इस स्कूल टीचर ने अपने ऑटो रिक्शा को बना दिया एंबुलेंस, अब मुफ्त में कर रहे हैं कोविड मरीजों की सेवा
देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के बढ़ते प्रकोप के बीच अब हमारे बीच से ही कई हीरो सामने आने लगे हैं जो कोरोना पीड़ित लोगों की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
ठीक इसी तरह मुंबई के ये शख्स भी बड़े ही निस्वार्थ भाव से आज कोरोना मरीजों की मदद कर रहे हैं। पेशे से शिक्षक यह शख्स अपने परिवार को पालने के लिए ऑटोरिक्शा भी चलाते हैं, लेकिन फिलहाल वे अपने ऑटोरिक्शा का उपयोग कोरोना प्रभावित मरीजों की मदद के लिए कर रहे हैं।
शिक्षक भी, ऑटोरिक्शा चालक भी
दत्तात्रेय सावंत ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि वह ज्ञानसागर विद्यामंदिर नाम के एक स्कूल में पढ़ाने का काम करते हैं। दत्तात्रेय छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाते हैं और आमदिनों में उनकी क्लास सुबह 7 बजे से दोपहर साढ़े बारह बजे तक चलती है। बच्चों को पढ़ा चुकने के बाद वह घर आते हैं और दो घंटे का आराम करते हैं।
दत्तात्रेय के अनुसार आम दिनों में स्कूल में पढ़ा चुकने के बाद वह अपना ऑटो लेकर सवारियाँ ढोने के लिए निकल जाते हैं जिससे वह थोड़ी और कमाई अर्जित कर अपने परिवार का पालन पोषण ठीक ढंग से कर सकें।
अपने ऑटो को बना दिया एंबुलेंस
कोरोना प्रभावित मरीजों को संकट में देखते हुए दत्तात्रेय सावंत ने एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया और उन्होने अपने ऑटोरिक्शा को एक मोबाइल एंबुलेंस में तब्दील कर दिया। इसके पीछे दत्तात्रेय का सिर्फ यही उद्देश्य था कि गंभीर कोरोना मरीजों को समय रहते अस्पताल तक पहुंचाया जा सके और इस संकट की घड़ी में उन पर किसी भी तरह का आर्थिक बोझ भी ना आए।
दत्तात्रेय की इस खास मोबाइल एंबुलेंस की बात करें तो वह इसे बराबर सैनेटाइज़ करते रहते हैं, इसी के साथ इस दौरान वह वह खुद भी पीपीई किट पहनते हैं। वह कहते हैं कि आज इस बीमारी से सब डर रहे हैं लेकिन अगर सब इसी तरह डरेंगे तो कोरोना कैसे दूर हो पाएगा। सावंत के इस भले काम को देखते हुए कई लोग उन्हे आर्थिक सहायता देने के लिए आगे आए हैं।
मरीजों की सेवा ही पूजा है
दत्तात्रेय के अनुसार लोग जिस तरह मंदिर जाते हैं और भगवान की पूजा करते हैं ठीक उसी तरह वह कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचा कर पुण्य कमा रहे हैं। कोरोना महामारी बढ़ने के साथ ही दत्तात्रेय अब सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक ऑटो चला रहे हैं। दत्तात्रेय कोविड मरीजों से किसी भी तरह का चार्ज नहीं लेते हैं बल्कि समय रहते उन्हे मुफ्त में अस्पताल पहुंचाते हैं।
इतना ही नहीं कई बार उन्हे रात में भी कोरोना मरीजों के फोन आते हैं और बिना किसी बात की फिक्र किए वह फौरन ही उन्हे अपनी मोबाइल एंबुलेंस के जरिए अस्पताल पहुंचाने के लिए निकल पड़ते हैं। मीडिया से बात करते उन्होने यह भी बताया कि शहर के तमाम हिस्सों के साथ ही उनके पास स्लम इलाकों से भी फोन आते हैं और वह वहाँ भी जाकर लोगों की मदद करते हैं। दत्तात्रेय का कहना है कि जब तक कोरोना महामारी बनी रहेगी वह इसी तरह लोगों की सेवा करते रहेंगे।
Edited by Ranjana Tripathi