भिखारियों को उद्यमी बना रहा है वाराणसी का यह खास एनजीओ
सड़कों पर चलते हुए अक्सर हम भिखारियों को पैसे दान करते हैं, हालांकि यह भी सच है कि दान अधिकतर गरीबी को बढ़ावा देता है, हालांकि अब वाराणसी का एक एनजीओ भीख मांगने वाले लोगों के लिए बड़ा ही सराहनीय काम कर रहा है। ‘कॉमन मैन ट्रस्ट’ नाम का यह गैर-लाभकारी संगठन भिखारियों के जीवन में बड़ा बदलाव लाते हुए उन्हें उद्यमिता के रास्ते पर ले जाने का काम कर रहा है।
इस एनजीओ ने लैपटॉप और कॉन्फ़्रेंस बैग जैसी चीज़ें बनाकर ऐसे लोगों को जीविका कमाने में मदद करने के लिए एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। दान से आगे जाकर निवेश पर ज़ोर देते हुए यह एनजीओ वाराणसी को साल 2023 तक भिखारी मुक्त शहर बनाने की ओर आगे बढ़ रहा है।
12 परिवारों की बदली जिंदगी
एनजीओ के साथ काम कर रहे लोगों ने वाराणसी में ऐसे भिखारियों के 12 परिवारों को अलग-अलग व्यवसायों के लिए प्रशिक्षित किया है और उसके बाद वे सभी लोग अब भीख मांगना छोड़ व्यवसाय कर रहे हैं। मीडिया से बात करते हुए कॉमन मैन ट्रस्ट के प्रमुख चंद्र मिश्रा ने बताया है कि वाराणसी में चलाया गया पायलट मॉडल अगर सफल रहता है तो इसे देश अन्य शहरों में भी ले जाने की योजना है।
एनजीओ के लोगों ने उन 12 परिवारों को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए उनसे बात कर उनकी मानसिकता को बदलने पर भी काम किया, जिससे उनके भीतर अपना काम शुरू करने का आत्मविश्वास आ सका।
रजिस्टर होगी कंपनी
चंद्र मिश्रा के अनुसार पहले वे इसपर प्रयोग कर रहे थे कि क्या भिखारी ये काम करेंगे और क्या उनके उत्पादों मार्केटिंग की जा सकती है, हालांकि उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को लोगों ने स्वीकार किया है। चंद्र मिश्रा के अनुसार अब वे इसे इसे एक लाभ कमाने वाली कंपनी में बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
चंद्र मिश्रा के अनुसार साल 2022 के मार्च इसे कंपनी के रूप में पंजीकृत कर दिया जाएगा, जहां वे कंपनी यह एंजेल निवेशकों और उद्यम पूंजीपतियों से 2.5 करोड़ रुपये का फंड जुटाने पर भी फोकस करेगी। फिलहाल चंद्र मिश्रा वाराणसी के 100 और ऐसे परिवारों को इसमें जोड़ने के उद्देश्य से आगे बढ़ रहे हैं।
सरकार से की अपील
इसी के साथ यह ट्रस्ट वाराणसी के राजेंद्र प्रसाद घाट पर एक 'स्कूल ऑफ लाइफ' भी चलाता है, जहां फिलहाल भीख मांगने वाले परिवारों के 32 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। मालूम हो कि साल 2017 में सामने आई बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय भिखारियों को दान के रूप में 34 हज़ार करोड़ रुपये खर्च करते हैं।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए कहा कि भारत में 4 लाख से अधिक भिखारी हैं। चंद्र मिश्रा ने सरकार से संगठन को वाराणसी में भिखारियों की पहचान करने और उन्हें पहचान पत्र जारी करने की अनुमति देने का आग्रह किया है ताकि वे वास्तव में जरूरतमंद लोगों तक सीधे पहुँच सकें और धोखाधड़ी करने वाले लोगों से बचा जा सके।
Edited by Ranjana Tripathi