चीन और इटली के आइस स्नो फेस्टिवल में उमड़े विश्व के हजारों कलाकार और पर्यटकों
चीन की आइस सिटी हार्बिन में इस समय माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तापमान में आइस एंड स्नो फेस्टिवल चल रहा है तो इटली के आल्प्स पर्वत पर माइनस 25 डिग्री में आइस म्यूजिक फेस्टिवल। मुद्दत से भीषण बर्फबारी के दिनों में ये फेस्टिवल हर साल विश्व के हजारों-लाखों कलाकारों और पर्यटकों को खूब रिझाते हैं।
सर्दियां भी कैसे-कैसे प्रयोग, अजीबोगरीब खेल-तमाशे लेकर आती हैं। बर्फ ज्यादा पड़ने लगे तो कहीं माइनस 12 डिग्री सेल्सियस में हार्बिन आइस एंड स्नो फेस्टिवल होने लगता है तो कही माइनस 25 डिग्री सेल्सियस में लोग आइस म्यूजिक फेस्टिवल के मजे लेने लगते हैं। और ये सब जानकारियां संभव हो पाती हैं मीडिया के भी ग्लोबलाइजेशन से, वरना ऐसे-ऐसे फेस्टिवल मनाने के बारे में और किसी को पता ही न चले।
चीन और ऑस्ट्रेलिया के ये बर्फीले फेस्टिवल दोनो देशों के लोग हर साल सर्दियों के मौसम में मुद्दत से मनाते आ रहे हैं। गौरतलब है कि 2007 में कैनेडियन डॉक्टर नॉर्मन बेथुने की स्मृति में बनाई गई कलाकृति दुनिया की सबसे बड़ी बर्फ से बनी कलाकृति के रूप में दर्ज हो गई थी। रोमांटिक फीलिंग नाम की यह कलाकृति 820 फीट ऊंची, 28 फीट चौड़ी है। इसे बनाने में साढ़े चार लाख क्यूबिक मीटर बर्फ का इस्तेमाल किया गया था।
चीन के हेलोंगयांग प्रांत स्थित हार्बिन में दुनिया के सबसे बड़ा आइस एंड स्नो फेस्टिवल तो इस समय 14 देशों के दो-चार नहीं, बल्कि हजारों कलाकार मना रहे हैं, जो हर साल दो महीने तक चलता है। इसमें ऑर्टिस्ट छह लाख स्क्वायर मीटर में फैले स्नो वर्ल्ड में बर्फ की सैकड़ों तरह-तरह की कलाकृतियां बनाकर कला के नए क्षितिज की खिड़कियां खोल देते हैं।
पहली बार यह फेस्टिवल 1985 में मनाया गया था। इस बार हार्बिन के आइस एंड स्नो फेस्टिवल में 2.20 लाख क्यूबिक मीटर बर्फ से 100 मीटर ऊंचे तक स्कल्पचर बनाए गए हैं। पर्यटकों के लिए यहां रखी बर्फ से बनी कलाकृतियों का प्रदर्शन शुरू कर दिया गया है। चीन समेत दुनिया के 14 देशों से पहुंचे हजारों कलाकार माइनस 20 डिग्री के बीच में ये स्कल्पचर बनाए हैं। सर्दियों में बड़ी संख्या में पर्यटक ‘आइस सिटी’ के नाम से लोकप्रिय हार्बिन पहुंचते हैं।
चीन की तरह ही इटली के आल्प्स पर्वत पर सर्दी के दिनों में एक अनोखा फेस्टिवल मनाया जाता है। इस समय यहां का तापमान माइनस 25 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे में यहां एक बैंड के लिए यह मौसम सबसे अच्छी परफॉर्मेंस देने के अनुकूल हो जाता है। दरअसल, यहां 2600 मीटर ऊंचाई पर माइनस 14 डिग्री के बीच इग्लू (बर्फ के घर) में आइस म्यूजिक फेस्टिवल शुरू हो गया है। इसमें बर्फ के बने वाद्ययंत्र इस्तेमाल किए जाते हैं।
यहां करीब 200 लोगों के बैठने की व्यवस्था होती है। बैंड के कलाकार अपनी जरूरत के हिसाब से बर्फ के वॉयलिन, गिटार ड्रम सेट, जायलोफोन, मैंडोलिन, डबल बेस और अन्य वाद्ययंत्रों के सेट बनाते हैं। एक वाद्ययंत्र को बनाने में लगभग एक सप्ताह लग जाते हैं। बड़े वाद्य यंत्रों को बनाने में तो महीनों का समय गुजर जाता है। ये तरह तरह के बर्फीले वाद्ययंत्र काफी भारी होते हैं। इसलिए संगीतकार म्यूजिक शो खत्म होने के बाद सभी वाद्ययंत्रों को इग्लू की दीवारों में छेद करके दफना देते हैं।
हार्बिन शहर में दुनिया का सबसे बड़ा सालाना आइस एंड स्नो फेस्टिवल 5 जनवरी से आधिकारिक तौर पर शुरू हो जाता है। इस साल फेस्टिवल में पूरी तरह बर्फ से बने महलों के अलावा भगवान बुद्ध का 4500 क्यूबिक मीटर बर्फ से बना स्टैच्यू भी लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है।
इसके अलावा महलों पर रात में 3डी लाइट शो का भी प्रदर्शन भी किया जा रहा है। हर साल जब यहां का तापमान काफी नीचे गिर जाता है, दुनिया भर के पर्यटक इस आइस सिटी के नाम से लोकप्रिय हार्बिन पहुंचने लगते हैं। वर्ष 2017 में फेस्टिवल में करीब 1.8 करोड़ लोग पहुंचे थे, जिससे चीन को करीब 31 हजार करोड़ रुपए की कमाई हो गई थी।
यह फेस्टिवल पहली बार साल 1985 में हुआ था। शहर के एयरपोर्ट पर 2018 में दो करोड़ से ज्यादा यात्री पहुंची। पर्यटकों के बीच हार्बिन में बना साइबेरियन टाइगर पार्क भी लोकप्रिय है। यहां एक हजार से ज्यादा साइबेरियाई टाइगरों को ठंडे पर्यावरण के बीच सुरक्षित माहौल में रखा गया है।