देहरादून का यह एनजीओ कर रहा है कमाल, महज 3 साल में किया 6700 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल
एनजीओ की इस पहल के बाद अब शहर के सफाईकर्मी तमाम तरह के कचरे को पहचानते हुए उन्हें वर्गीकृत कर पृथक करने में सक्षम हो गए हैं।
"पीएम मोदी ने साल 2022 तक देश में सिंगल यूज़ प्लास्टिक को खत्म करने का लक्ष्य रखा हुआ है, जिसके समर्थन में एक एनजीओ ने बीते कुछ सालों में बेहतरीन काम किया है। इस एनजीओ ने पिछले तीन सालों में 6 हज़ार टन से अधिक प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल कर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।"
प्लास्टिक कचरा पूरे विश्वभर में पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है, हालांकि इससे निपटने के लिए दुनिया भर के देश उपाय जरूर कर रहे हैं लेकिन फिर भी अभी दूर तक इससे निजात मिलती हुई नज़र नहीं आ रही है।
भारत की बात करें तो यहाँ केंद्र सरकार प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए तमाम कदम उठा रही हैं, जबकि खुद पीएम मोदी भी लगातार देशवासियों से प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने की अपील करते हुए नज़र आते रहते हैं।
पीएम मोदी ने साल 2022 तक देश में सिंगल यूज़ प्लास्टिक को खत्म करने का लक्ष्य रखा हुआ है, जिसके समर्थन में एक एनजीओ ने बीते कुछ सालों में बेहतरीन काम किया है। इस एनजीओ ने पिछले तीन सालों में 6 हज़ार टन से अधिक प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल कर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।
आने वाले वर्षों के लिए तैयार
इस गैर-लाभकारी संस्था का नाम ‘इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोशिएशन’ है, जो मुख्य तौर पर उत्तराखंड में काम कर रही है। मीडिया से बातचीत करते हुए एनजीओ के डायरेक्टर आशीष जैन का कहना है कि ‘उत्तराखंड में आने वाले नजदीक के सालों में शहरीकरण और टूरिज़्म गतिविधियां बढ़ने के साथ ही प्लास्टिक कचरे के बढ़ने की भी पूरी संभावना है, ऐसे में एनजीओ अब इसे लेकर भविष्य के अनुमानों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ रहा है।‘
मालूम हो कि उत्तराखंड में देहरादून सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा उत्पादन वाला शहर है। आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में हर दिन 327.9 टन प्लास्टिक कचरा उत्पादित किया जाता है, जबकि नजदीक के वर्षों में ही इस आंकड़े के बढ़कर 584 टन प्रतिदिन होने की संभावना है।
देहरादून में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के लिए एनजीओ समावेशी मॉडल अपनाता है, जहां साल 2018 से शहर में अब तक 6772 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने के साथ ही उसे रिसाइकल किया जा चुका है। गौरतलब है कि इसमें 50 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 3555 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे को सिर्फ साल 2020 में ही रिसाइकल किया गया था। आशीष जैन के अनुसार बड़े स्तर पर प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए जरूरी है कि सभी हितधारक इस प्रक्रिया में भागीदार बनें।
सफाईकर्मियों को किया शिक्षित
आज देहारादून में इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोशिएशन शहरी निकायों के साथ जुड़कर इस दिशा में बड़ा काम कर रहा है, जहां वो सफाईकर्मियों को भी इस काम के लिए शिक्षित भी कर रहा है। एनजीओ की इस पहल के बाद अब शहर के सफाईकर्मी तमाम तरह के कचरे को पहचानते हुए उन्हें वर्गीकृत कर पृथक करने में सक्षम हो गए हैं।
इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोशिएशन की बात करें तो यह एनजीओ बीते 20 सालों से प्लटिक कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में देश भर के 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रहा है। गौरतलब है कि साल 2019-20 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर रोज़ 26 हज़ार टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें सिर्फ 60 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा ही रिसाइक ल हो पाता है।
Edited by Ranjana Tripathi