है। सालूमरदा को जीवन में अनगिनत पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है और इसी के साथ उन पर किताबें भी लिखी गई हैं।


साल 2019 में भारत सरकार ने भी उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था, राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द से पद्मश्री लेने के दौरान उन्होने राष्ट्रपति को आशीर्वाद भी दिया जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुई थीं।


Edited by Ranjana Tripathi