कॉफी और चाय के प्रीमिक्स से ग्राहकों का दिल जीत रही है कोलकाता की यह एफएमसीजी कंपनी
भारत चाय के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है और यहाँ विश्व चाय उत्पादन की लगभग 30 प्रतिशत खपत है, इसी के साथ देश में कॉफी का समान रूप से उत्साही फैन बेस भी है। COFTEA के संस्थापक अंकित छपारिया के लिए पेय पदार्थों के इस प्यार ने ही उन्हें अपना उद्यम शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
कोलकाता से आने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट अंकित का हमेशा से एक उद्यमी बनने का सपना था। कुछ वर्षों तक बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में काम करने के बाद वह व्यवसाय शुरू करने के लिए 2013 में कोलकाता वापस आ गए थे।
वे योरस्टोरी को बताते हैं,
"उन दिनों जब मैं काम कर रहा था, मैंने देखा कि कैसे वेंडिंग मशीनों से चाय या कॉफी पीना एक बड़ा चलन था।" इस क्षेत्र में व्यापक अवसर को देखते हुए उन्होंने सितंबर 2014 में एक वेंडिंग मशीन ट्रेडिंग व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया।
वे देश के उत्तरी भाग में स्थित कारखानों से वेंडिंग मशीनों को आउटसोर्स करते थे और उन्हें Senco Gold, IRCTC जैसे कॉरपोरेट्स को बेंचते या किराए पर देते थे। इन मशीनों की कीमत 17,000 रुपये से शुरू होकर 1.4 लाख रुपये तक होती है। अब तक, COFTEA ने देश भर में 100 कॉफी और चाय वेंडिंग मशीनें स्थापित की हैं।
सही मिक्स की पहचान
जैसे ही वेंडिंग मशीन के कारोबार में तेजी आने लगी, अंकित ने बाजार में एक और अंतर देखा। अंकित आगे कहते हैं, “हमें बहुत सारी प्रतिक्रियाएँ मिलीं, जो प्रीमिक्स बाजार के लिए थीं। विशेष रूप से नेस्कैफे के लिए उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी। उनके उत्पाद बहुत मीठे थे और गुणवत्ता की समस्याएँ भी थीं।”
यह प्रतिक्रिया अंकित के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गई और उन्होंने चाय और कॉफी प्रीमिक्स व्यवसाय का पता लगाने का फैसला किया। उन्होंने एक कारखाना स्थापित करने के लिए 25 लाख रुपये का निवेश किया और वर्ष 2015 में मैनुफेक्चुरिंग शुरू करने का फैसला किया। इस यूनिट की प्रति वर्ष 500 टन प्रीमिक्स उत्पादन करने की क्षमता है।
अंकित ने योरस्टोरी को बताया,
“शुरुआती दिन बहुत चुनौतीपूर्ण थे। मैं सवाल करता था कि क्या मैं सही तरीके से पैसा निवेश कर रहा हूँ या नहीं। लेकिन हमारे ग्राहकों ने वास्तव में हमारे उत्पाद को बेहतर बनाने में हमारी मदद की।”
उनका कहना है कि उनके ग्राहक चीनी की मात्रा कम करने और चाय/कॉफी की मात्रा बढ़ाने जैसी प्रतिक्रिया देते हैं। वितरकों ने भी COFTEA को सुधार के लिए कुछ पॉइंट दिए। उनका कहना है कि इन सभी कारकों ने एक ऐसा उत्पाद बनाने में मदद की, जिसका स्वाद अच्छा होने के साथ-साथ स्वस्थ भी हो।
अंकित का दावा है कि FY20 में ब्रांड ने 82 लाख रुपये कमाए और FY21 में राजस्व 1 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
बाज़ार में प्रतिस्पर्धा
IBEF के अनुसार भारत एशिया में कॉफी का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। वास्तव में, यह दुनिया में छठा सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक और पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक है। इसी तरह, स्टेटिस्टा की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2021 में एक अरब किलोग्राम से अधिक चाय की खपत की है। इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2021 में भारत चीन के बाद चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश था।
अंकित का कहना है कि वह नेस्ले, ब्लू टोकई, टाटा, स्टारबक्स, कैफे कॉफी डे चेन और अन्य जैसे बाजार में कई ब्रांडों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
अंकित का कहना है कि जब बात वेंडिंग मशीन के कारोबार की आती है तो कंपनी कॉरपोरेट्स से केवल बी2बी (बिजनेस-टू-बिजनेस) ऑर्डर पर फोकस कर रही है।
अंकित कहते हैं, "हमारी मशीनों का उपयोग एक दिन में 200-400 कप कॉफी/चाय बनाने के लिए किया जाता है।" जहां तक प्रीमिक्स बाजार में बाहर खड़े होने का सवाल है, उनका कहना है कि कंपनी अपने ग्राहकों को "प्रीमियम गुणवत्ता" देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
COFTEA के उत्पादों का औसत बिक्री मूल्य एक किलोग्राम के लिए 350 रुपये है। यह देश के पूर्वी हिस्से में 15 से अधिक वितरकों के नेटवर्क और अमेज़ॅन के माध्यम से बेचता है। अगले तीन महीनों में, अंकित की अपनी वेबसाइट के माध्यम से भी बिक्री शुरू करने की योजना है।
महामारी का प्रभाव और आगे का रास्ता
COFTEA को कोरोना महामारी के दौरान बहुत मुश्किल समय का सामना करना पड़ा है। वे कहते हैं, "हमारा व्यवसाय प्रभावित हुआ क्योंकि कार्यालय और कॉर्पोरेट सभी बंद थे।" महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए टीम ने एक इम्यूनिटी बूस्टर प्रोटीन लॉन्च किया जिसे पानी या दूध के साथ मिलाया जा सकता है और यह इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करता है।
वे कहते हैं, "मैं केवल इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रहा था कि हम व्यवसाय को चालू रखने के लिए क्या कर सकते हैं और इस काढ़ा को शुरू करने से काम आगे बढ़ा है।"
अंकित कहते हैं कि जब भी कोई कोरोना की लहर आती है, तो इस उत्पाद की बिक्री बढ़ जाती है। जब मामले कम होने लगते हैं तो इम्युनिटी बूस्टर की मांग भी कम हो जाती है।
आगे बढ़ते हुए अंकित के पास अपने बिजनेस को लेकर कई योजनाएं हैं। उनकी प्राथमिकता एक निजी इक्विटी फंड से पूंजी जुटाना है, जिसके बारे में उनका कहना है कि इसका इस्तेमाल देश के अन्य हिस्सों में परिचालन के विस्तार के लिए किया जाएगा। अंकित का कहना है कि अगले 12-18 महीनों में कंपनी अपने उत्पादों को बेचने के लिए सऊदी अरब और बांग्लादेश के बाजारों में भी तलाश शुरू करेगी।
Edited by Ranjana Tripathi