न्यूरोलॉजी ऑन व्हील्स के माध्यम से आंध्र प्रदेश के दूरस्थ भागों में स्वास्थ्य सेवा पहुंचा रही हैं यह न्यूरोलॉजिस्ट
December 25, 2019, Updated on : Wed Dec 25 2019 05:31:30 GMT+0000

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भारत में कई गरीब और हाशिए के समुदायों के लिए हेल्थकेयर पहुंच से बाहर है। अधिकांश समय, उचित स्वास्थ्य सेवाएं देश के दूरस्थ क्षेत्रों में नहीं पहुँचती हैं।
लेकिन आयुष्मान भारत और मोहल्ला क्लिनिक सहित राज्यों और केंद्र द्वारा कई पहल इस दिशा में बदलाव ला रही हैं। कई व्यक्ति और संगठन भी इस समस्या को लेकर अपना काम कर रहे हैं।

बिंदू मेनन, अपनी मेडिकल वैन में मरीजों का इलाज करते हुए (फोटो साभार: The Logical Indian)
न्यूरोलॉजिस्ट बिंदू मेनन अपने फाउंडेशन, न्यूरोलॉजी ऑन व्हील्स के जरिए आंध्र प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवा पहुंचा रही हैं।
बिंदू अपनी चिकित्सा वैन में इन क्षेत्रों में यात्रा करती हैं, उनकी ये वैन नि: शुल्क न्यूरोलॉजिकल उपचार प्रदान करने में सक्षम है। इस दौरान वे जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करती हैं।
2015 से, बिंदू ने 23 गांवों को कवर किया है और 100 से अधिक लोगों को मुफ्त उपचार प्रदान किया है। किसी भी गाँव को वे रैंडम की चुनती हैं फिर; टीम एक पूर्व दौरा करती है और शिविर के बारे में स्थानीय लोगों के बीच स्वास्थ्य जागरूकता सत्र आयोजित करती है।
इस प्रक्रिया के दौरान, आघात जोखिम कारक, लक्षणों की पहचान और उपचार के लिए आवश्यक दवाओं के उपयोग जैसे विषयों पर चर्चा की जाती है। जागरूकता सत्र के बाद, फाउंडेशन उच्च रक्तचाप, मधुमेह और स्ट्रोक की नि: शुल्क जांच और पहचान प्रदान करता है। यही नहीं फाउंडेशन उपचार के लिए दवाएं भी प्रदान करता है।
द लॉजिकल इंडियन से बात करते हुए, बिंदू कहती हैं,
“गांवों में आघात और मिर्गी के बारे में जागरूकता बहुत कम है। वहां इन सबके इलाज के लिए देशी दवा लेने का चलन अभी भी है। इस मुद्दे के बोझ को कम करने के लिए आघात की रोकथाम सबसे प्रभावी साधन है। शिविरों के दौरान, आघात और मिर्गी के रोगियों की भी काउंसलिंग की जाती है।”
वे आगे कहती हैं,
"एक मरीज द्वारा आगे आने वाली बाधाओं में से एक ये है कि उसे दवाइयों के खत्म हो जाने के बाद क्या करना चाहिए। इसको लेकर हम मरीजों को इस बारे में सलाह देने की कोशिश करते हैं। अन्य प्रमुख रोगों के जोखिम के बारे में पूर्व निर्धारित बीमारियां और खराब जागरूकता एक ऐसी चीज थी जिसे हम अक्सर अपने शिविरों के दौरान देखते थे। स्थिति धीरे-धीरे बदल रही है, लेकिन उस गति से नहीं जिस गति से इसे बदलना चाहिए।”

फोटो साभार: The Logical Indian
द न्यूज मिनट के मुताबिक, बिंदू ने आंध्र के कुछ अस्पतालों में न्यूरोलॉजिस्ट के रूप में काम किया है। उन्हें 2008 में तिरुपति मेडिकल कॉलेज में न्यूरोलॉजी विभाग स्थापित करने का श्रेय भी दिया जाता है। बिंदू एक मोबाइल एप्लिकेशन भी लेकर आई हैं।
उन्होंने कहा,
"हमारे पास एपिलेप्सी हेल्प नाम का एक ऐप भी है, जहाँ मरीजों को समय पर सचेत करने से लेकर चेकअप में मदद के लिए अपनी दवाएँ लेने में मदद मिल सकती है।"
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