तपती धूप में राहगीरों की प्यास बुझा रहा यह अनोखा वॉटर एटीएम
जिस तरह से पूरी दुनिया में पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि अगला युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा। संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक पूरी दुनिया में पानी के गंभीर संकट की भविष्यवाणी की है। एक गैरलाभकारी संगठन 'वॉटरऐड' द्वारा जारी एक रिपोर्ट The State of the World’s Water 2019 के मुताबिक जल संकट के मामले में भारत सबसे आगे हैं। भारत में सबसे ज्यादा आबादी है जो जल संकट की समस्या से जूझ रही है। यानि खतरे की घंटी बज चुकी है, लेकिन क्या कोई इस खतरे को सुन रहा है? नोएडा स्थित एक एनजीओ पी-लो (पी-लो शुद्ध पानी सेवा संस्थान) अपने स्तर पर पानी को बचाने और लोगों की प्यास बुझाने का काम कर रहा है।
जहां पूरे देश में 16 करोड़ से भी अधिक लोग पानी से होने वाली बीमारियों से ग्रसित हों वहां 20 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से पानी खरीद पाना सबके लिए मुमकिन नहीं है। सुरक्षित पेयजल एक ऐसी समस्या है, जिसे हल करने की आवश्यकता है। जतिन अहलावत और दिनेश गोयल द्वारा 2015 में शुरू की गई संस्था 'पी-लो' ने लोगों को मुफ्त और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के मिशन पर काम किया है। एनजीओ ने सोलर पावर से चलने वाले पानी के एटीएम लगाए हैं जहां पर प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होता है।
जतिन कहते हैं कि 'पीलो' की शुरुआत न केवल गंदे प्रदूषित पानी का विकल्प मुहैया कराने के लिए हुई थी बल्कि 20 रुपये की प्लास्टिक की बोतल को उपयोग से दूर करने की थी। वे कहते हैं, 'चार साल पहले दिल्ली मेट्रो में इस पहल की शुरुआत हुई थी जहां पर आरओ सिस्टम लगाए गए थे और सिर्फ 2 रुपये में पानी उपलब्ध कराने की कोशिश की गई थी। हमने लोगों से पेपर के एक गिलास भर के लिए 2 रुपये लिए वहीं एक लीटर पानी के लिए 5 रुपये।'
उसके बाद से दिल्ली मेट्रो के अलावा कई लोकप्रिय चर्चित स्मारक और टूरिस्ट वाली जगहों जैसे कतुब मीनार, पुराना किला, लाल किला और सफदरजंग के मकबरे पर मुफ्त में पानी पिलाने वाले एटीएम लगाए गए। कुछ धार्मिक स्थानों और अस्पतालों के पास भी एटीएम लगाए गए हैं।इस साल 'पी-लो संगठन' ने प्रयागराज (इलाहाबाद) में कुंभ मेले में तीर्थयात्रियों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए 50 ऐसे वाटर एटीएम सेवा में लगाए। अब तक, भारत में दिल्ली-एनसीआर, अयोध्या, आगरा, वृंदावन, बरसाना, फतेहपुर सीकरी, प्रयागराज, और अन्य में 141 वाटर एटीएम लगाए जा चुके हैं।
पी-लो स्मार्ट वॉटर एटीएम अत्याधुनिक तकनीक से बनाए गए आरओ सिस्टम से पानी को प्योरिफाई करते हैं। इस तकनीक को पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के डॉ आरए माशेलकर समिति द्वारा भी मंजूरी प्राप्त है। एक वाटर एटीएम हर घंटे 500 लीटर पानी को शुद्ध कर सकता है। जतिन ने बताया कि ये वॉटर एटीएम और आरओ सिस्टम घरों में इस्तेमाल होने वाले आरओ सिस्टम से अलग हैं। घरों में लगे आरओ में 15 फीसदी पानी बेकार चला जाता है, लेकिन इस सिस्टम में पानी बेकार नहीं जाता है।
जतिन ने आगे बताया, "इसी तरह, अगर हम 'पी-लो' वॉटर एटीएम मशीनों की तुलना करें तो काफी कम पानी की बर्बादी होती है। हम मेंब्रेन और आयन का इस्तेमाल करते हैं जिससे कि आयनीकरण तकनीक से काफी कम पानी बर्बाद होता है। स्मार्ट वॉटर एटीएम असुरक्षित भूजल को कई प्रक्रिया से साफ करता है। आरओ फिल्टर होकर चिलर टैंक में प्रवेशश करता है जहां इसका तापमान आवश्यकता के हिसाब से रखा जाता है। वहां से फिर इसे सिक्के या कार्ड के सहारे निकाला जा सकता है।
सारे एटीएम क्लाउड कनेक्टेड हैं जिसके जरिए लाइव मॉनिटरिंग संभव हो पाती है। इससे पानी की गुणवत्ता, तापमान और बाकी सारी चीजों पर नियंत्रण रखा जा सकता है। हर एक मशीन में सीसीटीवी कैमरा भी लगाया गया है ताकि उस पर नजर रखी जा सके। इनमें कूड़ेदान भी लगा है ताकि बेकार और इस्तेमाल किए गए गिलासों को वहीं पर रखा जा सके। इतना सब होने के बाद भी एटीएम की टीम इसे और विकसित करना चाहती है ताकि इसे स्मार्ट बनाया जा सके। संस्थान सीएसआर और स्पॉन्सरशिप के जरिए पैसे इकट्ठा कर रहा है।
जतिन कहते हैं कि वे पूरे भारत में ऐसे पानी के एटीएम लगाना चाहते हैं ताकि पानी की बर्बादी रोकी जा सके। संगठन का दावा है कि स्थापना के बाद सेअब तककुल 18,718,853 लीटर पानी की सेवा देकर 2.5 करोड़ से अधिक प्लास्टिक की बोतलों को बर्बाद होने से रोका है।
यह भी पढ़ें: पहली बार वोट देने वाले युवाओं को 'अपनी सरकार' से हैं क्या उम्मीदें